बांदा न्यूज:- अघोषित विद्युत कटौती की मर्मान्तक पीड़ा ब्यथा किससे रोई जाए जिसका निदान हो
आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
बांदा:
अघोषित विद्युत कटौती की समास्या से निजात पाने की दूर बहुत दूर तक दृष्टि गत नही होता है मीडिया बन्धुओं को शायद यह लेखनी से लिखने योग्य समस्या न हो लेकिन मध्यम वर्ग और निम्न स्तर के लोगों के लिए यह समस्या किसी प्राकृतिक आपदा से कम नही है एक तो करोना का कहर दूसरा दिन रात अघोषित विद्युत कटौती का कहर वैसे विद्युत शक्ति के बारे में किसी कर्मचारी को कभी भी दन्डित नही किया गया न किया जाएगा क्योंकि साहब यह तो ऊपर सेही कटौती है हम क्या कर सकते हैं अब ऊपर कौन जाए तीन लोक चौदह भुवन मे विचरण कर पता लगाने हेतु अन्ततोगत्वा ढाक के तीन पात पर सत्य उद्घाटित होता है जनमानस की पीडा व्यथा का अन्तर्क्रन्दन सुनकर लेखनी स्वयम् लिखने लगती है और तब तक लिखने का संघर्ष करती है जबतक निदान ना हो जाए।यह पीड़ा ब्यथा व्यक्त किया है बांदा जनपद के नरैनी तहसील क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्रांमो के ग्रामीणों ने जिन्होंने अपनी भाषा में अधिकारियों के प्रति नाराजगी जताई वहीं पत्रकारों के प्रति भी इन ग्रामीणों का कहना है कि पत्रकार नेताओं अधिकारियों की बातें रोज छापते हैं अपराधियों की कहानियां इस तरह महिमा मंडित कर पेश करते हैं मानो वह कोई फरिश्ता है पर जब आमजन की मूलभुत समास्याओं की आती है तो सभी खमोष हो जाते हैं लेखनी कुंद पड़ जाती है पक्ष बिपक्ष खामोश हो जातें हैं अधिकारी बहरे हो जाते हैं। ग्राम पडमयी ,मोतियारी, दशरथ पुरवा, पल्हरी, पिपरहरी, पचोखर, तेरा,पथरा, दियुली, सहित अन्य कयी गांओं के लोगों ने बताया कि उनके यहां विद्युत के बिल तो समय से आते हैं पर बिद्युत कटौती कितनी और किस समय होगी। इसकी कोई समय सीमा नहीं है।
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