गोरखपुर। यूपी पुलिस ने गोरखपुर में एक ऐसे हाई-प्रोफाइल फ्रॉड को पकड़ा है, जिसने पिछले तीन वर्षों में IAS अधिकारी बनकर करोड़ों की धोखाधड़ी का नेटवर्क तैयार कर लिया था।
गौरव कुमार सिंह उर्फ ललित किशोर न सिर्फ खुद को IAS बता रहा था, बल्कि VIP प्रोटोकॉल, लाल-नीली बत्तियां, सफेद इनोवा, और 10–15 लोगों की टीम के साथ घूमकर पूरे यूपी–बिहार में धौंस जमाता था।
IAS बनने का नाटक… हर महीने 5 लाख का प्रोटोकॉल खर्च!
जांच में सामने आया कि गौरव सिर्फ IAS का रौब बनाए रखने के लिए हर महीने लगभग 5 लाख रुपये खर्च करता था।
उसके साथ हमेशा 10–15 लोगों की टीम रहती, जो पर्सनल गार्ड, कर्मचारी और सहयोगी का रोल निभाते थे।
असली SDM से टकराया—रैंक पूछा तो दो थप्पड़ मार दिए!
भागलपुर (बिहार) के एक गांव में दौरे के दौरान गौरव की मुलाकात संयोग से असली SDM से हो गई।
उन्होंने बैच, रैंक और पोस्टिंग पूछी तो फर्जी IAS गुस्सा हो गया और SDM को थप्पड़ मार दिए।
SDM भी उसकी धमक और दिखावे से इतना चौंक गया कि उसने शिकायत तक नहीं की।
मोबाइल से मिला चौंकाने वाला सच—चार गर्लफ़्रेंड, तीन प्रेग्नेंट!
पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद उसके दो मोबाइल कब्जे में लिए।
जांच में:
- 4 गर्लफ्रेंड की चैट्स मिलीं
- इनमें 3 गर्लफ्रेंड प्रेग्नेंट पाई गईं
- सभी उसे असली IAS अधिकारी मानकर रिलेशन में थीं
- एक बिहार की लड़की से उसने शादी भी कर रखी थी
AI की मदद से फर्जी टेंडर—450 करोड़ का सपना दिखाकर 5 करोड़ और दो इनोवा ठग लीं
गौरव बिल्डरों और व्यापारियों को सरकारी टेंडर दिलाने का झांसा देता था।AI-generated टेंडर पेपर बनाकर लोगों को विश्वास में लेता था।
जांच में सामने आया:
- एक कारोबारी को 450 करोड़ के टेंडर का लालच
- इसके बदले 5 करोड़ रुपये और 2 इनोवा कार हड़प लिए
इस पूरे रैकेट को फैलाने में उसके साले अभिषेक कुमार और गोरखपुर के परमानंद गुप्ता की भूमिका उजागर हुई है।
सिर्फ तीन साल में चार राज्यों तक फैला नेटवर्क
गौरव ने अपनी जालसाजी का नेटवर्क
यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड तक फैला दिया था।
अफसरों जैसा प्रोटोकॉल, स्टाइल और दबदबा देखकर लोग आसानी से धोखा खा जाते थे।
**“पुलिस के अलावा, मुसीबत में सबके दरवाज़े बंद मिलते हैं…”
इस केस ने फिर साबित कर दिया**सैंकड़ो अक्लमंद मिलते हैं,
काम के लोग चंद मिलते हैं,
जब मुसीबत आती है,
तब ‘पुलिस’ के अलावा सबके दरवाज़े बंद मिलते हैं…!!
यह केस पुलिस की सतर्कता, नेटवर्क और तेज़ कार्रवाई का जबरदस्त उदाहरण है।
पुलिस विभाग को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका—"सलाम खाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश से पत्रकार ज़मीर आलम की खास रिपोर्ट
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