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बांदा न्यूज:- शैक्षिक संवाद मंच की ई-परिचर्चा अब बाजार तय करता है सामाजिक मूल्य : रामनरेश गौतम• शिक्षा और बाजार के सम्बंधों पर हुई परिचर्चा• बाजार बनाता है व्यापार के अनुकूल समाज।

बांदा न्यूज:- शैक्षिक संवाद मंच की ई-परिचर्चा 
अब बाजार तय करता है सामाजिक मूल्य : रामनरेश गौतम
• शिक्षा और बाजार के सम्बंधों पर हुई परिचर्चा
• बाजार बनाता है व्यापार के अनुकूल समाज।
 बांदा। बाजार का अपना एक चरित्र प्रकृति और स्वभाव होता है और वह अपने अनुकूल समाज रचना में विश्वास करता है। कभी समाज द्वारा तय होते रहे मूल्य और आदर्श आज बाजार द्वारा निर्धारित और पोषित किए जाते हैं। बाजार केवल मुनाफा कमाना और अपना हित देखता है।
         उक्त विचार शैक्षिक संवाद मंच उ.प्र. द्वारा रविवार शाम को आयोजित साप्ताहिक ऑनलाइन संवाद "शिक्षा और बाजार" विषय में  मुख्य वक्ता शिक्षाकर्मी राम नरेश गौतम, नैनीताल ने उपस्थित श्रोताओं के समक्ष व्यक्त किए। आगे गौतम ने कहा की 18वीं सदी में जब औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात हुआ तो उसने शिक्षा को बहुत गहरे तक प्रभावित किया। क्रांति के कारण समाज के परंपरागत धार्मिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों में टकराव हुआ और बाजार ने सामूहिकता की भावना के बजाय व्यक्ति आधारित उपभोगवादी मूल्य स्थापित किए। बाजार ने पूरी दुनिया में परंपरागत ज्ञान आधारित कृषि कर्म की बजाए बाजार आश्रित खेती को तरजीह दी। खेती के मशीनीकरण के कारण रोजगार की तलाश में मजदूर वर्ग का पलायन शहरों की ओर तेजी से हुआ और शहरों में बोझ बढ़ा। औद्योगिक क्रांति के कारण सरकार संचालित स्कूल खोले गये जिसमें कल-कारखानों में काम करने लायक व्यक्तियों की खेप तैयार की जाने लगी। औद्योगिक घराने पूरी दुनिया में अघोषित रूप से सत्ता पर नियंत्रण कर अपने अनुकल नियम और व्यवस्थाएं बनवाने लगे। शिक्षा के ढांचे में आमूलचूल परिवर्तन हुआ और  शिक्षा व्यक्ति निर्माण की जगह नौकर उत्पन्न करने वाला तंत्र बनकर रह गई। बाजार अपने आकर्षक विज्ञापनों के माध्यम से उत्पाद बेचने के लिए व्यक्ति को प्रयोग करने लगा और अब तो शैक्षिक सामग्री, पाठ्य-पुस्तकों के द्वारा प्रकारांतर से अपने उत्पादों का प्रचार-प्रसार कर कोमल बाल मस्तिष्क को प्रभावित कर घर-घर पहुंच गया और समाज को जकड़ लिया है। एक शिक्षक के रूप में हमें न केवल शिक्षा को बचाना है बल्कि समाज का जागरण भी करना होगा।
         इसके पूर्व "शिक्षा और बाजार" ई-संवाद पर विषय प्रवर्तन करते हुए  शिक्षक एवं साहित्यकार प्रमोद दीक्षित मलय ने शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए शिक्षा और समाज के अन्योन्याश्रित संबंध पर कहा की शिक्षा सर्वदा व्यक्ति का सर्वांगीण विकास कर सामाजिक बदलाव का सशक्त माध्यम रही है। शिक्षा से प्रेरित समाज ने मानवीय मूल्य एवं आदर्श स्थापित किए हैं जो संपूर्ण सृष्टि के लिए कल्याणकारी सिद्ध हुए पर शिक्षा पर बाजार के हस्तक्षेप से स्थितियां परिवर्तित हुई है और अब शिक्षा बाजार के नियंत्रण में है।  इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से चयनित तीस शिक्षक-शिक्षिकाओं को ही आमंत्रित किया गया था जिनमें इंदु पवार, प्रियंका सिंह, आशिया फारूकी, नीलू चोपड़ा, नीलम कुशवाहा, विनोद गुप्त, चंद्रशेखर सेन, माधुरी जायसवाल,मनुजा द्विवेदी,  प्रीति श्रीवास्तव सपना कुशवाहा, नीतू वर्मा सुमन गुप्ता, राम किशोर प्रजापति, अरविंद सिंह, कमलेश त्रिपाठी, दीक्षा मिश्रा, सुरेंद्र कुमार, तपस्या पुरवार, राकेश द्विवेदी आदि उपस्थित रहे। संचालन प्रमोद दीक्षित ने और आभार राम किशोर पांडे ने व्यक्त किया।

   सलाम खाकी न्यूज से
आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट

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