Advertisement

पुलिस विभाग के सब -इंस्पेक्टर दीपक कुमार ( गढ़ी-पुख्ता - उत्तराखंड ) की हुई मौत



"एक वर्दी की ख़ामोश शहादत"

उत्तराखंड पुलिस के सब-इंस्पेक्टर दीपक कुमार की दुखद मृत्यु पर विशेष रिपोर्ट

✍️ ज़मीर आलम | "सलाम खाकी" प्रधान संपादक शामली


कभी-कभी मौत किसी गोली, किसी हादसे या किसी आतंक से नहीं... एक 'कुत्ते' की बेपरवाह चोट से भी आ जाती है।

उत्तराखंड पुलिस के सब-इंस्पेक्टर दीपक कुमार ने वर्दी पहनकर कानून की हिफ़ाज़त में अपनी ज़िन्दगी गुज़ार दी — लेकिन उन्हें मौत ने जिस तरह गले लगाया, वो हर इंसान को झकझोर देने वाली है।


खबर की शुरुआत: एक आम शाम, एक अनहोनी वारदात

चार दिन पहले की बात है —
शामली जनपद के बाजार में, सादगी से खरीदारी करते हुए
दीपक कुमार, जो कि गढ़ीपुख्ता के पेलखा गांव के रहने वाले थे,
अपने घर आए थे।
बिलकुल आम दिन, आम लिबास, कोई सुरक्षा नहीं — सिर्फ़ एक नागरिक के तौर पर।

लेकिन शायद किस्मत को कुछ और मंज़ूर था।
एक आवारा कुत्ते ने अचानक उन पर हमला कर दिया।
गंभीर रूप से घायल हुए दीपक कुमार को फ़ौरन अस्पताल ले जाया गया।
इलाज के लिए उन्हें मेरठ के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।


इलाज चला... लेकिन वक़्त नहीं थमा

चार दिन तक डॉक्टरों की कोशिशें चलीं,
पर ज़हर शरीर में इस कदर फैल चुका था कि
दीपक कुमार ने आज सुबह हमेशा के लिए आंखें मूंद लीं।
वो चले गए — खामोशी से, बगैर किसी सायरन, बगैर किसी गारद के।


एक अफसर नहीं, एक बेटा, एक भाई, एक जिम्मेदार नागरिक चला गया

दीपक कुमार महज़ एक सब-इंस्पेक्टर नहीं थे,
बल्कि वो उन चंद अफसरों में थे जो ड्यूटी को फ़र्ज़ से बढ़कर समझते थे।
पुलिस महकमे में उनका नाम इज़्ज़त से लिया जाता था।
वो जहां भी तैनात रहे, अपनी ईमानदारी और पेशेवर अंदाज़ के लिए जाने गए।

आज जब वो चले गए हैं, तो सिर्फ़ उनकी वर्दी नहीं छूटी —
बल्कि पुलिस विभाग एक सच्चे सिपाही से महरूम हो गया है।


समाज और सिस्टम के लिए एक सवाल

आख़िर क्यों अब भी रेबीज़ जैसे घातक संक्रमण को लेकर लापरवाही है?
क्यों मेडिकल सिस्टम में अब भी वक्त पर टीका नहीं मिल पाता?
और कब तक हमारे वर्दीधारी सिपाही ऐसी अनदेखी मौतों का शिकार बनते रहेंगे?

ये हादसा एक चेतावनी है —
सिर्फ़ पुलिस के लिए नहीं,
बल्कि पूरे सिस्टम के लिए कि
सेवा देने वालों की सुरक्षा पहले होनी चाहिए।


"सलाम खाकी" से एक विशेष अपील

"सलाम खाकी" — पुलिस विभाग को समर्पित देश की इकलौती राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
हर उस आवाज़ को बुलंद करती है जो वर्दी के पीछे की कुर्बानियों को पहचानती है।

अगर आप भी पुलिस विभाग की ख़बरों, रिपोर्टों, और उनके हक़ की लड़ाई से जुड़ना चाहते हैं —
तो अपना Resume भेजिए:
📱 WhatsApp नंबर: 8010884848


आख़िर में, एक श्रद्धांजलि...

"वर्दी ओढ़कर जिसने फ़र्ज़ निभाया,
वो चुपचाप इस जहां से चला गया।
मौत आई एक आम ज़ख़्म बनकर,
लेकिन शहादत छोड़ गया..."

दीपक कुमार जी को "सलाम खाकी" परिवार की तरफ़ से दिली श्रद्धांजलि।
आपकी चुपचाप दी गई कुर्बानी को हम सलाम करते हैं।



No comments:

Post a Comment