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पुलिस की नौकरी मात्र सेवा नहीं अपितु तपस्या है - डॉक्टर के पी सिंह



पुलिस की नौकरी मात्र सेवा नहीं अपितु तपस्या है: डॉ. के पी सिंह
सौभाग्यशाली होते हैं पुलिस सेवा में शामिल

 मधुबन: हरियाणा पुलिस अकादमी मधुबन में हरियाणा के पूर्व डीजीपी एवं राज्य सतर्कता ब्यूरो के महानिदेशक डॉ. के पी सिंह के सेवानिवृत्त अवसर पर सम्मान विदाई परेड का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. के पी सिंह ने सशस्त्र पुलिस टुकड़ी से सलामी ली। डॉ. के पी सिंह 35 साल के सफल सेवाकाल के बाद आज सेवानिवृत्त हो रहे हंै। इस अवसर पर हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव विशेष रूप से उपस्थित रहे। 

डॉ. के पी सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि पुलिस सेवा मात्र वेतन पाने का जरिया नहीं बल्कि एक तपस्या है जिसमें हमें निजी हित भूलकर लगातार कत्र्तव्य निभाना होता है। जिन्हें पुलिस में सेवा करने का अवसर प्राप्त होता है वे बहुत सौभाग्यशाली होते हैं। किसी भी प्रकार की विपत्ति के समय समाज को व्यवस्थित रखने की जिम्मेवारी का अहसास एक पुलिसधर्मी को नर से नारायण बनाने की क्षमता रखता है। दूसरे की शंकाओं और समस्याओं का विषपान करके उनके समाधान की अपेक्षाओं पर खरा उतरना पुलिस वाले को नीलकण्ठ बनाता है। हरियाणा पुलिस ने कोविड-19 के दौरान साबित भी कर दिखाया है। 

उन्होंने हरियाणा पुलिस के बारे में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि हरियाणा पुलिस एक बहादुर पुलिस है इसमें क्षमता भी है और जीवट भी। मानव तथा राष्ट्र की सेवा करने का जज्बा हरियाणा पुलिस के जवानों में कूट-कूट कर भरा है। आतंकवाद से लेकर कोरोना से लड़ाई तक हरियाणा पुलिस ने हमेशा अपनी योग्यता को प्रदर्शित किया है। उन्होंने अपने अगले जन्म में भी इस जंाबाज पुलिस विभाग का हिस्सा बनने की अभिलाषा जताई।

डॉ. सिंह ने 35 साल के अनुभव का निचोड़ बताते हुए कहा कि हमेशा विद्यार्थी बने रहें और अपने ज्ञान में बढ़ोतरी करते रहें। इसके बिना न्याय की जंग में विजय हासिल नहीं हो सकती। अपने, अपने परिवार तथा समाज के लिए थोड़ा वक्त जरूर निकालें। अपनी वरीयताओं का निर्धारण करते रहें। कामयाबी की दौड़ में भागते न रहकर कुछ समय रूकेें और आत्मविशलेषण जरूर करंे फिर पुर्ननिर्धारण करें।


उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा का हमेशा सम्मान करें और किसी से वैसा ही बर्ताव करें जैसा आप अपने लिए और अपने परिवार व मित्रों के लिए चाहते हैं। जीवन में मशीन की बजाय इंसान बनें उन लोगों की सुनें जिनकी कोई नहीं सुनता या जो फरियादी अपनी बात नहीं सुना सकते। क्योंकि जो सक्षम हैं वह तो अपनी बात आपको किसी भी माध्यम से सुना ही देगा। परन्तु  आप वह सुनने की कोशिश करो जो सुनाई नहीं दे रहा, वह देखने की कोशिश करो जो दिखाई नहीं दे रहा। यह सब करने से साधारण पुलिसकर्मी भी एक जिम्मेवार व संवेदनशील पुलिस अफसर बन सकता है। उन्होंने कहा कि न्याय का अर्थ केवल कानून लागू करना मात्र नहीं, बल्कि उससे परे भी संबंधित की परिस्थितियों को भी समझना है। 
मुख्य अतिथि ने अपने सफल कार्यकाल के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों, साथी अधिकारियों एवं कर्मचारियों सहित अपने परिवार एवं जनता का सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने प्रदेश के शीर्ष राजनीतिक नेत्तृत्व के प्रति भी अपनी कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने निदेशक हरियाणा पुलिस अकादमी योगिन्द्र सिंह नेहरा का शानदार विदाई परेड आयोजन के लिए आभार व्यक्त किया व सराहना की। उन्होंने पुलिस अधिकारी मोहम्मद अकील व अरशिंदर चावला का भी आभार व्यक्त किया।

इससे पूर्व हरियाणा पुलिस के महानिदेशक मनोज यादव ने स्वागत संबोधन में डॉ. के पी सिंह की कार्यशैली एवं जीवन से परिचय कराते हुए कहा कि ऐसे पुलिस अधिकारी विभाग एवं समाज के लिए अमूल्य संपत्ति होते हैं। इन्होंने अपने ज्ञान एवं कौशल से हरियाणा पुलिस में विभिन्न पदों पर रहते हुए लाभान्वित किया है। इनका योगदान सदैव प्रेरित करता रहेगा। उन्होंने डॉ. सिंह के सफल सेवाकाल के पूर्ण होने पर उन्हें व परिवारजनों को बधाई देेते हुए उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं व उन्हें स्मृतिचिन्ह भी भेंट किया। 

परंपरा अनुसार जिप्सी को रस्से से खींचकर पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों ने डॉ. के पी  सिंह पर पुष्पवर्षा करते हुए ससम्मान विदाई दी। सम्मान परेड की कमान अकादमी के डीएसपी सुंदर सिंह ने की।

कार्यक्रम के अंत में हरियाणा सशस्त्र पुलिस के महानिरीक्षक हरदीप सिंह दून ने मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथिगण का आभार व्यक्त किया। 

दीर्घा में मुख्य अतिथि के पारिवारिक सदस्य श्रीमती विनीता यादव, ब्रिगेडियर राजकुमार, श्रीमती राजश्री, मेजर अर्जुन चौधरी, डॉ. दीपा सिंह व डॉ. मालविका सिंह विशेष रूप से उपस्थित रहे।


इस अवसर पर डॉ. के पी सिंह के बैचमेट महानिदेशक कारागार हरियाणा के. सेल्वराज, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्रीकांत जाधव, पुलिस महानिरीक्षक भारती अरोड़ा, उप पुलिस महानिरीक्षक कुलविन्द्र ङ्क्षसह, उप पुलिस महानिरीक्षक ओ.पी. नरवाल, पुलिस अधीक्षक वसीम अकरम, पुलिस अधीक्षक कृष्ण मुरारी, पुलिस अधीक्षक हामिद अख्तर, पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र कुमार मीणा, पुलिस अधीक्षक मनीषा चौधरी, पुलिस अधीक्षक सुरेन्द्र पाल, पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह, पुलिस अधीक्षक सुरेन्द्र सिंह, पुलिस अधीक्षक आस्था मोदी भी उपस्थित रहे।

डॉ. के पी सिंह का जन्म 1 जुलाई 1960 को गांव मवी कलां जिला सहारनपुर उत्तर प्रदेश में हुआ। आपकी शैक्षणिक योग्यता एम.ई. (सिविल) एल.एल.बी., एल.एल.एम., पीएचडी है। आप वर्ष 1985 हरियाणा कॉडर के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी है। 

पुलिसिंग में एएसपी से अपना सफर आरम्भ करते हुए आपने हरियाणा पुलिस के शीर्ष पर रहते हुए हरियाणा पुलिस का नेत्तृत्व किया। आप पुलिस अधीक्षक पद पर हरियाणा के 8 जिलों क्रमश: भिवानी, हिसार, कैथल, अम्बाला, रोहतक, जीन्द, महेन्द्रगढ़, सोनीपत में बखूबी कमाण्ड संभाली। आपने एसपी पद पर राज्य अपराध शाखा, सीआईडी, एससीआरबी और एचएपी में भी अपनी सेवाएं दी।

आपने डीआईजी और आईजी के पद पर 4 साल तक हरियाणा पुलिस के सीआईडी प्रमुख के रूप में चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी का निर्वहन किया। पुलिस महानिरीक्षक के रूप में आपने आईजीपी अम्बाला रेंज, उप निदेशक राज्य सतर्कता ब्यूरो, सुरक्षा हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम लिमिटड, होमगार्ड प्रशिक्षण केन्द्र हरियाणा, हरियाणा पुलिस अकादमी मधुबन, आईजी ट्रेनिंग हरियाणा पंचकुला, आईजी जेल, पदों पर महत्वपूर्ण कार्य किया। 

आप अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जेल व रिफॉर्मस, महानिदेशक जेल, के पद पर कार्य करते हुए हरियाणा के सुधार गृहों में पारदर्शिता लाने में सूचना प्रोद्यौगिकी का कार्य में उपयोग करने जैसे क्षेत्रों में असाधारण कार्य किया।

डॉ. सिंह डीजीपी राज्य अपराध शाखा हरियाणा, हरियाणा मानवाधिकार आयोग और 13 अप्रैल 2016 से 27 अप्रैल 2017 तक व 1 से 21 फरवरी 2019 तक पुलिस महानिदेशक हरियाणा के पद पर हरियाणा पुलिस का नेत्तृत्व करते हुए अमिट छाप छोड़ी। वर्तमान में आप महानिदेशक राज्य सतर्कता ब्यूरो हरियाणा के पद से से सेवानिवृत्त हो रहे है।

डॉ. सिंह एक अच्छे पुलिस अधिकारी होने के साथ-साथ एक अच्छे लेखक और प्रशिक्षक भी है। साहित्य, पुलिस प्रशिक्षण और कानूनी विषयों पर आपकी 24 पुस्तके, 4 मोनोग्राफ और ज्वलंत सामयिक विषयों पर 500 से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं। देश के बढ़े समाचार पत्रों, पुलिस विज्ञान पत्रिका, बीपीआरडी जरनल, द इण्डियन पुलिस जरनल, सीबीआई बुलेटीन के पाठकों को आपके ज्ञानवर्धक लेखों का बेसब्री से इंतजार रहता है। 

बच्चों, महिलाओंं, वरिष्ठ नागरिकों और नागरिक अधिकारों से जुड़े कानूनों तथा संवेदनशील विषयों पर आपने 300 से अधिक व्याख्यान विभिन्न संस्थानों में दिए हैं। आप इंस्टीटयूट ऑफ करेकशनल एडमिनिस्ट्रेशन चण्डंीगढ़, हरियाणा इंस्टीटयूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन ग्ररुग्राम, महात्मा गांधी इंस्टीटयूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन चण्डीगढ़, सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी हैदराबाद, नेशनल लॉ युनिवर्शिटी नई दिल्ली, इंस्टीटयूट ऑफ सोशल साईस नई दिल्ली, हरियाणा इंस्टीटयूट ऑफ रूरल डवलपमेंट नीलोखेड़ी, चण्डीगढ़ ज्यूडीशियल अकादमी, सीडीटीएस चण्डीगढ़, हरियाणा पुलिस अकादमी मधुबन जैसे देश के अनेक प्रतिष्ठित संस्थानों के लिए अतिथि वक्ता है।

आपको प्रदान किए जाने वाले सम्मान एवं  पुरस्कारों की सूची भी बहुत लम्बी है। आपको वर्ष 2016 में सराहनीय सेवाओं के लिए भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित पुलिस मेडल से अलंकृत किया गया है। साहित्य लेखन और प्रशिक्षण पुस्तकों के लेखन के लिए भी आपको 6 बार राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर पुरस्कृत किया गया है। 

आपको पुस्तक, ‘काले कच्छे वाले’ तथा ‘पुलिस ज्ञान-विज्ञान’ के लिए पंडित गोविंद वल्लभपंत पुरस्कार से नवाजा गया। ‘मानव अधिकार एवं पुलिस तंत्र’ पुस्तक के लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पुरस्कार,  हिन्दी लेखन के लिए भारत सरकार से प्रतिष्ठित राजीव गांधी हिन्दी लेखन पुरस्कार और 2003 में पुस्तक समांतर के लिए व 2012 में हिन्दी कहानियों के लिए दो बार हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया है। आपने न केवल राज्य व देश में बल्कि विदेशों में भी अपनी प्रतिभा की चमक दिखाई है। आपने दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, फ्रांस, इटली, बेल्जियम, मोंटी-कार्लो, संयुक्त अरब अमीरात व टयूनिशिया का भ्रमण किया है। 
व्यस्त पेशेवर जीवन में भी आप, अपने व समाज के लिए समय निकाल कर सैर करते है, गोल्फ, क्रिकेट खेलते है।

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