उपायुक्त नर्सिंग बागड़ 
जिला में सभी निराश्रय पशुओं को गौशालाओं में आश्रय देने के लिए पशुधन सर्वेक्षण समिति का गठन
फतेहाबाद, 24 जून।
जिला में सभी निराश्रय पशुओं, विशेषकर गायों और नंदियों को जिले की गौशालाओं में आश्रय प्रदान करने के उद्देश्य से पशुधन सर्वेक्षण समितियों का गठन किया है। जिला स्तर पर इन समितियों की निगरानी पशुपालन विभाग के उप निदेशक करेंगे और उन्हें सदस्यों की संख्या पांच से छह करने का भी अधिकार होगा। पांच सदस्यों वाली इन खंड स्तरीय समितियों की अध्यक्षता वेटरनरी सर्जन करेंगे और इसके अन्य सदस्यों में गौ-सेवा आयोग के प्रतिनिधि, क्षेत्र की प्रमुख गौशाला के संचालक और जिला उपायुक्त के स्तर पर दो समाजसेवी शामिल होंगे।
फतेहाबाद, 24 जून।
जिला में सभी निराश्रय पशुओं, विशेषकर गायों और नंदियों को जिले की गौशालाओं में आश्रय प्रदान करने के उद्देश्य से पशुधन सर्वेक्षण समितियों का गठन किया है। जिला स्तर पर इन समितियों की निगरानी पशुपालन विभाग के उप निदेशक करेंगे और उन्हें सदस्यों की संख्या पांच से छह करने का भी अधिकार होगा। पांच सदस्यों वाली इन खंड स्तरीय समितियों की अध्यक्षता वेटरनरी सर्जन करेंगे और इसके अन्य सदस्यों में गौ-सेवा आयोग के प्रतिनिधि, क्षेत्र की प्रमुख गौशाला के संचालक और जिला उपायुक्त के स्तर पर दो समाजसेवी शामिल होंगे।
इस बारे विस्तार से जानकारी देते हुए उपायुक्त डॉ नरहरि सिंह बांगड़ ने आज बुधवार को यहां बताया कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के सभी खंडों में 225 पशुधन सर्वेक्षण समितियों का गठन किया जाएगा। ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में निराश्रय पशुओं की संख्या, विशेषकर गाय और नंदी काफी संख्या में है, जो सडक़ों पर घूमते हैं और चारे के आभाव में पॉलीथिन व अन्य अपशिष्ट पदार्थ खाकर बीमार हो जाते हैं जो चिंता का विषय है। निराश्रय पशुओं के सडक़ों पर घूमने से दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। गौशालाओं में निराश्रय पशुओं को आश्रय मिलने पर दुर्घटनाओं से निजात मिलेगी और यातायात भी सुगम होगा।
उपायुक्त डॉ बांगड़ ने कहा कि प्राय: यह देखने में आया है कि सभी गौशालाएं गायों को रखने के लिए तैयार हो जाती हैं, लेकिन नंदियों को रखने के लिए कोई तैयार नहीं होता। उन्होंने गौशाला संचालकों से आग्रह किया कि वे नंदियों को आश्रय प्रदान करने के लिए अलग से नंदी शालाएं बनाएं। उन्होंने बताया कि जिला में आवश्यतानुसार नई गौशालाएं तथा नंदीशालाओं के निर्माण के लिए पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उपनिदेशक स्थानों का चयन करेंगे। उपायुक्त ने जिला में गौशालाओं में पशुधन की संख्या व निराश्रय गौधन व नंदियों की संख्या के बारे में उप निदेशक डॉ काशीराम से जानकारी भी ली।
उपायुक्त डॉ बांगड़ ने कहा कि प्राय: यह देखने में आया है कि सभी गौशालाएं गायों को रखने के लिए तैयार हो जाती हैं, लेकिन नंदियों को रखने के लिए कोई तैयार नहीं होता। उन्होंने गौशाला संचालकों से आग्रह किया कि वे नंदियों को आश्रय प्रदान करने के लिए अलग से नंदी शालाएं बनाएं। उन्होंने बताया कि जिला में आवश्यतानुसार नई गौशालाएं तथा नंदीशालाओं के निर्माण के लिए पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उपनिदेशक स्थानों का चयन करेंगे। उपायुक्त ने जिला में गौशालाओं में पशुधन की संख्या व निराश्रय गौधन व नंदियों की संख्या के बारे में उप निदेशक डॉ काशीराम से जानकारी भी ली।
उपायुक्त ने बताया कि इन पशुधन सर्वेक्षण समितियों का पहला कार्य अपने-अपने क्षेत्रों में गौशालाओं, गौशालाओं से बाहर निजी तौर पर अपने-अपने घरों में रखे जाने वाले गौधन, विशेषकर गायों और नंदियों की संख्या की गणना व उपयोगी व अनुपयोगी मापदंडों को तय करना, गौशालाओं के लिए जमीन की आवश्कता की संभावनाएं तलाशनी होगा। चारे के लिए गौशालाएं पट्टे पर ग्राम पंचायतों की गौ-चरण भूमि का उपयोग कर सकती हैं, यदि गौशाला उसी ग्राम पंचायत की है तो 5000 रुपए प्रति एकड़ प्रति वर्ष और दूसरी ग्राम पंचायत की है तो 7000 रुपए प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से देनी होगी जरूरत पडऩे पर शहरी क्षेत्रों में शहरी स्थानीय निकाय विभाग शहर के बाहरी क्षेत्र में तथा पंचायत विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में गौशालाओं के लिए जमीन उपलब्ध करवाएगा। सभी उपयोगी व अनुपयोगी गौधन की अलग-अलग रंग से टैगिंग की जाएगी। यह उपयोगी व अनुपयोगी की श्रेणी समय के साथ परिवर्तित की जा सकती है। सभी वैटरनरी सर्जन सांझा सेवा केंद्रों के माध्यम से गोधन का डाटा जुटाकर ऑनलाइन अपडेट करेंगे। चाहे कोई गौशाला सरकारी अनुदान ले अथवा न ले, सभी को पशुपालन विभाग के माध्यम से रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा।
गौशालाओं को यू मिलेगा अनुदान:-
उपायुक्त डॉ बांगड़ ने बताया कि 33 प्रतिशत से कम अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को कोई सरकारी अनुदान प्रदान नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 33 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तथा इससे अधिक अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को प्रति वर्ष पशुधन की सुरक्षा व देखभाल के लिए धनराशि उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि 76
ब्युरो चीफ़ 
उजागर सिंह की रिपोर्ट 
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