हरी-भरी हो धरती- प्रमोद दीक्षित 'मलय
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हरे वृक्ष कभी ना काटें,
पौधे प्रचुर लगाएं।
सुंदर हो देश हमारा,
मिलकर खूब सजाएं।।
गांव, नगर, द्वार-गली में,
पेड़ हंसे-मुस्काएं।
आते जाते पथिक बिहग,
बैठ सदा सुख पाएं।।
हरी-भरी हो धरती यह
सुखद परिवेश बनाएं।।
जीव-जंतु सब निर्भय हों,
मधुर नेह बरसाएं।।
रंग बिरंगे खिलें फूल,
मन को बहुत लुभाएं।
रहे सुवासित धरा-गगन
पवन-नीर महकाएं।।
प्रकाशित-
सलाम खाकी न्यूज से प्रदेश ब्यूरो
पत्रकार इन्द्रपाल सिंह की रिपोर्ट
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हरे वृक्ष कभी ना काटें,
पौधे प्रचुर लगाएं।
सुंदर हो देश हमारा,
मिलकर खूब सजाएं।।
गांव, नगर, द्वार-गली में,
पेड़ हंसे-मुस्काएं।
आते जाते पथिक बिहग,
बैठ सदा सुख पाएं।।
हरी-भरी हो धरती यह
सुखद परिवेश बनाएं।।
जीव-जंतु सब निर्भय हों,
मधुर नेह बरसाएं।।
रंग बिरंगे खिलें फूल,
मन को बहुत लुभाएं।
रहे सुवासित धरा-गगन
पवन-नीर महकाएं।।
प्रकाशित-
सलाम खाकी न्यूज से प्रदेश ब्यूरो
पत्रकार इन्द्रपाल सिंह की रिपोर्ट
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