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कहां है ललितपुर का आबकारी विभाग , जो अंग्रेजी शराब के ठेके से साढूमल में बिकवाई जा रही अवैध देशी शराब

शराब सेल्समैन और विभाग की सांठगांठ से साढ़ूमल अंग्रेजी दुकान बनी सिरमौर



आबकारी अधिकारी के संरक्षण में खुलेआम अग्रेजी से बेचीं जा रही देशी शराब



शराब दुकान से ही बिकवाई जा रही अवैध शराब


मुनाफा कमाने के फेर में सेल्समेन अंग्रेजी दुकान से आसपास के गांवों में भेज रहा देशी शराब
 


लितपुर (उ०प्र०) 16 जनवरी 2020

देशी अवैध शराब के कारोबार में अंग्रेजी शराब दुकान साढ़ूमल ललितपुर जिले में नाम कर रही है।आबकारी विभाग अवैध शराब बिक्री को बढावा देने के लिए ठेकेदारों से मदद ले रहा है और ठेकेदार अपना मुनाफा बढाने के लिए अवैध शराब बिक्री के नये नये तरीके अपना रहे हैं। जिसके चलते जहां पर शराब की दुकानें भी नहीं हैं वहां पर अघोषित रूप से शराब दुकानें संचालित हो रही हैं। चाय, पान की छोटी से छोटी गुमटियो पर शाम होते ही मदिरा दुकानों में तब्दील हो जाती हैं । यह कारोबार जिले के किसी एक स्थान पर नहीं वरन जनपद के छोटे छोटे ग्रामीण गांव से लेकर कस्बो में दिनों दिन फैल रहा है। ठेकेदार तथा आबकारी अधिकारियों की सांठ गांठ से शासन को अरबों रूपये का चूना लगाया जा रहा है।

ललितपुर जिले में आबकारी विभाग अवैध शराब बिक्री को रोकने के बजाय अवैध शराब बिक्री को खुला संरक्षण देने में जुटा है। शासन को करोड़ों रूपये का चूना लगाकर आबकारी विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी अपनी काली कमाई के स्त्रोतों से इजाफा करने में ठेेकेदारों के माध्यम से उन गांवों एवं मुहल्लों में अवैध शराब का विक्रय कराने में सहयोगी बने हुए हैं जहां शराब दुकानें स्वीकृत ही नहीं हैं।



खुलेआम अंग्रेजी दुकान पर बिक रही देशी शराब




जनपद की साढ़ूमल अंग्रेजी शराब की पर आपको हर ब्रान्ड की शराब तो मिलेगी ही साथ अवैध रूप से 24 घंटे देशी शराब भी उपलब्ध मिलेगी। और इस दुकान पर अवैध शराब का खुलेआम परिवहन जनपद की अन्य दुकानों से किया जाता है । अवैध शराब परिवहन की जानकारी कई बार सक्षम आबकारी अधिकारी एवं आबकारी निरीक्षको को दूरभाष के जरिये दी गई लेकिन ठेकेदारों से मिलीभगत के कारण इस  पर कार्रवाई नहीं की जाती है। सूत्रों की माने तो प्रत्येक माह मालिक से आबकारी विभाग 5 से 10 हजार रूपये प्रतिमाह नजराना वसूल कर रहा है। 



मजाल है जो साहब उफ भी करें


जी हां ऐसा हम नहीं कहते अपितु यह जिले के ठेकेदारों और माफियाओं की ही मुंह जुबानी है । उनका तो साफ कहना होता है कि जब साहब को हर महीने समय पर उनका नजराना पहुंचा दिया जाता है तो भला साहब क्यूं हमारे काम में दखलंदाजी करेंगे। देखा भी ऐसा ही जाता है कि आबकारी विभाग में जाकर कोई लाख शिकायत कर ले, पर उन शिकायतों पर कार्यवाही मानो चिडिया उड ही साबित होती है।




मौका मिलते ही मारते हैं चौका

         ऐसा नहीं है कि उक्त आला अधिकारी हमेशा ही अपने कार्यालय की चार दिवारी की कैद में बैठे रहते हों ऐसा भी देखा जाता रहा है कि इन्हें जब भी मौका मिला है इन्होनें खामोशी के साथ चौका ही जड़ा है। मजाल है कि फिर कोई इनकी गिरफ्त से छूट पाया हो । हां यह बात अलग है कि इनके चौका का लाभ विभाग को भले ही न मिला हो, लेकिन इनके स्वयं के लिए हमेशा ही फायदेमंद रहा है या रहता है।


सलाम खाकी न्यूज ललितपुर से पत्रकार इन्द्रपाल सिंह की रिपोर्ट

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