नागरिकता संशोधित बिल के विरोध में जहां देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं वहीं सहारनपुर जनपद भी इससे अछूता नहीं रहा हालांकि सहारनपुर के जिलाधिकारी ने स्थिति को भागते हुए नेट सेवाएं बंद करवा दी थी आज 1 सप्ताह बाद नेट सेवा बहाल हो गयी। लेकिन सहारनपुर जनपद हिंसा से बिल्कुल कोसों दूर है इसका कारण यदि आकलन किया जाए तो यहां के पुलिस प्रशासनिक अधिकारी है.. सहारनपुर जनपद जिसमें फतवों की नगरी देवबंद हो जो पूरे एशिया में भी साथ हो ऐसे में जब कैब और एनआरसी को लेकर पूरे देश भर में जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हो हिंसा हो रही हो तो सहारनपुर पर किसी की निगाह ना हो देवबंद से उठने वाली आवाज को देशभर में सुना जाता है।
ऐसे में सभी की निगाहें सहारनपुर जनपद पर लगी हुई थी यहां होने वाले प्रदर्शनों पर लगी हुई है 20 दिसंबर को सुबह से ही सहारनपुर में फ्लैग मार्च हो रहा था तो चप्पे-चप्पे पर पुलिस की थी जुमे की नमाज के बाद घंटाघर चौक पर तो जैसे भीड़ का सैलाब ही उमड़ पड़ा था चारों ओर केवल नारे ही नारे सुनाई दे रहे थे हजारों की भीड़ थी लेकिन इस भीड़ का कोई नेतृत्व नहीं था कोई नेता नहीं था जो इतनी भीड़ को संभाल सकें ऐसे में इस उन्मादी भीड़ को संभालना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं था लेकिन इसे संभव बनाया।
सहारनपुर के जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडे और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी जोड़ी ने... शायद इन दोनों अधिकारियों को पहले से अंदाजा था कि किस तरह की भीड़ और लगभग कितनी भीड़ सहारनपुर में हो सकती है और इसी को निपटने के लिए इन्होंने देर रात तक अधिकारियों सहारनपुर के कई गणमान्य लोगों सहित मुस्लिम वर्ग के कई प्रबुद्ध लोगों से वार्ता की इतना ही नहीं नागरिक सुरक्षा कोर के वार्डनो की ड्यूटी भी लगाई गई जो कि बिना वर्दी के नमाजियों के बीच में रहे इन मुस्लिम वार्डनो ने ना केवल नमाजियों के बीच बैठकर नमाज पढ़ी बल्कि भीड़ आगे बढ़ाने और तितर-बितर का भी काम किया
जहां उत्तर प्रदेश के कई जनपदों से हिंसा की खबरें आ रही थी फायरिंग और आगजनी हो रही थी वही सहारनपुर में केवल नारेबाजी थी थी सहारनपुर में कोई किसी भी तरह की हिंसा नहीं हुई किसी भी सरकारी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचा किसी ने किसी को कोई क्षति नहीं पहुंचाई
भले ही इसके लिए जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडे वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी को अपने अन्य अधिकारियों के साथ नगर की एक बार नहीं कई बार दौड़ लगानी पड़ी हो लेकिन सहनशीलता धैर्य और संयम के साथ अपनाई गई रणनीति ने सहारनपुर को जलने से बचा लिया जहां चैनलों पर अखबारों मैं कई जनपदों में हिंसा के तांडव इन रूप नजर आ रहे थे
वही सहारनपुर इन सबसे दूर सांप्रदायिक सौहार्द के चेहरे में मुस्कुरा रहा था और इस उपलब्धि का सबसे बड़ा कारण रहे आलोक कुमार पांडे जिलाधिकारी और एसएसपी दिनेश कुमार पी और उनके अधीनस्थ काम करने वाले टीम..
वही22दिसम्बर को जब देवबंद जो फलों की नगरी कहलाती है वहां के ईदगाह मे जमीयत उलेमा हिंद के बैनर तले तले हजारों की संख्या में मुस्लिम वर्ग के लोगों की भीड़ उमड़ी और इतना ही नहीं जबरदस्त नारेबाजी करते हुए उन्होंने भूख हड़ताल की घोषणा भी की लेकिन यह यहां के अधिकारियों की कार्यप्रणाली और रणनीति के साथ साथ उनकी व्यवहार कुशलता रही कि इतने हजारों की भीड़ से हिंसा भी कोसों दूर नजर आए गांधीवादी तरीके से भूख हड़ताल और विरोध प्रदर्शन हुआ लेकिन किसी तरह की कोई क्षति नहीं हुई
इसे अगर यहां के अधिकारियों की उपलब्धि ना कहा जाए तो क्या कहा जाए ऐसे में जब सभी जगह से हिंसा की ख़बरें आ रही हो तो सहारनपुर अहिंसा का संदेश दे रहा है इसके लिए वास्तव में यहां के जिलाधिकारी और एसएसपी बधाई के पात्र हैं
ऐसे में सभी की निगाहें सहारनपुर जनपद पर लगी हुई थी यहां होने वाले प्रदर्शनों पर लगी हुई है 20 दिसंबर को सुबह से ही सहारनपुर में फ्लैग मार्च हो रहा था तो चप्पे-चप्पे पर पुलिस की थी जुमे की नमाज के बाद घंटाघर चौक पर तो जैसे भीड़ का सैलाब ही उमड़ पड़ा था चारों ओर केवल नारे ही नारे सुनाई दे रहे थे हजारों की भीड़ थी लेकिन इस भीड़ का कोई नेतृत्व नहीं था कोई नेता नहीं था जो इतनी भीड़ को संभाल सकें ऐसे में इस उन्मादी भीड़ को संभालना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं था लेकिन इसे संभव बनाया।
सहारनपुर के जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडे और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी जोड़ी ने... शायद इन दोनों अधिकारियों को पहले से अंदाजा था कि किस तरह की भीड़ और लगभग कितनी भीड़ सहारनपुर में हो सकती है और इसी को निपटने के लिए इन्होंने देर रात तक अधिकारियों सहारनपुर के कई गणमान्य लोगों सहित मुस्लिम वर्ग के कई प्रबुद्ध लोगों से वार्ता की इतना ही नहीं नागरिक सुरक्षा कोर के वार्डनो की ड्यूटी भी लगाई गई जो कि बिना वर्दी के नमाजियों के बीच में रहे इन मुस्लिम वार्डनो ने ना केवल नमाजियों के बीच बैठकर नमाज पढ़ी बल्कि भीड़ आगे बढ़ाने और तितर-बितर का भी काम किया
जहां उत्तर प्रदेश के कई जनपदों से हिंसा की खबरें आ रही थी फायरिंग और आगजनी हो रही थी वही सहारनपुर में केवल नारेबाजी थी थी सहारनपुर में कोई किसी भी तरह की हिंसा नहीं हुई किसी भी सरकारी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचा किसी ने किसी को कोई क्षति नहीं पहुंचाई
भले ही इसके लिए जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडे वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी को अपने अन्य अधिकारियों के साथ नगर की एक बार नहीं कई बार दौड़ लगानी पड़ी हो लेकिन सहनशीलता धैर्य और संयम के साथ अपनाई गई रणनीति ने सहारनपुर को जलने से बचा लिया जहां चैनलों पर अखबारों मैं कई जनपदों में हिंसा के तांडव इन रूप नजर आ रहे थे
वही सहारनपुर इन सबसे दूर सांप्रदायिक सौहार्द के चेहरे में मुस्कुरा रहा था और इस उपलब्धि का सबसे बड़ा कारण रहे आलोक कुमार पांडे जिलाधिकारी और एसएसपी दिनेश कुमार पी और उनके अधीनस्थ काम करने वाले टीम..
वही22दिसम्बर को जब देवबंद जो फलों की नगरी कहलाती है वहां के ईदगाह मे जमीयत उलेमा हिंद के बैनर तले तले हजारों की संख्या में मुस्लिम वर्ग के लोगों की भीड़ उमड़ी और इतना ही नहीं जबरदस्त नारेबाजी करते हुए उन्होंने भूख हड़ताल की घोषणा भी की लेकिन यह यहां के अधिकारियों की कार्यप्रणाली और रणनीति के साथ साथ उनकी व्यवहार कुशलता रही कि इतने हजारों की भीड़ से हिंसा भी कोसों दूर नजर आए गांधीवादी तरीके से भूख हड़ताल और विरोध प्रदर्शन हुआ लेकिन किसी तरह की कोई क्षति नहीं हुई
इसे अगर यहां के अधिकारियों की उपलब्धि ना कहा जाए तो क्या कहा जाए ऐसे में जब सभी जगह से हिंसा की ख़बरें आ रही हो तो सहारनपुर अहिंसा का संदेश दे रहा है इसके लिए वास्तव में यहां के जिलाधिकारी और एसएसपी बधाई के पात्र हैं
No comments:
Post a Comment