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"झूंसी के SHO उपेंद्र सिंह की शाही विदाई: पुलिस सेवा में रिश्तों और सम्मान की मिसाल"

पुलिस सेवा में तबादले आमतौर पर एक साधारण प्रशासनिक प्रक्रिया मानी जाती है — आदेश आता है, चार्ज हैंडओवर होता है, और अधिकारी चुपचाप नए स्थान पर रवाना हो जाते हैं। लेकिन प्रयागराज के झूंसी थाना प्रभारी (SHO) उपेंद्र प्रताप सिंह की विदाई ने इस परंपरा को एकदम अलग रंग दे दिया। यह कोई साधारण विदाई नहीं थी, बल्कि एक ऐसा आयोजन था जिसने पूरे शहर का ध्यान खींच लिया।

जब SHO उपेंद्र प्रताप सिंह का गैर जनपद स्थानांतरण हुआ, तो झूंसी ने उन्हें विदा करने का तरीका भी ‘झूंसी स्टाइल’ में ही चुना — शाही अंदाज़, बग्गी की सवारी और जनसैलाब के बीच। यह नजारा किसी राजा की विदाई से कम नहीं था। पहली बार प्रयागराज में किसी थानाध्यक्ष को ऐसी राजसी विदाई मिली, जिसमें न सिर्फ थाना स्टाफ, बल्कि स्थानीय जनप्रतिनिधि, नेता, समाजसेवी और आम लोग भी शामिल हुए।

राजाओं जैसी शान में पुलिस अफसर की रुखसती

विदाई समारोह में SHO उपेंद्र सिंह को एक सजी-धजी बग्गी पर बैठाकर पूरे इलाके में निकाला गया। सड़क किनारे खड़े लोग हाथ हिलाकर उन्हें शुभकामनाएँ दे रहे थे। फूलों की वर्षा, गाड़ियों का काफिला और लोगों की भीड़ ने इस जुलूस को किसी जश्न में बदल दिया। आमतौर पर पुलिस अधिकारी के तबादले पर कुछ सहयोगी एक साधारण मीटिंग में विदाई देते हैं, लेकिन यहाँ की कहानी बिल्कुल अलग थी।

विवादों में भी आए सुर्खियों में
उपेंद्र प्रताप सिंह का नाम उस समय सुर्खियों में आया था जब झूंसी थाने में बीजेपी नेता मनोज पासी के साथ हुए विवाद के मामले में उनकी भूमिका की जाँच हुई थी। इस घटना के बाद चार पुलिसकर्मी निलंबित किए गए थे। इसके बावजूद, उनके कार्यकाल में स्थानीय स्तर पर बनाए गए आपसी संबंध और विश्वास इतने मजबूत रहे कि विदाई के समय लोगों ने उन्हें सम्मान और अपनापन के साथ रुखसत किया।

तबादले से परे एक संदेश
SHO उपेंद्र प्रताप सिंह की यह विदाई सिर्फ एक पुलिस अधिकारी के ट्रांसफर की घटना नहीं थी, बल्कि यह उस विश्वास, रिश्ते और जुड़ाव की गवाही थी जो उन्होंने अपने कार्यकाल में लोगों के दिलों में बनाया। बग्गी पर सवार होकर जाते हुए उन्होंने मानो यह संदेश दिया कि पद बदल सकता है, वर्दी के पीछे का इंसान बदल सकता है, लेकिन लोगों के दिलों में छोड़ी गई छाप अमर रहती है।

सलाम खाकी

देश के जांबाज पुलिसकर्मियों को समर्पित एकमात्र राष्ट्रीय समाचार पत्रिका "सलाम खाकी" के लिए प्रयागराज, उत्तर प्रदेश से पत्रकार ज़मीर आलम की यह रिपोर्ट न केवल एक शाही विदाई की कहानी है, बल्कि यह भी याद दिलाती है कि पुलिस सेवा केवल कानून-व्यवस्था तक सीमित नहीं, बल्कि यह भरोसे, रिश्तों और इंसानियत की डोर से भी जुड़ी होती है।

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