जब SHO उपेंद्र प्रताप सिंह का गैर जनपद स्थानांतरण हुआ, तो झूंसी ने उन्हें विदा करने का तरीका भी ‘झूंसी स्टाइल’ में ही चुना — शाही अंदाज़, बग्गी की सवारी और जनसैलाब के बीच। यह नजारा किसी राजा की विदाई से कम नहीं था। पहली बार प्रयागराज में किसी थानाध्यक्ष को ऐसी राजसी विदाई मिली, जिसमें न सिर्फ थाना स्टाफ, बल्कि स्थानीय जनप्रतिनिधि, नेता, समाजसेवी और आम लोग भी शामिल हुए।
राजाओं जैसी शान में पुलिस अफसर की रुखसती
विवादों में भी आए सुर्खियों में
उपेंद्र प्रताप सिंह का नाम उस समय सुर्खियों में आया था जब झूंसी थाने में बीजेपी नेता मनोज पासी के साथ हुए विवाद के मामले में उनकी भूमिका की जाँच हुई थी। इस घटना के बाद चार पुलिसकर्मी निलंबित किए गए थे। इसके बावजूद, उनके कार्यकाल में स्थानीय स्तर पर बनाए गए आपसी संबंध और विश्वास इतने मजबूत रहे कि विदाई के समय लोगों ने उन्हें सम्मान और अपनापन के साथ रुखसत किया।
तबादले से परे एक संदेश
SHO उपेंद्र प्रताप सिंह की यह विदाई सिर्फ एक पुलिस अधिकारी के ट्रांसफर की घटना नहीं थी, बल्कि यह उस विश्वास, रिश्ते और जुड़ाव की गवाही थी जो उन्होंने अपने कार्यकाल में लोगों के दिलों में बनाया। बग्गी पर सवार होकर जाते हुए उन्होंने मानो यह संदेश दिया कि पद बदल सकता है, वर्दी के पीछे का इंसान बदल सकता है, लेकिन लोगों के दिलों में छोड़ी गई छाप अमर रहती है।
सलाम खाकी
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