📅 दिनांक: 31 जुलाई 2025
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मुजफ्फरनगर।
जिलाधिकारी श्री उमेश मिश्रा और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री संजय कुमार वर्मा ने आज संयुक्त रूप से जिला कारागार मुजफ्फरनगर का गहन निरीक्षण किया। यह निरीक्षण न केवल प्रशासनिक दायित्व की पूर्ति का प्रतीक रहा, बल्कि जेल में बंदियों को मानवीय दृष्टिकोण से देखे जाने की सकारात्मक पहल के रूप में भी देखा जा रहा है।
🔎 निरीक्षण की व्यापकता: बैरकों से लेकर अस्पताल तक
निरीक्षण की शुरुआत जेल की पुरुष एवं महिला बैरकों से की गई। अधिकारीगण ने बैरकों की साफ-सफाई, बंदियों के रहन-सहन की स्थिति और वहां की व्यवस्था को नजदीक से देखा। विशेष रूप से रसोईघर का निरीक्षण करते हुए यह सुनिश्चित किया गया कि भोजन गुणवत्तापूर्ण हो और निर्धारित मेन्यू के अनुसार ही परोसा जाए।
अधिकारियों ने रसोई की सफाई, खाद्य सामग्री की गुणवत्ता और बंदियों के लिए उपलब्ध भोजन की संतुलितता की भी सराहना की, परंतु साथ ही सुधार हेतु कुछ आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।
👥 बंदियों से संवाद: समस्याएं सुनी, समाधान का आश्वासन
निरीक्षण के दौरान पुरुष व महिला बंदियों से सीधे संवाद करते हुए अधिकारियों ने उनकी समस्याएं, सुविधाएं और सुझावों को सुना।
यह संवाद मात्र औपचारिकता नहीं था, बल्कि एक संवेदनशील प्रशासनिक प्रयास था, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि जेल एक सुधारगृह के रूप में कार्य कर रहा है, न कि केवल एक दंडस्थल के रूप में।
🗂️ दस्तावेज़ों की जांच और व्यवस्थाओं का अवलोकन
निरीक्षण के दौरान कारागार परिसर एवं कार्यालय की व्यवस्था का भी मूल्यांकन किया गया।
- अभिलेखों का रख-रखाव
- मुलाकाती रजिस्टर की समीक्षा
- सीसीटीवी कैमरों और जैमर प्रणाली की स्थिति
इन सभी बिंदुओं की गंभीरता से जांच की गई ताकि सुरक्षा व्यवस्था में कोई भी शिथिलता न रह जाए।
🏥 जेल अस्पताल का निरीक्षण – स्वास्थ्य सेवाओं पर विशेष जोर
अधिकारियों ने जेल परिसर में स्थित अस्पताल का भी निरीक्षण किया। उन्होंने
- दवाओं की उपलब्धता
- ओपीडी सेवाओं
- रोगियों के उपचार में तत्परता
की जानकारी ली और स्पष्ट निर्देश दिए कि इलाज में किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरती जाए।
⚖️ निर्देश – शासन की मंशा को क्रियान्वित करने का आह्वान
निरीक्षण के अंत में जिला कारागार अधीक्षक को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि—
- बंदियों को शासन की मंशा के अनुरूप समस्त आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।
- शातिर अपराधियों पर कड़ी निगरानी रखी जाए।
- प्रतिबंधित सामग्री किसी भी स्थिति में जेल के अंदर न पहुंचने पाए।
- साफ-सफाई और सुरक्षा व्यवस्था में कोई कोताही न हो।
इसके अतिरिक्त जेल में तैनात पुलिस बल को ड्यूटी के प्रति सजग और संवेदनशील रहने के दिशा-निर्देश भी दिए गए।
✅ निष्कर्ष – न्याय और सुधार की ओर बढ़ता एक कदम
जिला कारागार का यह निरीक्षण केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं था, बल्कि यह राज्य प्रशासन की उस दृष्टि और संवेदनशीलता का परिचायक था, जिसमें बंदी भी समाज के सुधार योग्य नागरिक माने जाते हैं।
"सलाम खाकी" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका इस पहल का स्वागत करते हुए आशा करती है कि प्रशासन की यह निगरानी न्याय, सुधार और पुनर्वास की दिशा में एक सकारात्मक कदम सिद्ध होगी।
🖋️ रिपोर्टर: ज़मीर आलम
📍 मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश
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