रिपोर्टर, सलाम खाकी - उत्तराखंड ब्यूरो | #SamjhoBharat
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हरिद्वार, 16 जुलाई 2025 —
🚨 बरसात में भी ड्यूटी पर डटे जवानों का हाल जाना
कांवड़ यात्रा मार्ग के निरीक्षण के दौरान एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबाल ने बरसात के बीच तैनात पुलिसकर्मियों से उनकी सुरक्षा व जरूरतों की जानकारी ली।बरसाती, छाते, रेनकोट की उपलब्धता, रात्रि विश्राम की व्यवस्था और सुरक्षा उपकरणों की स्थिति की गहन समीक्षा करते हुए उन्होंने अपने अधीनस्थों को “सेवा और सतर्कता का समन्वय बनाए रखने” के निर्देश दिए।
🌧️ अलकनंदा तिराहा बना मानवता का मंच
प्रशासनिक काफिला जब अलकनंदा तिराहे पर रुका, तो वह स्थान एक मंच बन गया मानवता और श्रद्धा का।डीएम मयूर दीक्षित और एसएसपी डोबाल ने खुद अपने हाथों से कांवड़ यात्रियों को फल, पानी, बिस्किट, शीतल पेय और ग्लूकोज बांटे और भोलेनाथ की मंगलयात्रा की शुभकामनाएं दीं। कांवड़ियों ने प्रशासनिक अधिकारियों के इस सहभागी व्यवहार को सराहा और “बम बम भोले” के जयकारों से वातावरण गुंजायमान कर दिया।
🧭 प्रशासनिक नेतृत्व का मानवीय चेहरा
इस समय जब मौसम की मार और भीड़ का दबाव दोनों चरम पर हैं, ऐसे में जिलाधिकारी और एसएसपी का फील्ड में रहना यह दर्शाता है कि कांवड़ यात्रा केवल सुरक्षा प्रबंधन का विषय नहीं, बल्कि सेवा भाव, सद्भाव और संवेदना का उत्सव भी है।📸 सड़क पर उतरकर सेवा, एक नया उदाहरण
आमतौर पर उच्चाधिकारी कार्यालयों में बैठकर दिशा-निर्देश देने तक सीमित रहते हैं, लेकिन हरिद्वार प्रशासन इस मामले में अपवाद साबित हुआ।बारिश की बूँदें और कीचड़ भरे रास्ते भी इन अधिकारियों के सेवा संकल्प को डिगा नहीं सके। खुद फील्ड में उतर कर उन्होंने “यात्री देवो भवः” की परंपरा को जीवंत किया।
🔚 निष्कर्ष: प्रशासन और जनता साथ-साथ
हरिद्वार कांवड़ यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि यह प्रशासन और श्रद्धालु के बीच विश्वास और सहयोग का सेतु भी है।
इस वर्ष का कांवड़ पर्व एक बार फिर साबित कर रहा है कि जब प्रशासन सेवा को जिम्मेदारी नहीं, श्रद्धा समझे — तब हर बाधा छोटी हो जाती है।
📌 रिपोर्ट: तसलीम अहमद, “सलाम खाकी” उत्तराखंड ब्यूरो
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“बरसात की बूँदें चाहे जितनी भी तेज हों, अगर खाकी साथ हो तो आस्था की राह सूखी महसूस होती है।”
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