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शहीद अशफ़ाक़ उल्ला खां के जन्मदिन ( 22 अक्टूबर ) पर विशेष:-

शहीद अशफ़ाक़ उल्ला खां  राम प्रसाद बिस्मिल से बहुत प्रभावित थे और उनके क्रांतिकारी दल में शामिल होना चाहते थे lराम प्रसाद बिस्मिल आर्यसमाजी थे दोनों समय संध्या हवन करते,अशफ़ाक़ उल्ला खां इस्लाम के पाबंद ,पांचों वक्त की नमाज़ करने वाले नेक दिल इंसान थे lबहुत अच्छे शायर थे उपनाम हसरत लिखते थे l व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली था


उन्होंने स्कूल में बंकिमचंद्र का लिखा आनंद मठ पढ़ा , शहीद खुदीराम बोस और कन्हाई लाल दत्त की जीवनी भी पढ़ी जिन्हें अलीपुर षड़यंत्र केस में बहुत कम उम्र में फांसी दे दी गई थी l बिस्मिल के सम्पर्क आते ही उनके अन्दर का वतनपरस्त खुलकर सामने आ गया l 

राम प्रसाद बिस्मिल को बड़ा भाई मानते l वे अंग्रेज सरकार की नज़रों में बिस्मिल के लेफ्टिनेंट के रुप में  पहचाने जाने लगे l क्रांतिकारी संगठन के लिये धन की आवश्यकता होने पर वे असहमत होते हुए भी काकोरी ट्रेन केस में शामिल हुए क्योंकि निर्णय क्रांतिकारी दल के नेता राम प्रसाद बिस्मिल का था जिसमें तर्क की कोई गुंजाइश न थी l वे कहते थे"बिस्मिल हमारे नेता हैं हम उनके बराबर नहीं हो सकते" l अशफ़ाक़ उल्ला अक्सर गुनगुनाते थे," ज़िंदगी बादे फ़ना तुझको मिलेगी हसरत, तेरा जीना तेरे मरने की बदौलत होगा" 

अशफ़ाक़ की गिरफ्तारी देर से हुई उन पर काकोरी ट्रेन डकैती का पूरक मुकदमा चला l  उन्हें डर था कि अगर मुझे  राम प्रसाद बिस्मिल, ठाoरोशन सिंह और राजेंद्र लाहिड़ी की तरह फांसी की सज़ा न हुई तो मुझे शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी lअदालत ने  अशफ़ाक़ उल्ला खां को भी सजा ए मौत सुनाई तो उन्होंने मुस्कुरा कर अदालत का शुक्रिया करते हुए कहा," इससे कम सज़ा मेरे लिये बायसे तौहीन होता" l 

18दिसंबर को उनके वकील कृपा शंकर हजेला अशफ़ाक़ से मिलने फैज़ाबाद जेल गये और पूछा क्या तुम्हारी कोई ऐसी ख्वाहिश है जिसे हम पूरा कर सकें? अशफ़ाक़ ने कहा मुझे कल फाँसी होगी मैं चाहता हूँ आप आकर देखें कि मैं कैसे फाँसी पर चढ़ता हूँ lउनके वकील कृपा शंकर हजेला ने कहा मुझमें इतनी हिम्मत नहीं है , हाँ तुम्हारी मजार पर फूल चढ़ाने जरूर आऊँगा l


19 दिसम्बर 1927 को  अशफ़ाक़ उल्ला खां ,राम प्रसाद बिस्मिल,ठाoरोशन सिंह और राजेंद्र लाहिड़ी को फाँसी दे दी गई,

शहीद पoराम प्रसाद बिस्मिल और अशफ़ाक़ उल्ला खां की दोस्ती और उन दोनों का एक साथ देश की आज़ादी के लिये शहीद हो जाना भारतीय समाज की अमूल्य निधि है जो हमेशा युवाओं को प्रेरणा देती रहेगी l

   " दो जिस्म एक जान हैं अशफ़ाक़ ओ बिस्मिल, 

हिंदुस्तान की शान हैं,अशफ़ाक़ ओ बिस्मिल,

इस देश को कमजोर कोई कर नहीं सकता, इस देश पर कुर्बान हैं अशफ़ाक़ ओ बिस्मिल "l

             


               विद्यार्णव शर्मा

          सेoनिoपुलिस उपाधीक्षक

      मोबाईल:- 6395192563

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