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नहरों में पानी की लंबी बंदी के चलते यहां पीने के पानी की किल्लत वहीं बिजाई को लेकर किसान चिंतित

 


बड़ागुढ़ा (गुरनैब सिंह दंदीवाल) क्षेत्र में रोड़ी ब्रांच की नहर, सहारणी रजवाहा, शेखूपूरा

राजवाहा आदि में लंबी बंदी के चलते

 पिछले कई दिनों से बंद पड़े हैं जिससे गांवों में बने वाटर वर्क्स में नहरी पानी की कमी के कारण ट्यूबवेल के पानी की सप्लाई दी जा रही जोकि पीने लायक नहीं।



 वहीं गांवों में तालाबों में भी पानी की किल्लत से पशु पालकों को परेशानी हो रही है। इसके अलावा

गांव लकड़वाली के बिन्दर सिंह ने बताया कि उनके गांव में बने वाटर वर्क्स की डिग्गियो में पानी नहीं होने से स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं हो रहा जिससे लोगों को परेशानी हो रही है।



 इसके अलावा किसानों को उनकी आगामी नरमा कपास की बिजाई करने के लिए नहरी पानी न मिलने के कारण बिजाई को लेकर चिंतित हैं। गांव रोड़ी ,  भीवां, मलड़ी, अलीकां, नागोकी, किराडकोट सहारणी , बप्पां, पंजुआना आदि विभिन्न गांवों के किसानी  गुरदीप सिंह झिड़ी, बेअंत सिंह, , लखा सिंह , जरनैल सिंह, जगसीर सिंह , बलविंद्र  सिंह आदि ने बताया कि कोरोना काल दौरान ऊपर से महामारी के चलते यहां लोग पहले ही परेशान हैं। 



इसके अलावा पीछे से भाखड़ा नहर में से क्षेत्र  की नहरों में  पानी की लंबी बंदी के चलते बिजाई करने में उन्हें दिक्कत हो रही है। 



उन्होंने बताया कि बहुत से किसान ऐसे जिनके पास अपनी खुद की जमीन नहीं अतः महंगे भाव में जमीनें ठेके पर लेकर खेती-बाड़ी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं लेकिन इस बार नहर, रजवाहे सुखे पड़े हैं जिससे किसानों को उनकी आगामी नरमा कपास की बिजाई को लेकर चिंता सता रही है। 



किसानों का कहना है कि अब हमें नरमा कपास की बिजाई करनी थी लेकिन भाखड़ा नहर में पानी नहीं होने से रजवाहे सूखे पड़े हैं। इससे खरीफ की फसल की बोआई प्रभावित हो रही है। 



पानी की कमी के कारण किसानों को निजी ट्यूबवेल का सहारा लेना पड़ रहा है लेकिन जमीनी पानी खारा होने के कारण गर्मी में उगते ही नरमा की फसल जल जाने के कारण बार बार बोना पड़ता है ।



 यदि छोटे नरमा कपास में पानी की सिंचाई करते हैं तो उसमें अनावश्यक खरपतवार उग आता है ।किसानों का कहना है कि अभी कुछ दिनों बााद पानी आने की संभावना है इसलिए फसलों को बोने का समय निकलता जा रहा है जबकि अभी तक सिंचाई विभाग की तरफ से नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया है। इससे किसान बिजाई को लेकर चिंतित हैं।



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