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ललितपुर न्यूज:- मोह, वासना ना रखते हुए सादगी से जीवन व्यतीत करना ही ब्रह्मचर्य है - विशाल जैन पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी पर जैन धर्म के 12 वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य स्वामी का निर्वाण महोत्सव मनाया।जैन प्रतिभा खोज मंच तालबेहट द्वारा आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिता के अंतर्गत फैंसी ड्रेस अभिनय में प्रतिभागियों ने दी सुन्दर आकर्षक और मनमोहक प्रस्तुति

ललितपुर न्यूज:- मोह, वासना ना रखते हुए सादगी से जीवन व्यतीत करना ही ब्रह्मचर्य है - विशाल जैन 
पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी पर जैन धर्म के 12 वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य स्वामी का निर्वाण महोत्सव मनाया।
जैन प्रतिभा खोज मंच तालबेहट द्वारा आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिता के अंतर्गत फैंसी ड्रेस अभिनय में प्रतिभागियों ने दी सुन्दर आकर्षक और मनमोहक प्रस्तुति
 ललितपुर। आज 1 सितम्बर भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को दसलक्षण  पर्यूषण महापर्व के अंतिम दिन जैन धर्माबलम्बियों ने उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म को अंगीकार किया। देश में फैली वैश्विक महामारी एवं कोरोना वायरस की मुक्ति एवं विश्वशांति की मंगल भावना के साथ सिद्ध क्षेत्र पावागिरि में पुजारी शिखर चंद जैन गंज वासौदा, तालबेहट के पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर में चौधरी चक्रेश जैन एवं वासुपूज्य दिगंबर जैन मंदिर में अनिल कुमार जैन के नेतृत्व में अभिषेक शांतिधारा का आयोजन किया। श्रद्धालुओं ने घर में ही पूजन विधान किया एवं निर्वाण लाडू चढ़ाकर जैन धर्म के बारहवें तीर्थंकर प्रथम बालयति भगवान वासुपूज्य स्वामी का मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनाया। पंडित विजय कृष्ण शास्त्री ने कहा जीवन में सुख-शांति एवं आत्म कल्याण के लिए उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, अाकिंचन और ब्रह्मचर्य आदि दशलक्षण धर्मों का पालन करना होता है, एवं जैन समुदाय में 10 दिन व्रत उपवास करने की परंपरा है। सनत जैन केडी ने कहा ब्रह्म जिसका मतलब आत्मा, और चर्या का मतलब रहना, इसको मिलाकर ब्रह्मचर्य शब्द बना है, ब्रह्मचर्य का मतलब अपनी आत्मा में रहना है। ऋषभ चौधरी ने कहा उत्तम आकिंचन पर्यूषण दसलक्षण पर्व का नौवाँ दिन होता है, आकिंचन हमें मोह को त्याग करना सिखाता है, जो हमें बोध कराता है कि आत्मा पवित्र है, किंचित मात्र भी उसका किसी से कोई सम्बन्ध नहीं है। चौधरी धरमचंद जैन ने कहा सभी मोह, प्रलोभन और परिग्रह को छोडकर ही परम आनंद मोक्ष को प्राप्त करना मुमकिन है। अहिंसा सेवा संगठन के संस्थापक विशाल जैन पवा ने बताया कि उत्तम ब्रह्मचर्य भाद्रमाह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को दिगंबर जैन समाज के पर्यूषण दसलक्षण पर्व का दसवाँ दिन होता है, इस दिन को अनंत चतुर्दशी कहते हैं। ब्रह्मचर्य हमें सिखाता है मोह, वासना ना रखते हुए सादगी से जीवन व्यतीत करना एवं उन परिग्रहों का त्याग करना, जो हमारे भौतिक संपर्क से जुडी हुई हैं। 
*जैन प्रतिभा खोज मंच तालबेहट द्वारा आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिता* के अंतर्गत फैंसी ड्रेस अभिनय में 4 से 8 वर्ष के आयु वर्ग वाले 27 बच्चों में मिष्ठी और अनिका चंदनवाला, एंजेल न्यूजपेपर, एनी और ओशी आम, अवनि दुकानदार, भाविक पानी, इतिशा, एरांसी और मोक्षी मैना सुंदरी, आरोही भारत माता, अर्ची जिनवाणी, सात्विक पंडित जी, दक्ष और सिद्धम सब्जीवाला, नवम श्रवण कुमार, कनिष सिंघम, आन्वी-दक्ष दादी-पोता, वंश कृष्ण, ओशी पाठशाला दीदी, दिशु माताजी, जिनिषा, गाथा, दिव्यांशी और आर्या झाँसी की रानी, धृति स्ट्रॉबेरी, वैदेही 56 कुमारी बनी एवं 8 से 14 वर्ष की आयु वर्ग वाले 31 बच्चों में पवित्र भगत सिंह, ग्रन्थ मोदी पंडित टोडरमल, अभिराज छत्रपति शिवाजी, अर्चित और नव्या डॉक्टर, अदिति लव-कुश, अवनि न्यूजपेपर, पार्थ गुंडा, तेसी नरक-देव गति, अंश पानी, अतिशय कोरोना वायरस, अक्षरा प्रतिभास्थली की दीदी, आशी और स्तुति राजुल, दर्श भैया जी, सत्यम सैनेटाइज़र, अविरल चम्पकलाल- जयंतीलाल, अनुषा जागरूक बेटी, अनुकल्प अंगुलीमाल, अशेष दूधवाला, अंश नारकी जीव, आकर्ष और पर्वराज नरेंद्र मोदी, दिव्यराज शनि, अचल रावण, वीर कमठ, मौली सेवगर्ल, मान्या लॉकडाउन, मुद्रा चूड़ी वाली, भूमि सीता-माता, मिति बूढी अम्मा बनी एवं सुन्दर, आकर्षक और मनमोहक प्रस्तुतियां दी।

सलाम खाकी न्यूज से प्रदेश ब्यूरो
पत्रकार इन्द्रपाल सिंह की रिपोर्ट

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