कल रात श्रीमती जी और बच्चों के साथ कुरूक्षेत्र से करनाल की ओर जा रहा था।
गाड़ी फुल स्पीड पर दौड़ रही थी।
हाइवे पर सड़क में एक गड्ढा दिखाई दिया। जब तक मैं संभल पाता गाड़ी का बायां चक्का गड्ढे में प्रविष्ट हो चुका था।
टायर पंचर हो गया। रात के करीबन 10 बज रहे होंगे और मैं हाइवे के बीचों बीच खड़ा था।
गाड़ी सड़क के साइड पर लगाई।
जेक और स्टेपनी निकाली और टायर बदलने लगा।
टायर में 4 नट होते हैं। ऐसा लगा के एक नट जाम हो गया है। खूब ज़ोर लगा के घुमाया लेकिन नट नहीं खुला।
मैंने सोचा के पंचर टायर के साथ ही कुछ दूर तक चला जाये। रास्ते में किसी पेट्रोल पंप पर पंचर लगवाने में सुविधा होगी। कुछ दूरी पर एक पेट्रोल पंप दिखा।
पंप बिल्कुल सुनसान था। दो कर्मचारी मौजूद थे। मैंने एक कर्मचारी से मदद करने को कहा तो वह तैयार हो गया। गाड़ी के टायर के नट खोलने की जद्दोजहद शुरू हो गयी। श्रीमती जी और बच्चे गाड़ी से बाहर आकर खड़े हो गये
इसी बीच पेट्रोल पंप पर एक ह्युंडई वेरना गाड़ी आकर रुकी। गाड़ी में दो नौजवान सवार थे। उंन्होने मुझे गाड़ी का टायर खोलते हुये देखा। फिर श्रीमती जी और बच्चों की ओर देखा।
उनमें से एक युवक गाड़ी से नीचे उतरा और उसने मुझसे पूछा "एनी प्रॉब्लम"।
मैंने उसे बताया के गाड़ी का टायर पंचर हो गया और उसे बदलने की प्रक्रिया चल रही है।
उस युवक ने पेट्रोल पंप कर्मचारी से कहा के मैडम और बच्चों के बैठने के लिये कुर्सी का प्रबंध किया जाये।
अगले ही क्षण कर्मचारी कुर्सियां ले आया।
युवक ने मुझसे मेरा नाम पूछा ........मुझसे पूछा के मैं कहाँ जा रहा हूँ।
मेरे जवाब देने के पश्चात युवक ने कहा " मैं यहाँ का डीएसपी हूँ। आप टायर बदल लीजिये। अगर हो जाता है तो ठीक है वरना मैं आपकी मदद के लिये एक पीसीआर भेज रहा हूँ।"
मैं स्तब्ध रह गया।
इतना कह कर वह गाड़ी में बैठे और चले गये।
मैंने टायर बदला और जाने के लिये तैयार था के इतने में पंप पर एक पीसीआर आती दिखाई दी।
पीसीआर में पुलिसकर्मी मौजूद थे।
उंन्होने मुझे बताया के उन्हें डीएसपी साहब ने मेरी मदद के लिये भेजा है।
मैने उन्हें धन्यवाद कहा ......उन्हें बतलाया के मैं टायर बदल चुका हूं।
उनमें एक आफिसर ने कहा के मुझे रास्ते में किसी भी प्रकार की परेशानी हो तो मैं उनके नम्बर पर सम्पर्क कर सकता हूँ।
मैंने पुनः सभी आफिसर्स को धन्यवाद कहा और घर की ओर बढ़ चला।
मैं कई बार लिख चुका हूं के पुलिस फोर्स का एक मानवीय पहलू भी है जो शायद हमें दिखाई नहीं देता।
बीवी बच्चों के साथ रात को एक सुनसान जगह पर गाड़ी के टायर बदलते आदमी को देख शहर के डीएसपी मदद के लिये स्वयं आगे आते हैं । एक आम नागरिक की सहायता हेतु पीसीआर उपलब्ध करवाई जाती है।
...............और यह तब होता है जब मैंने मदद की गुहार नहीं की थी। मैंने 100 नम्बर पर फोन मिला कर नहीं कहा था के मैं किसी समस्या में फंस गया हूँ। मैं उन्हें नहीं बताया के मैं बिज़नेसमैन हूँ........ या फिर मैंने उन्हें किसी नेता का रेफरेंस नहीं दिया।
डीएसपी साहब ने देखा के एक साधारण नागरिक दिक्कत में है और स्वयं मदद के लिये आगे आये।
यूरोप और अमेरिकी फोर्स के ऐसे कई उदारहण पढ़ने को मिलते हैं जिसमें फोर्स के ऑफिसर एक साधारण नागरिक की मदद के लिये प्रयासरत रहते हैं। जबकि सच्चाई यह है के हिंदुस्तान में भी कर्तव्यनिष्ठ आफिसर्स की कमी नहीं है।
हडबडाहट में मैं डीएसपी साहब का नाम तक नहीं पूछ सका। आज इंटरनेट पर सर्च किया तो उन्हें उनके चेहरे से पहचान गया।
धन्यवाद डीएसपी राजीव कुमार जी।
धन्यवाद हरियाणा पुलिस।
🙏
सलाम खाकी न्यूज़ ऐसे खाकी वर्दी वालों को सलाम करता है
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