मुनिराज मल्लिकुमार की आहारचर्या में उमड़े श्रद्धालु
वैभव छोड़ने का दृश्य देखना है तो तीर्थंकर के समवसरण देखो : मुनि श्री सुप्रभ सागर
ललितपुर ( उ०प्र०) 20 जनवरी 2020
परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य श्रमण मुनि श्री 108 सुप्रभसागर जी महाराज, मुनि श्री प्रणतसागर जी महाराज, मुनि श्री संस्कारसागर , मुनि श्री आराध्यसागर जी महाराज, मुनि श्री साध्य सागर महाराज जी के पावन सान्निध्य में तथा प्रतिष्ठाचार्य ब्र. जय कुमार जी निशांत भैया टीकमगढ़ के प्रतिष्ठाचार्योत्व में सौरई में चल रहे श्री 1008 भगवान मल्लिनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा गजरथ महोत्सव के छठवें दिन सोमवार को तीर्थंकर भगवान के ज्ञानकल्याणक को भारी बड़ी ही आस्था -श्रद्धा भक्तिभाव के साथ उत्साह पूर्वक मनाया गया।
इस दौरान प्रातः 6 बजे अभिषेक,शन्तिधारा,नित्य महापूजन तपकल्याणक की पूजन प्रतिष्ठाचार्य ब्र. जय निशांत भैया के निर्देशन में की गई। नव दीक्षित महामुनिराज की आहारचर्या हुई जिसमें पंचाश्चर्य देखकर भक्त भाव-विभोर हो उठे।
जैसे ही मल्लिकुमार आहारचर्या के लिए निकले चारों ओर से आवाज गूंज उठी हे स्वामी नमोस्तु, नमोस्तु! आहारचर्या के लिए भक्तों में अपार उत्साह देखा गया। मुनिराज का नवधा भक्ति पूर्वक आहार हुआ।
दोपहर में ज्ञानकल्याणक की आंतरिक संस्कार क्रियाएं विधि विधान के साथ की गई। प्राण प्रतिष्ठा की गई। पंच मुनिराजों ने प्रतिमाओं में सूरिमंत्र की क्रिया सम्पन्न की, केवलज्ञानोंत्पत्ति देख हजारों श्रद्धालु तीर्थंकर मल्लिनाथ का जयकारा करने लगे, इस अवसर पर भगवान की केवल ज्ञानकल्याणक पूजन की गई।
राग से विराग का कमल खिलाना है :
मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने समवसरण में अपनी दिव्य देशना में कहा कि वैभव छोड़ने का दृश्य देखना है तो तीर्थंकर के समवसरण देखो। राग के अंदर तो आग ही आग है लेकिन वहां आग नहीं चिराग होता है।
हुई समवशरण की रचना, दिव्यदेशना सुन हुए मंत्र मुग्ध :
आज तीर्थंकर मल्लिनाथ के समवशरण की मनोरम दर्शनीय रचना आकर्षण का केंद्र रहा।समवसरण में पांचों मुनिराज विराजमान रहे।इस दौरान दिव्यदेशना, दिव्य ध्वनि प्रसारण किया गया। समवशरण में मुनिश्री ने अपनी दिव्य देशना से सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया।
उन्होंने कहा कि तीर्थंकर के समवशरण की विशेषता होती है कि उसमें बैठे समस्त देव, देवियाँ, स्त्री पुरुष, साधु आर्यिका, पशु पक्षी अपनी-अपनी भाषा में सुनकर महान् आत्मलाभ करते हैं।तीर्थंकर का ज्ञान, शरीर का सौन्दर्य, बल पराक्रम जन्म से ही असाधारण होते हैं।
महोत्सव समिति व समस्त उप समितियां, विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों का योगदान रहा। पुलिस प्रशासन बड़ी सुरक्षा व्यवस्था में जुटा रहा।रात्रि में स्वस्ति महिला मण्डल मड़ावरा व मनोज शर्मा दिल्ली द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति दी गयी।
षोडश कारण भावना भाने से बनते हैं तीर्थंकर :
उत्तर प्रदेश- उत्तराखंड तीर्थक्षेत्र कमेटी के मंत्री डॉ सुनील संचय ने बताया कि तीर्थंकर प्रकृति के बंध की कारणभूत १६ भावनाएं हैं । तीर्थंकर‘ प्रकृति का बंध सबसे अधिक पुण्यकर्म है । यह पुण्यकर्म करोड़ों मनुष्यों में से कोई एक महान जीव ही उपार्जन कर पाता है। षोडश कारण भावना भाने से तीर्थंकर बनते हैं
मंगलवार को मोक्षकल्याणक एवं गजरथ फेरी होगी, उमड़ेगा आस्था का सैलाव : पंचकल्याणक प्रतिष्ठा
महोत्सव के अंतर्गत मंगलवार को प्रातः तीर्थंकर भगवान के मोक्षगमन(निर्वाण प्राप्ति), मोक्ष कल्याणक पूजन की क्रियाओं को सम्पन्न होगा।विश्व शांति महायज्ञ पूर्णाहुति होगी।दोपहर में गजरथ की फेरी होगी,महोत्सव के अंतिम दिन गजरथ फेरी में अपार जनसैलाव उमड़ेगा ऐसी पूर्ण संभावना है।
महोत्सव अध्यक्ष अभिनंदन सौरया, स्वागताध्यक्ष अशोक जैन, कार्यकारी अध्यक्ष भागचंद्र जैन, श्रवण जैन, उपाध्यक्ष महेश जैन, महामंत्री विकास जैन, कोषाध्यक्ष विनोद कोठिया, अभिनंदन सौरया, मंत्री अजित जैन स्टील, विजय जैन, राजीव खजुरिया, राजकुमार जैन अप्सरा, सुनील सौरई , खुशालचंद जैन नमकीन,अंकित जैन, निशांत जैन, अनिल पत्रकार, आशीष चौधरी, पवन जैन, माणिक चंद्र जैन, डॉ वी सी जैन मड़ावरा,वीरचन्द्र जैन, अध्यक्ष जैन समाज सौरई, डॉ शिखरचंद सिलौननया, वीरचन्द्र नेकौरा पूर्व ग्राम प्रधान, संतोष जैन, राजीव जैन, लालचन्द्र जैन, त्रिलोक जैन, राजू सौरया, इंद्रपाल सिंह, सूरज चौधरी, प्रकाश मेडिकल, राकेश, प्रमोद जैन, डी के सराफ, प्रदीप जैन, अजय जैन, देवेंद्र शास्त्री सौरई, पंडित ऋषभ जैन शिखरजी, राजीव चंद्रपुरा, राजेश जैन, आशीष , अंकित, विवेक, अक्षय, आकाश, अभिषेक आदि उपस्थित रहे।
उक्त जानकारी महोत्सव के मंत्री द्वय अजित कुमार स्टील एवं श्री विजय जैन तथा राजीव खजुरिया, आशीष चौधरी ने प्रदान की है।
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