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कडाके की ठंड से ग्रामीण आंचल मे ठिठुर रहे है ललितपुर जनपद के ग्रामीण , अलाव का है इंतजार

कड़ाके की ठण्ड में कांप रहे राहगीर , अलाव न जलने से ठिठुरने को मजबूर






ललितपुर (उ०प्र०) 17 दिसम्बर 2019

     मौसम ने करवट लेते ही लोगो के जीवन को अस्त व्यस्त कर दिया है इस हाड़ कंपाऊ ठण्ड से ठिठुर रहे है। इस मौसम में यदि कोई सबसे मजबूत सहारा है तो वह है अलाव । और यही अलाव जलवाने में यदि प्रशासन की उदासीनता नजर आए तो राहगीरों को किस कदर यह ठण्ड झेलनी पड़ सकती है यह समझा जा सकता है।

            मड़ावरा तहसील में भी कड़ाके की ठण्ड ने दस्तक दे रखी है। पहाड़ी और जंगली इलाका होने के कारण कुछ ज्यादा ही प्रभाव देखने को मिल रहा है इस मौसम का। इन सबके बावजूद अलाव जलवाने में जिम्मेदारों की उदासीनता जारी है।

कड़ाके की ठण्ड से जनजीवन प्रभावित


ठण्ड से ठिठुरते लोगों को यदि कहीं जलती आग तापने को मिल जाए तो वह किसी संजीवनी से कम नहीं होती। परंतु जब यही व्यवस्था अव्यस्था की भेंट चढ़ जाए तो आम लोगो को किस हद तक परेशनियां हो सकती हैं यह समझने योग्य है। मड़ावरा तहसील क्षेत्र भी कड़ाके की ठण्ड की चपेट में है।

तहसील के सम्पूर्ण क्षेत्रों में राहगीरों का बड़ी संख्या में आना जाना रहता है लेकिन अलाव के पुख्ता इंतजाम अभी तक नहीं किए गए हैं। कुछ समाजसेवी अपने संसाधनों से आग जलाकर ठण्ड से लोगो को बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। स्थानीय स्तर की बात की जाय तो जिम्मेदारों से कई बार आगाह भी किया गया परन्तु नतीजा शून्य ही रहा।



राहगीरों को ज्यादा परेशानी


सबसे ज्यादा परेशानी राहगीरों को हो रही है। खुले आसमां के नीचे रात दिन बिताने वाले रहगुजर अलाव न जलने से ठिठुरने को मजबूर हैं। वहीं इस बारे में जब तहसीलदार मड़ावरा से बात की गई तो उन्होंने तहसील क्षेत्र में कई स्थानों पर अलाव जलवाने की बात कही लेकिन हकीकत इसके आस पास भी नहीं।

तहसील क्षेत्र में इक्का दुक्का स्थानों पर अलाव जल रहे हैं वो भी प्रभावशाली लोगो की दुकानों के सामने, न की सार्वजनिक स्थानों पर। स्थानीय लोगों का कहना है कि दुकानदार सेटिंग से अपने सामने अलाव जलवाते हैं ताकि इसी बहाने ग्राहक उनकी दुकान पर आएं। वहीं कई दुकानदार खुद आग जलाकर ग्राहकों को ठण्ड में अपनी ओर आने के लिए आकर्षित कर रहे हैं। जितने अलाव जलवाए जा रहे हैं वो नाकाफ़ी नजर आ रहे हैं

रामकुमार बरौलिया ने बताया कि प्रशासन ने अभी तक अलाव नही जलवाए हैं। हम लोग खुद की व्यवस्था कर किसी तरह हाथ सेंक रहे हैं। सबसे अधिक मुश्किल राहगीरों को हो रही है।

 जगदीश विश्वकर्मा ने बताया कि भीषण ठंड पड़ रही है, लेकिन अधिकारियों के अलाव जलाने का फरमान कागजों तक ही सिमट नजर आ रहा है। अभी तक कहीं और किसी चौराहे पर भी अलाव नहीं जले हैं


  पुषेन्द्र कुमार राज कहते हैं कि दिसंबर माह के दूसरे पखवारे में ही कड़ाके की ठंड पड़ना शुरू हो गई है। अभी तक अलाव नहीं जले हैं। हम लोग खुद की व्यवस्था कर अलाव जला रहे हैं।


 पी0 देवेन्द्र कुमार ने बताया कि ठंड जोरों पर है अभी तक न तो प्रशासन के अलाव जले हैं और न ही कंबल वितरण हो सका है। गरीबों का अलाव ही सहारा होता है वह भी प्रशासन के अधिकारी छीन रहे हैं।


सलाम खाकी न्यूज ललितपुर से पत्रकार इन्द्रपाल सिंह की रिपोर्ट

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