✍️ रिपोर्ट : ब्यूरो चीफ शौकीन सिद्दीकी
🎥 कैमरा मैन : रामकुमार चौहान
स्थान : शामली, उत्तर प्रदेश
आज की व्यस्त और तनावपूर्ण जिंदगी में जहाँ रिश्तों की डोर कमजोर पड़ती जा रही है, वहीं शामली पुलिस की महिला थाना प्रभारी मोनिका चौहान ने इंसानियत और संवेदनशीलता का ऐसा उदाहरण पेश किया जिसने साबित कर दिया कि “पुलिस सिर्फ कानून नहीं, परिवार भी संभालती है।”
शामली निवासी राजपाल पुत्र कपूर चंद अपने परिवार में चल रहे विवाद से परेशान थे। उनके बेटे ललित की पत्नी कोशल के साथ आए दिन झगड़े होते थे। आरोप था कि कोशल अपने पति और परिवार को झूठे मुकदमों में फँसाने की धमकी देती थी, जिससे घर का माहौल लगातार तनावपूर्ण बना हुआ था।राजपाल ने मजबूर होकर महिला थाना शामली में शिकायत दर्ज कराई। मामला गंभीर था, लेकिन थाना प्रभारी मोनिका चौहान ने इसे सिर्फ एक कानूनी प्रकरण नहीं, बल्कि एक टूटते परिवार का दर्द समझा। उन्होंने दोनों पक्षों को बैठाकर धैर्यपूर्वक बात सुनी, परामर्श दिया और एक ऐतिहासिक समझौता कराया।
परिणामस्वरूप—ललित और कोशल ने एक-दूसरे को समझते हुए साथ रहने का निर्णय लिया। बच्चों सहित पूरा परिवार फिर से एकजुट हो गया। यह दृश्य भावनाओं से भर देने वाला था—एक ओर पुलिस की संवेदनशीलता, दूसरी ओर परिवार का पुनर्मिलन। थाना प्रभारी मोनिका चौहान का यह कदम सिर्फ एक समझौता नहीं, बल्कि समाज को दिया गया एक बड़ा संदेश है कि—“पुलिस सिर्फ अपराध नहीं देखती, बल्कि रिश्तों को भी जोड़ना जानती है।”
💬 मोनिका चौहान ने कहा:
“हर घर की शांति समाज की शांति है। अगर हम एक परिवार को टूटने से बचा सकें, तो यही असली कानून व्यवस्था है।”
✒️ अंत में बस इतना कहना उचित होगा —
“सैंकड़ों अक्लमंद मिलते हैं, काम के लोग चंद मिलते हैं,
जब मुसीबत आती है, तब ‘पुलिस’ के अलावा सबके दरवाज़े बंद मिलते हैं…”
पुलिस विभाग को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका — “सलाम खाकी”
के लिए शामली, उत्तर प्रदेश से
पत्रकार शौकीन सिद्दीकी की खास रिपोर्ट
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