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वर्दी, तेजाब और साजिश: सिपाही विमलेश की रहस्यमयी मौत और कानून व्यवस्था पर सवाल

लेखक: ज़मीर आलम

स्रोत: सलाम खाकी राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
संपर्क: 8010884848 | www.salamkhaki.com | salamkhaki@gmail.com


बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)

एक वर्दीधारी महिला की अधजली पहचान, अधूरी कहानी और उधड़ी इंसानियत...।
ये घटना केवल एक हत्या नहीं, बल्कि कानून की रक्षा करने वाली वर्दी पर हमला है, एक पूरे सिस्टम पर सवाल है, और एक महिला पुलिसकर्मी की असहायता की मौन चीख है। राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले के बांदा-बहराइच हाईवे पर मंगलवार सुबह जो दृश्य सामने आया, उसने पूरे पुलिस महकमे को झकझोर कर रख दिया।

बिंदौरा गांव के पास सड़क किनारे एक महिला का शव वर्दी में पड़ा मिला, लेकिन स्थिति अर्धनग्न थी। नेम प्लेट पर नाम लिखा था — ''विमलेश'', और चेहरे पर तेजाब फेंककर पहचान मिटाने की घिनौनी कोशिश की गई थी। ये दृश्य किसी अपराध फिल्म का दृश्य नहीं, बल्कि हकीकत है — उत्तर प्रदेश पुलिस की 2017 बैच की सिपाही विमलेश पाल की भयावह मौत की।


विमलेश कौन थीं?

मूल रूप से जनपद सुल्तानपुर की निवासी विमलेश पाल की तैनाती 11 अगस्त 2024 को बाराबंकी के सुबेहा थाना में की गई थी। 28 जुलाई 2025 को वे रामनगर के प्रसिद्ध महादेव मंदिर में ड्यूटी पर गई थीं। लेकिन उसके बाद वे कभी लौटकर नहीं आईं। 29 जुलाई की सुबह उनका शव हाईवे किनारे मिलने से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया।

सूत्रों के अनुसार, विमलेश ने वर्ष 2024 में बाराबंकी कोतवाली में तैनात सिपाही इंद्रेश मौर्य के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था, जो अभी भी विचाराधीन है। ऐसे में यह संदेह गहराता जा रहा है कि क्या इस हत्या का संबंध उसी मामले से है?


क्या कहती है पुलिस?

जैसे ही सूचना मिली, मसौली थाना पुलिस मौके पर पहुँची। शव की वर्दी पर लगे नेम प्लेट से नाम का पता चला, लेकिन पीएनओ नंबर के अभाव में तत्कालिक पहचान की पुष्टि नहीं हो सकी। शव के पास पड़ी पैंट को पुलिसकर्मियों द्वारा पहनाए जाने की जानकारी भी सामने आई है, जो कई और सवाल खड़े करती है।

एसपी अर्पित विजयवर्गीय ने घटना स्थल का निरीक्षण किया और बताया कि हत्या की पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही हो सकेगी, लेकिन प्रथम दृष्टया यह मामला संदिग्ध और पूर्व नियोजित साजिश प्रतीत हो रहा है।

आईजी अयोध्या मंडल प्रवीण कुमार ने भी कहा कि यह हत्या सोची समझी रणनीति का हिस्सा लगती है। फॉरेंसिक टीम ने नमूने इकट्ठा कर लिए हैं और जांच तेजी से की जा रही है। पुलिस के अनुसार, इस मामले का शीघ्र खुलासा किया जाएगा।


तेजाब: सबूत मिटाने की क्रूरता या प्रतिशोध की पराकाष्ठा?

चेहरे पर तेजाब डालना केवल पहचान मिटाने की कोशिश नहीं होती, यह उस व्यक्ति की अस्मिता, अस्तित्व और आत्मसम्मान पर हमला होता है। यह दर्शाता है कि अपराधी केवल जान नहीं लेना चाहता था, वह उसकी पहचान और अस्तित्व को पूरी तरह मिटा देना चाहता था। क्या यह किसी गहरी व्यक्तिगत रंजिश का संकेत है? क्या किसी ने वर्दी और कानून की गरिमा को ठेस पहुंचाने की कोशिश की?


प्रशासन और समाज के लिए चुनौती

यह मामला केवल एक महिला सिपाही की हत्या का नहीं, बल्कि उस भरोसे का खंडन है, जो समाज कानून पर करता है। विमलेश जैसी महिला सिपाही जो समाज में न्याय और सुरक्षा का प्रतीक होती हैं, अगर खुद इस तरह बेरहमी से मारी जाती हैं, तो आम महिलाओं की सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न लगना स्वाभाविक है।


अब क्या ज़रूरी है?

  • मामले की सीबीआई या न्यायिक जांच होनी चाहिए।
  • आरोपी चाहे कोई भी हो, चाहे पुलिस महकमे से ही क्यों न हो, उसे कठोरतम सज़ा मिलनी चाहिए।
  • विमलेश के परिजनों को सम्मानजनक मुआवजा और स्थायी नौकरी दी जानी चाहिए।
  • महिला पुलिसकर्मियों के लिए सुरक्षा और हेल्पलाइन तंत्र को मज़बूत किया जाना चाहिए।

यह केवल एक अपराध नहीं, बल्कि चेतावनी है। विमलेश की चुप लाश हमसे कुछ कह रही है — ‘‘कानून के रक्षक को मत छोड़ो अकेला, वर्दी के भीतर भी एक इंसान होता है।’’


📌 लेखक: ज़मीर आलम
📢 सलाम खाकी राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
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🕯 विमलेश पाल को विनम्र श्रद्धांजलि 🕯

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