मुज़फ्फरनगर। संविधान की कलम और कानून की बंदूक जब एक सुर में बोलें तो समाज में न्याय और जागरूकता का संतुलन पैदा होता है। इसी आदर्श को साकार करते हुए मंगलवार को मुज़फ्फरनगर के तेजतर्रार वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार को संयुक्त पत्रकार महासभा की ओर से सम्मान पत्र व गुलदस्ता भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पुलिस और पत्रकारिता के आपसी समन्वय, सहयोग और जनहित में संवाद की नई मिसाल पेश की गई।
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सम्मान समारोह का आयोजन संयुक्त पत्रकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरताज अहमद के आदेशानुसार किया गया, जिसमें प्रदेश, मंडल और ज़िला स्तर के कई दिग्गज पत्रकार पदाधिकारियों ने भाग लिया। यह केवल एक सम्मान नहीं था, यह था उस मेहनत, ईमानदारी और जवाबदेही का सम्मान जो एसएसपी संजय कुमार की कार्यशैली की पहचान बन चुकी है।
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मुज़फ्फरनगर में अपराध नियंत्रण, प्रशासनिक पारदर्शिता और आमजन में विश्वास निर्माण के लिए संजय कुमार की सक्रियता की जितनी प्रशंसा की जाए, कम है। चाहे वह संवेदनशील मामलों में त्वरित कार्रवाई हो या जनता के साथ संवाद—उन्होंने हर मोर्चे पर अपने कर्तव्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। यही कारण है कि पत्रकार समाज ने उन्हें आज 'सलाम-ए-ख़ाकी' के रूप में नमन किया।
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समारोह में इस बात पर जोर दिया गया कि पत्रकार और पुलिस प्रशासन दोनों समाज की रीढ़ हैं। जहां पत्रकार जनता की आवाज़ बनते हैं, वहीं पुलिस समाज की सुरक्षा की पहली दीवार है। ऐसे में दोनों के बीच सहयोग, संवाद और सम्मान से ही जनहित की रक्षा संभव है।
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सम्मान प्राप्त करने के बाद एसएसपी संजय कुमार ने संयुक्त पत्रकार महासभा का आभार जताते हुए कहा, “पत्रकारिता लोकतंत्र की आंखें हैं। अगर आंखें सजग हैं तो प्रशासन की चाल भी सही रहती है। मैं विश्वास दिलाता हूं कि पुलिस प्रशासन हर पत्रकार की सुरक्षा, सम्मान और सहयोग में हमेशा साथ रहेगा।”
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अफ़्फान अख्तर (प्रदेश प्रभारी), सतेंद्र सैनी (प्रदेश सचिव), मोहम्मद असलम (सहारनपुर मंडल मीडिया प्रभारी), नितिन शर्मा (जिला अध्यक्ष, मुज़फ्फरनगर), अजीज अहमद (अध्यक्ष, पुरकाजी), सफीक़ राजपूत (संगठन मंत्री, मुज़फ्फरनगर), सतीश कौशिक (जिला सचिव, मुज़फ्फरनगर), सूरज सैनी (पत्रकार), आदेश (पत्रकार), महेश प्रजापति (पत्रकार) आदि। रिपोर्ट गुलवेज आलम कैराना
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