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*फैक आॅक्सिमीटर ऐप्स को लेकर जीन्द पुलिस ने जारी की एडवाइजरी।*


जीन्द पुलिस



*फैक आॅक्सिमीटर ऐप्स को लेकर जीन्द पुलिस ने जारी की एडवाइजरी।*



*आॅक्सिजन लेवल चेक करने के लिए न फंस जाएं आॅक्सिमीटर ऐप के जाल में, खाता हो सकता है खाली - नितिश अग्रवाल, ए.एस.पी सफिदों* 


फैक आॅक्सिमीटर ऐप्स को लेकर जीन्द पुलिस ने एक एडवाईजरी जारी की है जिसमें कहा गया है कि स्मार्टफोन के लिए कई फेक आॅक्सिमीटर मोबाईल एप ईन्टरनेट पर सर्कुलेट हो रहे हैं और इनमें जालसाजी या साईबर क्राईम होने का खतरा पैदा हो सकता है। हरियाणा साईबर क्राईम ने लोगों को फेक आॅक्सिमीटर ऐप्स और अनके दावों को लेकर चेतावनी जारी की है। इंसान के शरीर में आॅक्सिमीटर का स्तर चैक करने के लिए किसी भी डिवाईस में फिजिकल एसपीओ2 ब्लड आॅक्सिजन सेंसर होना जरूरी है अभी किसी भी समार्टफोन में ऐसी सुविधा अपलब्ध नहीं है। यानी सरल शब्दों में केवल समार्टफोन ऐप्स के जरिए शरीर का आॅक्सिजन लेवल चैक नहीं किया जा सकता। लेकिन फेक आॅक्सिमीटर ऐप न केवल ऐसा कर सकने का दावा कर रहे है बल्कि तुरन्त ही एसपीओ2 रिजल्ट भी दे रहे हैं। 


साईबर अपराधी महामारी के दौरान धडल्ले से अपराध किए जा रहे हैं। काविड-थीम वाले मोबाईल ऐप, फिशिंग अभियान, मैलवेयर और अन्य लींक लोगों के बीच भय और चिंता का फायदा उठा रहे हैं। साईबर अपराधियों ने बहुत सी ऐसी ऐप का निर्माण किया है जो आॅक्सीजन के स्तर का पता लगाने का दावा करती हैं। जबकि ये अपराधी आपके फिंगरप्रिंट की तलाश में हैं। कुछ लोग बिना जानकारी के नए विकसित नकली ऐप के शिकार हो रहे हैं जिन्हे वे गलती से एक सस्ता विकल्प मानते हैं से साईबर ठगी करने वाले अपराधी ई-वाॅलेट लेनदेन के लिए पासवर्ड और सक्रीन लाॅक के लिए उपयोग किए जाने वाले फिंगर प्रींट जैसे बायोमैट्रिक डेटा का दुरूपयोग करते हैं। इससे व्यक्तिगत फोटो और डेटा चोरी होने का भी खतरा है। 


जीन्द पुलिस की आम जनता से अपील है कि किसी भी ऐप को इंस्टाल करने से पहले डेवलपर, रेटिंग समीक्षा और कुल डाउनलोड को सत्यापित करना चाहिए।

सलाम खाकी न्यूज से क्राइम रिपोर्टर सुमित कुमार

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