ड्यूटी है लोधी शवदाह गृह में
सुबह 7 से रात 8 बजे तक लोगों की मदद में जुटे रहते हैं
रोज़ाना 80-100 शव आते हैं
शवों के साथ कोई न आए तो अंतिम संस्कार तक करते हैं
7 मई को बेटी की शादी थी, अब टाल दी है
बोले: ऐसे में जश्न कैसे मना सकता हूँ🙏
बड़े-बड़े ताकतवर और अमीर लोग पता नहीं कहाँ हैं और क्यों कुछ-नहीं कर रहे हैं
इसमें कोई शक नहीं कि इस महामारी में बेहद आम लोगों की लगन और मेहनत से आज चल रहा है देश
सबको दिल से सलाम और उनकी सलामती की दुआएं

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