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सिरसा की ईस गाड़ी की न्यूज़ सुनकर सोचने पर मजबूर हो जाओगे आप

 


शहर को डस्ट फ्री बनाने के लिए करीब नौ माह पहले शुरू हुई रोड स्वीपिग मशीन मुख्य हाईवे पर बने डिवाइडर स्वीप करने तक सीमित रह गई है।


प्रति माह 1.50 लाख रुपये का डीजल फूंका जा रहा है। इतना ही नहीं मशीन को चला रही नई दिल्ली की वीएन इंजीनियरिग कंपनी को 4.70 लाख रुपये प्रति माह दिए जा रहे है।



नगरपरिषद 6.20 लाख रुपये प्रति माह कुल खर्च कर रही है। मशीन की कीमत 70 लाख रुपये है। जबकि सालाना खर्च 74.40 लाख रुपये है। आरटीआइ कार्यकर्ता अजय छाबड़ा ने बताया कि 6 नवंबर 2020 को आरटीआइ के जरिए रोड स्वीपिग मशीन की जानकारी मांगी थी। नगरपरिषद ने दो माह तक 8 बिदुओं पर आधारित जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई। 21 फरवरी 2021 को उसने प्रथम अपील दाखिल की तो नगरपरिषद ने आधी-अधूरी जानकारी उपलब्ध करवाई।



छाबड़ा के अनुसार आरटीआइ के जरिए लॉग बुक का एक पृष्ठ मिला है। उसमें 8 दिन मशीन चली दिखाई गई है। तय शर्त अनुसार मशीन अगर एक घंटा चलती है तो 12.50 लीटर डीजल खपत होनी चाहिए। रिकॉर्ड से साफ पता चलता है कि मशीन को 51.66 किलोमीटर सड़क साफ करने पर 7 घंटे लगते है। अगर सड़क 13 किलोमीटर लंबी है तो उसे साफ करने में भी 7 घंटे का ही समय लगता है। रिकॉर्ड से यह बात भी स्पष्ट होती है कि दोनों बार 87.5 लीटर डीजल की खपत होती है।



आरटीआइ कार्यकर्ता डबवाली विकास मंच से जुड़ा हुआ है। मंच के प्रधान राजेश जैन काला, नरेश सेठी, अमन भारद्वाज हरदेव गोरखी, सुमित अनेजा भी उसके साथ है और उन्होंने पूरे मामले को उच्चाधिकारियों के समक्ष रखकर जांच करवाने की मांग करने का फैसला किया है। उनका आरोप है कि शहर के बाजारों या गलियों में तो मशीन एक बार भी नहीं गई। हर रोज 30 किलोमीटर रोड साफ करने की शर्त है। शहर की सारी रोड को मिला लें तो 30 किलोमीटर दूरी नहीं बनती।



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