बड़ागुढ़ा (गुरनैब दंदीवाल) विश्व पुस्तक दिवस के उपलक्ष्य में मास्टर अजायब सिंह ने हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज के डिजिटल युग में यहां मोबाइल फोन, टैबलेट और लैपटॉप का जमाना है वहीं हम गर्व महसूस करते हैं कि इस तकनीकी युग में भी पुस्तकें पढ़ने वालों के लिए पुस्तकों से बहुत लगाव है,हमने जिंदगी में कुछ ऐसी पुस्तकें भी देखी जो बहुत ही दुर्लभ और किमती है ।
उन्होंने कहा कि आधुनिक समय की बात करें तो भी यह बात हर वक्त संभव नहीं कि पुस्तकों के स्थान लैपटॉप कम्प्यूटर या मोबाईल कभी नहीं ले सकते। पुस्तकें हर वक्त साथ निभाती है चाहे वह बाल साहित्य हो,वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भरपूर हो या धार्मिक ग्रंथ या इतिहास की पुस्तकें हो , इसके अलावा अन्य रोचक तथ्य पढ़ने हों इस तरह से पुस्तकों को पढ़ने वाले प्रेमियों को पुस्तकें दोस्ती हमेशा साथ निभाती रहेगी। उन्होंने कहा कि किसी शख्स ने कहा था कि पुस्तकें ही आदमी की सच्ची दोस्त होती हैं और दोस्तों से ही आदमी की पहचान होती है
उन्होंने कहा कि पुस्तकें पढ़ने के शौकीन
समय निकालकर लाइब्रेरी में पढ़ने आते हैं। उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि आज देश भर में विश्व पुस्तक दिवस मनाया जा रहा है । मास्टर अजायब, नौभास से कुलविंद्र रोड़ी , वकील आदि ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि यूनेस्को ने 1995 में जबकि हमारे देश में 2001से इस दिन को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की जिसके बाद प्रत्येक साल 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस मनाया जाने लगा।
उन्होंने बताया कि हर साल विश्व पुस्तक दिवस धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन इस बार कोरोना काल के चलते जारी हिदायतों अनुसार कोई बड़ा कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा सका।इस समय शमशेर चोरमार, सुरेन्द्रपाल सिंह, जगदीश सिंघपुरा, जगदीश बिरट आदि शामिल रहें |





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