ये कैसी बिडबंना है जन अपने द्वारा ही निर्मित तंत्र से टकराने को बिबस हो जाये।
आत्माराम त्रिपाठी की✍🏻कलम से
आज कोरोनावायरस जैसी संक्रामक महामारी से पूरा देश संघर्ष कर रहा है। अपने खर्चो में स्वाभिक रूप से कटौती भी कर रहा। उसमें फिर चाहे सरकारी तंत्र हो य आम जन। सभी तो मितव्ययिता के रास्तों को तालाश रहे पर दुर्भाग्य जिनके हाथ में देश को चलाने की बागडोर सौंपी गई वहीं भटकी हुई है और परिणाम आमजन भुगत रहा है।इस कोरोना वैश्विक महामारी में आम जनमानस, सरकारी कर्मचारियों,व्यापारियो, मजदूरों ने अपने अपने समर्थ के अनुसार आर्थिक योगदान दिया। लेकिन देश के इन लाखो रुपए वेतन पाने वाले विधायकों सांसदों मंत्रियों ने देश के उस जनतंत्र को क्या दिया जिनकी बदौलत वहां पहुंचे जहां उन्हें इस जनतंत्र ने पहुंचाया।इस पर हमने जब नजर डाली तो देखा सांसदों, विधायकों सहित मंत्रियों ने अपनी अपनी निधि से फंड दिया लेकिन अपनी मूल पूंजी वेतन य निजी अर्जित धन संपत्ति से जनमानस को कुछ नहीं दिया क्या यह माननीय बताने का कष्ट करेंगे की जिस निधि से ये दानदाता बनकर ढिंढोरा पीट रहे हैं वह इनकी निजी संपत्ति है य जनता से वसूले गए टैक्स से मिली निधि है फिर वह तुम्हारी कब और कैसे हो गयी ? अरे सबसे मितव्ययिता जनता से वसूले गए उनकी धनराशि का दुरूपयोग करने वाले दूसरे कोई नहीं यही माननीय है। आमजनमानस एक महीने अपने फोन पर दो सौ रुपए के रिचार्ज में जी भर बात करता है पर इन्हे इसी कार्य के लिए दसियो हजार रुपए पर मंथ दिया जाता है और यह उसे ग्रहण करते हैं इन्हें कैंटीन में संस्ता लेकिन उत्तम भोजन यंहा तक कि इनको लगने वाला इनकम टैक्स भी सरकार द्वारा सरकारी खजाने से अदा कर दिया जाता है। यही नहीं यह वह है जिन्हें जनतंत्र द्वारा जनतंत्र को दिशा देने के लिए सरकार का रूप देकर बनाया गया।और यह अपने आप को मान बैठे जनता का शासक । आज यह लोग कहते हैं कि 50/60वर्ष के बाद सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट दे देना चाहिए क्योंकि वह कार्य करने लायक नहीं बचे तो जिनके सामने एक तहसील व्लाक जिला य एक विद्यालय अस्पाताल थाना की जिम्मेदारी है जिसमें उसने 50/60वर्ष विताए उसे यह उर्म के चलते चलाने में इन माननीयों को कमजोर लगने लगते है और उन्हें वह रिटायरमेंट करने की बात करते हैं और स्वंय को नहीं देखते कि एक पैर कब्र की तरफ बढ़ता हुआ अग्रसर पर फीबीकोल की तरह कुर्सी से चिपके हुए हैं अरे अगर जरा सी भी गैरत है तो 50/60वर्ष के अधिक आयु वाले सांसदों विधायकों मंत्रियों के स्तीफे लो न दे तो जबरन रिटायरमेंट दे दो पर ऐसा नहीं होगा । हां यह जरूर होगा कि इनके वेतन भत्तों की बढ़ोत्तरी जरूर कर दी जाएगी वह भी एक मत होकर। क्योंकी यंहा जनतंत्र है ।
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