( श्रद्धा पूर्वक मनाया तपकल्याणक )
संसार का यह रूप, सम्पदा क्षणिक है : मुनि श्री सुप्रभसागर
युवराज शांतिनाथ को हुआ संसार से वैराग्य
ललितपुर ( उ०प्र०) 8 फरवरी 2020
परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य श्रमण मुनि श्री 108 सुप्रभसागर जी महाराज एवं श्रमण मुनि श्री प्रणतसागर जी महाराज के पावन सान्निध्य में
रमगढ़ा में शांतिनाथ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव में शुक्रवार को तपकल्याणक को आस्था श्रद्धा के साथ मनाया गया।
तप कल्याणक विधि विधान के साथ आयोजित हुआ जिसमें सर्वप्रथम प्रातः 6.30 बजे से अभिषेक, शांतिधारा,जन्मकल्याणक पूजन, स्वप्न, अन्न प्रासन विधि की गई।
11 बजे से यंत्र पूजा हुई इसके बाद महाराजा अश्वसेन का दरबार,राज्याभिषेक, भेंट समर्पण और विवाह की क्रियाओं को किया गया। 12. 15 बजे से चक्रवर्ती शांतिनाथ की दिग्विजय यात्रा निकाली गई, 3 बजे से परिनिष्क्रमण कल्याणक विधि, दीक्षा संस्कार, वैराग्य, लोकांतिक देवों का आगमन दर्शाया गया।
तपकल्याणक को नाट्यरूप में प्रस्तुत किया गया, जिसमें राज्याभिषेक के बाद युवराज शांतिनाथ को वैराग्य आ जाता है। संसार की क्षणभंगुरता के बोध से युवराज को संसार से वैराग्य हो गया और उनके जैनेश्वरी दीक्षा की प्रक्रिया मंचित की गई। इसके बाद दीक्षा विधि हुई।विधि विधान की क्रियाएं ब्रह्मचारी राकेश भैया आगरा, पंडित राकेश जैन, पंडित अखिलेश शास्त्री रमगढ़ा आदि ने संपन्न कराई।
मुनि श्री सुप्रभ सागर जी ने इस अवसर पर अपने प्रवचन में कहा कि जब वैराग्य आता है तो संसार के सारे सुख नश्वर होते हैं। जैसे आज आपने देखा युवराज को कैसे संसार से वैराग्य हो गया। उनके पास संसार के सारे वैभव हैं लेकिन जब उन्हें वैराग्य आया तो सारे वैभव को त्याग कर दिगंबरत्व को धारण करते हैं। संसार का यह रूप, सम्पदा क्षणिक है, अस्थिर है, किन्तु आत्मा का रूप आलौकिक है, आत्मा की संपदा अनंत अक्षय है।
आरती, सांस्कृतिक कार्यक्रम किया गया।
पाषाण को भगवान बनाता है पंचकल्याणक :
उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश तीर्थक्षेत्र कमेटी के मंत्री डॉ. सुनील संचय ने बताया कि पंचकल्याणक के इस तर्कसंगत एवं वैज्ञानिक विधान से पाषाण भी जीवन्तवत पूज्य हो जाता है। तीर्थंकर मानव से महामानव, सामान्य से विशिष्ट, नर से नारायण , सामान्य से विशिष्ट बने थे।
महोत्सव में शनिवार को भगवान का ज्ञान कल्याणक मनाया जाएगा जिसमें समवशरण की रचना और दिव्य ध्वनि आकर्षण का केंद्र होगी।
आयोजन को सफल बनाने में महोत्सव की आयोजन समिति व उप समितियों, विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों का उल्लेखनीय योगदान रहा।इस दौरान सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
पंचकल्याणक के प्रमुख पात्र :-
सलाम खाकी न्यूज ललितपुर से पत्रकार इन्द्रपाल सिंह की रिपोर्ट
संसार का यह रूप, सम्पदा क्षणिक है : मुनि श्री सुप्रभसागर
युवराज शांतिनाथ को हुआ संसार से वैराग्य
ललितपुर ( उ०प्र०) 8 फरवरी 2020
परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य श्रमण मुनि श्री 108 सुप्रभसागर जी महाराज एवं श्रमण मुनि श्री प्रणतसागर जी महाराज के पावन सान्निध्य में
रमगढ़ा में शांतिनाथ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव में शुक्रवार को तपकल्याणक को आस्था श्रद्धा के साथ मनाया गया।
तप कल्याणक विधि विधान के साथ आयोजित हुआ जिसमें सर्वप्रथम प्रातः 6.30 बजे से अभिषेक, शांतिधारा,जन्मकल्याणक पूजन, स्वप्न, अन्न प्रासन विधि की गई।
11 बजे से यंत्र पूजा हुई इसके बाद महाराजा अश्वसेन का दरबार,राज्याभिषेक, भेंट समर्पण और विवाह की क्रियाओं को किया गया। 12. 15 बजे से चक्रवर्ती शांतिनाथ की दिग्विजय यात्रा निकाली गई, 3 बजे से परिनिष्क्रमण कल्याणक विधि, दीक्षा संस्कार, वैराग्य, लोकांतिक देवों का आगमन दर्शाया गया।
तपकल्याणक को नाट्यरूप में प्रस्तुत किया गया, जिसमें राज्याभिषेक के बाद युवराज शांतिनाथ को वैराग्य आ जाता है। संसार की क्षणभंगुरता के बोध से युवराज को संसार से वैराग्य हो गया और उनके जैनेश्वरी दीक्षा की प्रक्रिया मंचित की गई। इसके बाद दीक्षा विधि हुई।विधि विधान की क्रियाएं ब्रह्मचारी राकेश भैया आगरा, पंडित राकेश जैन, पंडित अखिलेश शास्त्री रमगढ़ा आदि ने संपन्न कराई।
मुनि श्री सुप्रभ सागर जी ने इस अवसर पर अपने प्रवचन में कहा कि जब वैराग्य आता है तो संसार के सारे सुख नश्वर होते हैं। जैसे आज आपने देखा युवराज को कैसे संसार से वैराग्य हो गया। उनके पास संसार के सारे वैभव हैं लेकिन जब उन्हें वैराग्य आया तो सारे वैभव को त्याग कर दिगंबरत्व को धारण करते हैं। संसार का यह रूप, सम्पदा क्षणिक है, अस्थिर है, किन्तु आत्मा का रूप आलौकिक है, आत्मा की संपदा अनंत अक्षय है।
आरती, सांस्कृतिक कार्यक्रम किया गया।
पाषाण को भगवान बनाता है पंचकल्याणक :
उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश तीर्थक्षेत्र कमेटी के मंत्री डॉ. सुनील संचय ने बताया कि पंचकल्याणक के इस तर्कसंगत एवं वैज्ञानिक विधान से पाषाण भी जीवन्तवत पूज्य हो जाता है। तीर्थंकर मानव से महामानव, सामान्य से विशिष्ट, नर से नारायण , सामान्य से विशिष्ट बने थे।
महोत्सव में शनिवार को भगवान का ज्ञान कल्याणक मनाया जाएगा जिसमें समवशरण की रचना और दिव्य ध्वनि आकर्षण का केंद्र होगी।
आयोजन को सफल बनाने में महोत्सव की आयोजन समिति व उप समितियों, विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों का उल्लेखनीय योगदान रहा।इस दौरान सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
पंचकल्याणक के प्रमुख पात्र :-
महोत्सव की समिति के डॉ. सुनील संचय, उमेश जैन, राजेश जैन, प्रियंक ने बताया कि रमगढ़ा में चल रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में प्रमुख पात्र इसप्रकार हैं: माता- पिता जमुना प्रसाद-प्रभादेवी जैन अदावन शाहगढ़, सौधर्म इंद्र संतोष कुमार- मीरा जैन रमगड़ा वाले अंतोरा,धनपति कुबेर जिनेन्द्र कुमार-मीना जैन टीकमगढ़ ,महायज्ञनायक शैलेश कुमार-निधि जैन रामटोरिया, यज्ञनायक हीरालाल मधु जैन,सागर, ईशान इंद्र विनय कुमार-ज्योति मोदी महरौनी,सनत कुमार इंद्र खूबचंद-गुणमाला जैन नरवा वाले डोंगरगांव,माहेन्द्र इंद्र नरेंद्र कुमार-सुलेखा जैन,ब्रम्ह इंद्र पंकज घटोलिया मुम्बई, , ब्रह्मोत्तर इंद्र बनने मुकेश सिंघई-मीना जैन, कोंरवा छत्तीसगढ़,लांतव इंद्र रविंद्र कुमार-रिंकी जैन मेगुंवा, कापिष्ट इंद्र भागचंद -गीता जैन खरगापुर, शुक्रिन्द्र हुकुमचंद हटैया-गजरदेवी बड़ागांव, महाशुक्र इंद्र आनंद कुमार बच्चू सेठ-श्रीमती सूरज मड़ावरा ,सतार इंद्र जीवन जैन- ममता जैन साढूमल , सहस्र सर इंद्र कमलेश कुमार -लक्ष्मी जैन घुवारा ,आनत इंद्र प्रकाश चन्द्र -कलावती बांसवाड़ा ,प्राणत इंद्र प्रमोद कुमार वासिम महाराष्ट्र ,आरण इंद्र पवनकुमार-अभिलाषा जैन रमगढ़ा, अच्युत इंद्र -बंशीधर चम्पादेवी गुड़ा, विधिनायक बनने का अवसर राजकुमार शिक्षक गुढ़ा वाले शाहगढ़ को प्राप्त हुआ है।
सलाम खाकी न्यूज ललितपुर से पत्रकार इन्द्रपाल सिंह की रिपोर्ट
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