सौरई में मल्लिनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में मनाया भगवान का गर्भकल्याणक
व्यक्ति के जीवन की संपूर्ण शुभ और अशुभवृत्ति उसके संस्कारों के अधीन है : मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज
मुनि श्री संस्कारसागर , आराध्य सागर, मुनि श्री साध्य सागर की अगवानी करने उमड़े श्रद्धालु, हुआ भव्य मिलन
कड़ाके की ठंड के बीच पद विहार कर सौरई पहुँचे तीन मुनिराज
ललितपुर (उ०प्र०) 16 जनवरी 2020
परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य श्रमण मुनि श्री 108 सुप्रभसागर जी महाराज एवं श्रमण मुनि श्री प्रणतसागर जी महाराज के पावन सान्निध्य में तथा प्रतिष्ठाचार्य ब्र. जय कुमार जी निशांत भैया टीकमगढ़ के प्रतिष्ठाचार्योत्व में श्री 1008 भगवान मल्लिनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा गजरथ, कलशारोहण महोत्सव एवं विश्व शांति महायज्ञ के दूसरे दिन गुरुवार को
महोत्सव में भगवान के गर्भ कल्याणक के उत्तर रूप की क्रियाओं को पात्रों द्वारा विधि विधान के साथ सम्पादित किया गया।
सर्वप्रथम प्रातः अभिषेक, शांतिधारा, जाप, पूजन की गई। इसके बाद गर्भकल्याणक की पूजन, हवन किया गया। दोपहर में सीमंतनी क्रिया, घटयात्रा, मंदिर वेदी शुद्धि संस्कार की क्रियाओं को सम्पन्न किया गया। रात्रि में आरती, शास्त्र सभा के बाद भगवान की माता का जागरण, स्नान, श्रृंगार, 56 कुमारियों द्वारा भेंट समर्पण, महाराज का दरबार, माता का आगमन और स्वप्नफल को मंच पर दर्शाया गया, जिसे देखकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे।
इस अवसर पर मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि पंच कल्याणक में गर्भ कल्याणक के साथ संस्कारों की चर्चा अत्यंत महत्वपूर्ण है। जीवन को समुन्नत करना ही संस्कारों का मुख्य उद्देश्य है। व्यक्ति के जीवन की संपूर्ण शुभ और अशुभवृत्ति उसके संस्कारों के अधीन है जिनमें से कुछ वह पूर्व भव से अपने साथ लाता है व कुछ इसी भव में संगति व शिक्षा आदि के प्रभाव से उत्पन्न करता है। इसीलिए गर्भ में आने के पूर्व से ही बालक में विशुद्ध संस्कार उत्पन्न करने के लिए विधान बताया गया है। पंचकल्याणक के शुभ संयोग से यदि संस्कारों के बारे में अधिक गहराई से विचार करेंगे तो उन्नत जीवन का हमारा नजरिया अधिक तार्किक हो जाएगा।संस्कार एक ऐसी प्रकाश की किरण है जो हमेशा आदमी के साथ रहती है।
आयोजन को सफल बनाने में महोत्सव की आयोजन समिति व उप समिति उल्लेखनीय योगदान रहा।इस दौरान सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
मुनित्रय का हुआ मुनिद्वय से भव्य मिलन, गाजे-बाजे के साथ मंगल प्रवेश :
महोत्सव में आज श्रमण मुनि श्री संस्कार सागर , श्रमण मुनि श्री आराध्य सागर जी महाराज, श्रमण मुनि श्री साध्य सागर महाराज जी का सौरई में मंगल प्रवेश हुआ जहाँ मुनित्रय का मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज एवं श्रमण मुनि श्री प्रणतसागर जी महाराज से भव्य मिलन हुआ। जिसे देख श्रद्धालुओं ने भाव-विभोर होकर जयकारा लगाया।
इससे पूर्व सुबह तीनों मुनिराजों का मड़ावरा में भव्य मंगल प्रवेश हुआ जहां उनकी गाजे-बाजे के साथ अगवानी करने श्रद्धालु उमड़ पड़े। महोत्सव समिति के पदाधिकारियों ने सभी मुनिराजों के इस अवसर पर पाद प्रक्षालन कर आरती की। आहारचर्या मड़ावरा में सम्पन्न होने के बाद दोपहर में सौरई में चल रहे पंचकल्याणक महोत्सव में सान्निध्य प्रदान करने के लिये पद विहार हुआ। कड़ाके की ठंड के बीच पद विहार करके सौरई पहुँचे मुनिराजों की त्याग, तपस्या देखकर सैकड़ों जैन-जैनेतर श्रद्धालु जयकारा करते हुए नमोस्तु कर रहे थे। श्रद्धालुओं ने दिगम्बर साधु की इस कठोर साधना को देखकर उन्हें धरती का देवता कहा।
पाषाण को संस्कारित कर पूज्य बनाता है पंचकल्याणक :
जैनदर्शन के अध्येता डॉ. सुनील संचय बताते हैं कि पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव जैन समाज का सर्वाधिक महत्वपूर्ण नैमित्तिक महोत्सव है। यह आत्मा से परमात्मा बनने की प्रक्रिया का महोत्सव है। पौराणिक पुरुषों के जीवन का संदेश घर-घर पहुँचाने के लिए इन महोत्सवों में पात्रों का अवलम्बन लेकर सक्षम जीवन यात्रा को रेखांकित किया जाता है। पंचकल्याणक पाषाण को संस्कारित कर पूज्य बनाता है। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में दिखाई जाने वाली घटनाएँ काल्पनिक नहीं, प्रतीकात्मक हैं।
शुक्रवार को तीसरे दिन महोत्सव में भगवान का जन्मकल्याणक मनाया जाएगा। भगवान के जन्मोत्सव को देखने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने की संभावना है।
उक्त जानकारी महोत्सव के मंत्री द्वय अजित कुमार स्टील एवं श्री विजय जैन ने प्रदान की है।
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