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नैनीताल मे बर्फबारी का आनन्द उठा रहे है पर्यटक , इस बार की बर्फबारी ने तोडा 25 साल का रिकार्ड

नैनीताल में हुआ भीषण हिमपात, पर्यटक हुए खुश

लखनऊ उत्तर प्रदेश 10 जनवरी 2020


 इस समय सर्दियों का मौसम चल रहा है और पहाड़ों में बर्फ गिरने का समय यही होता है । जब वातावरण का तापमान गिरने लगता है और शून्य डिग्री के करीब पहुंचता है तो जल की बूंदें बर्फ का रूप धारण कर गिरने लगती हैं। बीते कई दिनों से  पहाड़ों में तापमान बहुत नीचे बना हुआ है और मौसम  इसी संकेत के कारण मैदानी इलाकों से बहुत सारे पर्यटक बर्फबारी देखने के लिए नैनीताल पिथौरागढ़ की ओर चल पड़े हैं।

  जनपद बांदा से भी शिक्षक साहित्यकार प्रमोद दीक्षित और उनकी बेटी संस्कृति एक शैक्षिक यात्रा में इस समय उत्तराखंड प्रवास में हैं। उन्होंने बताया की 8 जनवरी को दिनभर बरसात हुई इस कारण  रात को पहाड़ों में भयंकर बर्फबारी हुई । 9 जनवरी की सुबह रामगढ़ जाते समय वे रास्ते में फंस गए । उनकी गाड़ी बर्फ में फिसल रही थी। सड़क पर ऊंची बर्फ  के कारण गाड़ियां रामगढ़ से 8 किलोमीटर पहले ही एक लंबी कतार में खड़ी थीं। स्थानीय निवासियों का कहना है की ऐसी बर्फ लगभग 25 सालों बाद गिरी है ।

 संस्कृति दीक्षित ने बताया कि   नैनीताल की झील का पानी पर हल्की बर्फ जम गई है । माल रोड, तल्लीताल मल्लीताल, जू सब जगह पर बर्फ की चादर बिछी हुई। प्रमोद दीक्षित कहते हैं कि 9 जनवरी को वह महादेवी वर्मा की सृजन स्थली रामगढ़ और मुक्तेश्वर धाम देखने के लिए निकले थे लेकिन भवाली से ही चारों तरफ बर्फ ही बर्फ दिखाई पड़ रही है। रास्ते में लगभग 1 फुट ऊंची बर्फ गिरी हुई है।  देवदार और चीड़ के पेड़ भी रास्ते में गिरे हुए हैं । बिजली के तार टूट गए हैं और आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। पिथौरागढ़ के शिक्षक साहित्यकार महेश चंद्र पुनेठा एक कविता के माध्यम से पहाड़ के दर्द को को उकेरते हुए कहते हैं कि धरती पर  बर्फ सेमल फूल की रुई सी फर फर  गिर रही है,  जैसे कविता कागज में चुपके चुपके उतर रही हो । कई दिन पहले से  होटलों में इंतजार कर रहे पर्यटक बर्फबारी देखने के लिए निकल पड़े हैं।

एक दूसरे के ऊपर बर्फ के गोले मारकर एवं बर्फ की मूर्ति बनाकर आनंदित हो रहे हैं लेकिन उस दूध वाले और रोजमर्रा के व्यवसाय करने वाले आमजन के दर्द को कोई नहीं देख पाता जिसे बर्फ गिरने के बंद होने का इंतजार है ताकि शाम को घर का चूल्हा चल सके । उसके आंखों में बर्फ गिरने की खुशी नहीं रोटियों की चिंता दिखाई पड़ती है।
वही अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के जिला समन्वयक रामनरेश गौतम कहते हैं


 कि हमारा ऑफिस भीमताल में है और यहां 26 साल बाद भीमताल में बर्फ गिरी है। कहानीकार दिनेश कर्नाटक कहते हैं कि जब नैनीताल और रामगढ़ के पहाड़ों की चोटियों पर बर्फ गिरती है तो बहुत सुंदर प्रतीत होती हैं जो सूरज की रोशनी में सोने सा चमकती हैं। यहां रानीबाग से स्थानीय किसानों का कहना है कि यह बर्फ कई दिन रहेगी और सेब आडू नाशपाती आलू आदि की खेती के लिए बाद में उपयोगी सिद्ध होगी।





सलाम खाकी न्यूज ललितपुर से इन्द्रपाल सिंह की रिपोर्ट

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