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श्रमण संस्कृति की अमूल्य धरोहर थे आचार्य विद्यानंद जी : आचार्य विनिश्चय सागर

संस्कृति की अमूल्य धरोहर थे आचार्य विद्यानंद जी : आचार्य विनिश्चय सागर


ललितपुर।
वाककेशरी आचार्य श्री विनिश्चय सागर जी महाराज ससंघ के सान्निध्य में अटा जैन मंदिर में दिगम्बर जैन पंचायत समिति के तत्वावधान में चल रही त्रिदिवसीय राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी के तीसरे दिन रविवार को सुबह, दोपहर  सत्रों में अनेक विद्वानों ने अपने शोधालेख प्रस्तुत किये। प्रातः कालीन सत्र का शुभारंभ  मंगलाचरण से हुआ। इसके बाद विद्वानों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित किया गया। इसके बाद क्षुल्लक प्रज्ञान्स  सागर महाराज ने तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ के दस अध्यायों का वाचन कर अर्घ्य समर्पित करवाये। अर्घ्य समर्पण क्रमशः विद्वानों, जैन पंचायत के पदाधिकारियों, श्रावकों, मातृशक्ति ने किए।

इस अवसर पर मगध विश्वविद्यालय बोधगया से आये प्रख्यात साहित्य मनीषी प्रो. नलिन के.शास्त्री ने अपना शोधालेख प्रस्तुत करते हुए कहा कि जैन शिक्षा पद्धति में शिक्षा के माध्यम के विषय में किसी भाषा विशेष पर आग्रह नही है। पहले शिक्षा शास्त्री जैनाचार्य हैं । जिन्होंने सर्वप्रथम शिक्षा का माध्यम मातृभाषा बनाया।  उस समय की लोकभाषाओं - अर्धमागधी , शौरसेनी , महाराष्ट्री , प्राकृत का सृजन भी किया ।

 आज वर्तमान में हम यदि जैन शिक्षा के तत्वों को अपनी आधुनिक शिक्षा पद्धति में समावेश करें तो  हम काफी हद तक शिक्षा में व्याप्त विसंगतियों से निजात पा सकते हैं । जैसे - जैन शिक्षा में गुरु की महत्ता निस्प्रेय थी । आज वर्तमान में यही एक बहत बडी महत्ता है । देश में हिंसा, छल, चोरी अपराध इतना भयंकर बढ़ा हुआ है , परन्तु दूसरी तरफ जैन नैतिक शिक्षा का प्रभाव जन - जीवन पर इतना अधिक हुआ कि सहस्रों वर्षों के बाद आज भी जैन धमविलम्बियों में अपराधवृत्ति नहीं के बराबर देखी है । यह तथ्य सर्वेक्षण द्वारा भी प्रमाणित हुई ।यह नैतिक शिक्षा का ही प्रभाव है जैन परम्परा में शाकाहार को ही प्रतिष्ठा मिली तथा मादक द्रव्यों को कठोरतापूर्वक निषेध किया । उन्होंने कहा कि जैन दर्शन एक प्राचीन भारतीय दर्शन है। इसमें अहिंसा को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। नई शिक्षा नीति में यदि जैन दर्शन की शिक्षाओं को समावेश किया जाय तो एक क्रांतिकारी कदम होगा।


अखिल भारत वर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्री परिषद के महामंत्री ब्र. जय कुमार निशांत भैया टीकमगढ़ ने मंत्रो के कार्य बिषय पर अपने शोधलेख में अनेक नए महत्वपूर्ण तथ्य उदघाटित किये साथ ही मंत्रों के प्रयोग और उनकी शुद्धि अशुद्धि पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा मंत्र तभी सार्थक फल देते हैं जब वह पूरी श्रद्धा आस्था से उनकी साधना की जाय। आजकल तंत्र मंत्र के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा है। मंत्रों का भी व्याकरण है। उसी के अनुसार विभिन्न कार्यों के लिए वि‍भिन्न प्रकार के बीजाक्षरों की योजना करके विभिन्न प्रकार के मंत्र बनाए जाते हैं। विद्यानुशासन ग्रंथ में मंत्रों का व्याकरण बतलाया गया है।

 मंत्र बीजाक्षरों से निष्पन्न होते हैं। मंत्र में निहित बीजाक्षरों में उच्चारित ध्वनियों में विद्युत तरंगें उत्पन्न होती हैं।


काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी में जैन-बौद्ध दर्शन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो . अशोक कुमार जैन वाराणसी ने दर्शनोपयोग एवं ज्ञानोपयोग का विशिष्ट चिंतन विषय पर अपने आलेख में कहा कि जीव में ज्ञान और दर्शन गुण की धारा निरन्तर प्रवर्तित होती रहती है।
अध्यक्षता शास्त्री परिषद के अध्यक्ष डॉ श्रेयांस जैन बड़ौत ने करते हुए सभी लेखों की समीक्षा की तथा आचार्य विद्यानंद जी के समाधिमरण पर उन्होंने कहा कि जैन समाज के एक सूर्य का अंत हो गया है।  डॉ सुनील जैन संचय ने सफलतम संचालन  किया।

मध्यान्ह के सत्र में प्रतिष्ठाचार्य विनोद जैन रजवांस ने जैनदर्शन में कालसर्प, नवग्रह आदि का महत्व विषय पर अपने आलेख में अनेक महत्वपूर्ण बिंदुओं से विद्वानों और जन समुदाय को प्रभावी तरीके से अवगत कराया।


 प्राचार्य निहालचंद्र बीना ने जैन शास्त्रों और वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में लोक की संरचना, डॉ नीलम जैन ने जैन दर्शन में भक्ति का महत्व, डॉ निर्मल टीकमगढ़ ने आहारक शरीर विवेचन, डॉ सुनील संचय ने जैनदर्शन में पर्यावरण संरक्षण,लोकेश शास्त्री बांसवाड़ा ने संस्कृत भाषा में अपने आलेख को प्रस्तुत किये।
दिगम्बर जैन पंचायत के तत्वावधान में आज संगोष्ठी के बीच में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिसमें दिल्ली में विराजमान दिगम्बर जैन परंपरा के वयोवृद्ध प्रमुख जैनाचार्य 108 श्री विद्यानंद जी महाराज का समाधिमरण रविवार को प्रातः 2.40 पर  होने पर जैन समाज ललितपुर और राष्ट्रीय संगोष्ठी में उपस्थित देश के विभिन्न भागों से आये विद्वानों ने अपने विचार रखते हुए उन्हें श्रद्धांजलि समर्पित की।
जैन पंचायत के अध्यक्ष इंजी. अनिल अंचल ने कहा कि  दिगंबर जैन परंपरा के सबसे वयोवृद्ध तेजस्वी, योगी, महामनीषी आचार्य, परम पूज्य, सिद्धांत चक्रवर्ती, अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी, जैनधर्म को एक नयी पहचान देने वाले राष्ट्रसंत आचार्यश्री विद्यानंदजी महाराज का आज 22 सितम्बर 2019 की अमृतवेला में प्रातः 2 बजकर 40 मिनट में उत्तम अमृत बेला में सल्लेखनापूर्वक समाधिमरण हो गया! एक प्रतापी सूर्य जो सदा के लिए अस्ताचल में चला गया और पीछे छोड गए अनंत स्मृतियां तथा अपने अनुभव से परिपूर्ण दिव्य ज्ञान।
मीना इमलिया, डॉ अक्षय टडैया, शीतलचंद्र, मनोज बबीना, अक्षय आदि ने उन्हें महान जैनाचार्य बताया।
विद्वानों ने कहा कि प्राकृत भाषा को एक सामान्य झोपड़ी से निकाल कर राष्ट्रपति भवन तक पहुंचाने का कार्य यदि किसी ने किया तो वो हैं आचार्य विद्यानंद मुनिराज ।

आचार्य श्री विनिश्चय सागर जी महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि आचार्य श्री विद्यानंद जी ने अपना समस्त जीवन जैन धर्म द्वारा बताए गए अहिंसा, अनेकांत व अपरिग्रह के मार्ग को समझने व समझाने में समर्पित किया। जिन्होंने भगवान महावीर के सिद्धान्तों को जीवन-दर्शन की भूमिका पर जीकर अपनी संत-चेतना को सम्पूर्ण मानवता के परमार्थ एवं कल्याण में स्वयं को समर्पित करके अपनी साधना, सृजना, सेवा, एवं समर्पण को सार्थक पहचान दी है। वे आचार्यरत्न श्री देशभूषणजी महाराज के परम शिष्य थे । भारतीय संस्कृति को उनके अनेक अवदान रहे।



आचार्य श्री ने आगे कहा कि ज्ञान वही सार्थक है जो आचरण में दिखे।
इसके बाद मौन पूर्वक नौ बार णमोकार मंत्र पढ़कर उन्हें सभी ने सामूहिक रूप से श्रद्धांजलि समर्पित की।
त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में समागत सभी विद्वानों को जैन पंचायत की ओर से जैन पंचायत के अध्यक्ष अनिल अंचल, महामंत्री डॉ अक्षय टडैया,उपाध्यक्षा मीना इमलिया, पूर्व अध्यक्ष सुंदर लाल अनौरा, अखिलेश गदयाना, संजीव ममता स्पोर्ट्स, धार्मिक आयोजन समिति के संयोजक मनोज बबीना, अक्षय अलया, अटा मंदिर के प्रबंधक कपूरचंद लागोन, भगवानदास कैलगुवा, अभिषेक अनौरा, सतीश नजा,  प्रमोद पाय, शादीलाल एडवोकेट, जयकुमार एडवोकेट,धन्यकुमार एडवोकेट, विमल जैन पीहर,संजय मोदी, महेंद्र मयूर,अलका जैन,गुणमाला जैन, कमला जैन, नरेश मुक्ता, वीरेंद्र विद्रोही, महेंद्र पंचम, सनत खजुरिया,अनिल अलया, सनत जैन, कामरेड जिनेंद्र जैन,अनन्त सराफ, चंचल पहलवान,  पुष्पेंद्र जैन आदि  ने माला, तिलक, प्रतीक चिन्ह आदि के माध्यम से सम्मानित किया गया।


इस दौरान  पंडित पवन दिवान मुरैना, डॉ पंकज जैन भोपाल, डॉ आशीष जैन शाहगढ़,  पंडित अनिल सागर, पंडित आलोक मोदी, पंडित मुकेश जैन, पंडित शीतलचंद्र, डॉ नीलम सराफ, पंडित सचिन टेहरका, मनीष शास्त्री शाहगढ़, डॉ निर्मल शास्त्री, प्रदीप जैन टीकमगढ़,राजेश शास्त्री,
वीरचन्द्र जैन, अशोक शास्त्री, पंडित जीवन लाल शास्त्री, शीलचंद्र शास्त्री, ज्ञानचन्द्र मदन, संतोष शास्त्री अमृत,प्रदीप शास्त्री, पंडित अरविंद जैन, पंडित खेमचंद्र, पंडित स्वतंत्र जैन टीकमगढ़, निहालचंद्र चंद्रेश, डॉ ऋषभ जैन, पंडित वीरेंद्र जैन, पंडित आलोक शास्त्री, सचिन शास्त्री, सोमचंद्र शास्त्री,  आदि अनेक विद्वान उपस्थित रहे। संगोष्ठी में सहयोगी रहे सभी महानुभावों को भी सम्मानित किया गया। मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व राज्य मंत्री नारायण कुशवाह ग्वालियर ने आचार्य श्री विनिश्चय सागर जी को श्रीफल समर्पित कर आशीर्वाद लिया।
आभार जैन पंचायत के महामंत्री डॉ अक्षय टडैया ने किया ।





सलाम खाकी से यूपी हेड

ललितपुर से :-

मान सिंह के साथ पत्रकार इन्द्रपाल सिंह  9695037944
                     की रिपोर्ट

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