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शिव मंदिर में फर्जी पुजारी बनकर रह रहा युवक गिरफ्तार — मेरठ से चौंकाने वाली घटना उजागर

✍️ रिपोर्ट: मनीष सिंह | "सलाम खाकी" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका

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📍 घटना का संक्षिप्त परिचय

मेरठ जनपद के थाना दौराला क्षेत्र के ग्राम दादरी स्थित शिव मंदिर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक व्यक्ति जिसने अपना वास्तविक नाम और धर्म छिपाया, लगभग एक वर्ष तक पुजारी बनकर मंदिर में रह रहा था। मामला तब खुला जब वह शिवरात्रि के दिन मंदिर में आकर दानपात्र से पैसे निकालने लगा और ग्रामीणों ने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया।

पुलिस की तत्परता और ग्रामीणों की सजगता से एक बड़ा धोखाधड़ी का प्रयास नाकाम हुआ। यह मामला न सिर्फ कानून व्यवस्था का विषय है, बल्कि समाज में धार्मिक स्थलों की पवित्रता और आस्था के नाम पर होने वाले छल का भी गंभीर उदाहरण है।


🧍‍♂️ असली पहचान छिपाकर बना पुजारी

गिरफ्तार किए गए युवक का नाम कासिम पुत्र मौलाना अब्बास शाह (उम्र 39 वर्ष) है, जो ग्राम कोईली रायपुर, थाना नानपुर, जिला सीतामढ़ी, बिहार का निवासी है। यह युवक पिछले लगभग एक वर्ष से दादरी स्थित शिव मंदिर में कृष्णा पुत्र संतरपाल के नाम से रह रहा था।

उसने हिंदू नाम अपनाकर ग्रामीणों को यह यकीन दिला दिया कि वह मंदिर का वास्तविक पुजारी है। इस दौरान उसने न केवल मंदिर की सेवा की, बल्कि गांव के लोगों से विश्वास भी अर्जित कर लिया था।


🚩 कांवड़ यात्रा से पहले गायब, शिवरात्रि पर वापसी

कुछ महीने पहले, कांवड़ यात्रा की शुरुआत से पहले यह युवक अचानक मंदिर से गायब हो गया था। लोगों ने सोचा कि वह किसी अन्य धार्मिक कार्य के लिए गया होगा। लेकिन जब सावन का अंतिम पर्व शिवरात्रि आया, तो वह फिर से मंदिर में आ धमका।

इस बार उसकी मंशा धार्मिक नहीं, बल्कि आर्थिक थी। वह सीधे मंदिर के दानपात्र की चाबी लेकर पहुंचा और उसे खोलकर उसमें रखी राशि निकालने लगा। इस पर कुछ ग्रामीणों की नजर पड़ी और उन्होंने उसे रोक लिया।


सवालों पर चुप्पी, पुलिस को दी गई सूचना

जब ग्रामीणों ने उससे सवाल किया कि वह अचानक क्यों लौट आया और दानपात्र से पैसे क्यों निकाल रहा है, तो उसने कोई जवाब नहीं दिया। उसके व्यवहार और चुप्पी से मामला संदिग्ध लगा, जिस पर ग्रामीणों ने तत्काल पुलिस को सूचना दी।


👮‍♂️ पुलिस की त्वरित कार्रवाई: हिरासत में लिया गया आरोपी

सूचना मिलते ही थाना दौराला पुलिस मौके पर पहुंची और युवक को हिरासत में लिया। जब उससे नाम और पता पूछा गया, तो उसने झूठ बोलने की कोशिश की, लेकिन कड़ाई से पूछताछ के बाद उसने स्वीकार किया कि उसका असली नाम कासिम पुत्र मौ0 अब्बास शाह है।

उससे आधार कार्ड मांगा गया, लेकिन वह कोई वैध दस्तावेज नहीं दिखा सका। इसके बाद पुलिस ने उसकी पृष्ठभूमि की गहराई से जांच शुरू की।


🔍 पहले से श्मशान घाट के काली मंदिर में भी रहा था आरोपी

जांच में यह भी सामने आया कि वह युवक इससे पहले खतौली क्षेत्र में स्थित एक श्मशान घाट के पास काली मंदिर में भी रह चुका है। वहाँ से पुलिस ने धार्मिक किताबें और एक मोबाइल फोन बरामद किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह लगातार अलग-अलग मंदिरों में फर्जी तरीके से निवास कर रहा था और लोगों को धोखा दे रहा था।


⚖️ विधिक कार्यवाही: गंभीर धाराओं में केस दर्ज

थाना दौराला पर युवक के विरुद्ध मु0अ0सं0 219/25 अंतर्गत धारा 298, 319(2), 305, 317(2) बीएनएस के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

यह धाराएं धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना, धोखाधड़ी, छलपूर्वक स्वयं को छुपाना, विश्वास का उल्लंघन आदि अपराधों को सम्मिलित करती हैं। आरोपी को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है, जहां से आगे की न्यायिक प्रक्रिया जारी है।


📣 ग्रामीणों और पुलिस की सजगता काबिले तारीफ

इस पूरे प्रकरण में ग्रामीणों की सतर्कता और पुलिस की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है। यदि ग्रामीण युवक की गतिविधियों पर नजर न रखते और पुलिस को सूचना देने में देर कर देते, तो शायद मंदिर से पैसे चोरी हो जाते और एक फर्जी व्यक्ति पुनः भागने में सफल हो जाता।


✍️ "सलाम खाकी" की टिप्पणी

यह घटना हमें यह सोचने पर विवश करती है कि धार्मिक स्थलों पर नियुक्त लोगों की पृष्ठभूमि जांच, आधिकारिक पहचान, और स्थानीय निगरानी कितनी आवश्यक है। कोई भी धर्म ऐसा नहीं सिखाता कि दूसरे धर्म की पहचान बनाकर आस्था और विश्वास का शोषण किया जाए।

"सलाम खाकी" ऐसे हर सतर्क प्रहरी — ग्रामीण हो या पुलिसकर्मी — को सलाम करता है जिन्होंने आस्था को अपवित्र होने से बचाया।


🔚 निष्कर्ष:

यह एक चेतावनी है — समाज और धर्मस्थलों को ठगने वाले चाहे जिस रूप में आएं, जनता और प्रशासन की चौकसी उन्हें बेनकाब करती रहेगी। आस्था की रक्षा तभी संभव है जब हम जागरूक और जिम्मेदार बनें।

🙏 "जहाँ आस्था है, वहाँ विश्वास की रक्षा अनिवार्य है!"
✍️ रिपोर्ट: मनीष सिंह
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