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"पेटीएम बनकर ठग रहे थे लाखों! मुजफ्फरनगर पुलिस ने दबोचे साइबर ठगों का गैंग, एसएसपी संजय वर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया बड़ा खुलासा – बरामद हुए नकदी, फर्जी दस्तावेज और लग्जरी कार"

मुजफ्फरनगर। जनपद मुजफ्फरनगर की मंसूरपुर पुलिस ने एक बड़े साइबर क्राइम गैंग का पर्दाफाश करते हुए पेटीएम कंपनी के नाम पर केवाईसी कराने के बहाने दुकानदारों से लाखों रुपये की ठगी करने वाले तीन शातिर ठगों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह दिल्ली से संचालित हो रहा था और पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सुनियोजित तरीके से लोगों को अपना शिकार बना रहा था।

पुलिस टीम ने आरोपियों के पास से ₹1.35 लाख नकद, 08 मोबाइल फोन, 30 फर्जी आधार-पैन कार्ड, पेटीएम के 45 क्यूआर कोड, 10 सिम कार्ड और एक हुंडई आई10 कार बरामद की है।

इस बड़ी कार्रवाई की जानकारी स्वयं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार वर्मा ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी। उन्होंने बताया कि यह गिरोह पेटीएम कंपनी का कर्मचारी बनकर दुकानदारों को झांसा देता था कि उनकी केवाईसी अपडेट करनी है, जिससे उनका ₹125 का मासिक शुल्क घटकर ₹1 हो जाएगा। इसी बहाने वे दुकानदारों से पेटीएम बॉक्स सिम व मोबाइल सिम लेते थे और एक विशेष ऐप के जरिए उनके खातों को एक्सेस कर लेते थे। बाद में पेट्रोल पंप या जनसेवा केंद्र के माध्यम से खाते से पैसे ट्रांसफर कर नकदी निकाल लेते थे।

एसएसपी संजय वर्मा ने कहा कि यह गिरोह अत्यंत शातिर तरीके से काम कर रहा था और तकनीक का दुरुपयोग कर रहा था। उन्होंने बताया कि 24 मई को मंसूरपुर कस्बे के एक जनसेवा केंद्र संचालक से ₹84,000 की साइबर ठगी हुई थी। इसी मामले में थाना मंसूरपुर में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की गई थी। विवेचना के दौरान साक्ष्य जुटाकर शुक्रवार को मुखबिर की सूचना पर नावला फ्लाईओवर के पास से तीनों अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया।

गिरफ्तार ठगों की पहचान दिल्ली के नागलोई निवासी आलोक (24 वर्ष), मोनू (21 वर्ष) और अमन वर्मा (26 वर्ष) के रूप में हुई है। तीनों पहले पेटीएम कंपनी में काम कर चुके हैं और वहीं से उन्हें इस ठगी का आइडिया मिला था। नौकरी छोड़ने के बाद इन्होंने खुद का गैंग बनाकर पेटीएम का नकली प्रतिनिधि बनकर ठगी शुरू कर दी।

एसएसपी संजय वर्मा ने मंसूरपुर पुलिस टीम की पीठ थपथपाते हुए कहा कि पुलिसकर्मियों ने बेहद मुस्तैदी से काम करते हुए समय पर कार्रवाई की और गैंग को दबोचने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने बताया कि अब तक इस गैंग द्वारा कई जिलों में वारदातें की जा चुकी हैं और इनके आपराधिक इतिहास की गहन जांच की जा रही है।

गिरफ्तारी में एसएचओ सुभाष अत्री, उप निरीक्षक जबर सिंह, गौरव आनंद, सुनील कुमार सहित पुलिस बल के अन्य सदस्यों की प्रमुख भूमिका रही।

मुजफ्फरनगर पुलिस की यह कार्रवाई साइबर अपराधियों के लिए कड़ा संदेश है कि अपराध चाहे जितना भी हाईटेक हो, कानून की पकड़ से नहीं बच सकता। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय वर्मा की सक्रियता, तत्परता और तकनीकी समझ ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जनपद की कानून व्यवस्था चुस्त और चौकस है। सलाम खाकी से  गुलवेज़ आलम 
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