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*पुलिस किस दर्द से गुज़रती हैं यह किसी को नजर नही आता,बल्कि सच तो यह हैं कि हम देखना ही नही चाहते..!!*


अपनों को रोता छोड़ नजर आती यह ख़ाकी,दिन हो या रात,धूप हो या बरसात आपकी सेवा के लिए खड़ी नज़र आती यह ख़ाकी,मत पूछो इस ख़ाकी पर क्या गुजरती है,सब के दुख दर्द में खड़ी नजर आती यह ख़ाकी..!
अपनों के लिए हर वादे तोड़ के आती हैं यह खाकी,आपके लिए अपनों को रोता छोड़ आती यह ख़ाकी,दिन हो या रात,धूप हो या बरसात आपकी सेवा के लिए यही खड़ी नज़र आती यह ख़ाकी,मत पूछो इस ख़ाकी पर क्या गुजरती है,सब के दुख दर्द में खड़ी नजर आती यह ख़ाकी..!हमारे देश की सुरक्षा में जितनी भूमिका भारतीय सेना की है,उतनी ही पुलिस की भी होती है!पुलिस वाले हमारे लिए रात भर चैन से सोने के लिए अपनी नींद की क़ुरबानी देते हैं इनकी जितनी तारीफ करें उतनी ही कम है!लेकिन यही पुलिस किस दर्द से गुज़रती हैं यह किसी को नजर नही आता हैं बल्कि सच तो यह हैं कि हम देखना ही नही चाहते!कुछ वर्षों से देखने में आ रहा हैं कि पुलिसकर्मी के आत्महत्या के अनेक मामले सामने आ रहें हैं!इन पर सिर्फ काम का दबाव ही नहीं पुलिसकर्मियों के तनाव व परिवार का तनाव  और हताशा के और भी कारण हैं!यूपी में पुलिस कर्मियों का विश्व का सबसे बड़ा पुलिस संगठन है!इतना बड़ा संगठन हैं और वह अपने कर्मियों के आत्महत्या करने से विचलित है!अनुशासित पुलिस बल में आत्महत्या के मामले क्या सिर्फ काम के बोझ की वजह से हो रहे हैं?बिगड़ा खानपान, अनियमित दिनचर्या से ज्यादातर पुलिस कर्मचारियों को नींद न आने की बीमारी हो रही है!या परिवार की टेंशन इसका सीधा असर पुलिस कर्मचारियों के स्वास्थ्य और कामकाज पर पड़ रहा है!पुलिस कर्मचारी चिड़चिड़े तो हो ही रहे हैं साथ ही उनमें डिप्रेशन भी बढ़ रहा है!मनोचिकित्सकों के पास इस तरह के कई मामले सामने आ रहे हैं!कई पुलिसकर्मियों को तो यह पता ही नहीं है कि व डिप्रेशन का शिकार हैं! डॉक्टरों के अनुसार दस में से छह पुलिसवालों में इस तरह की समस्या है!तनाव मन से संबंधी रोग है,जो मन की स्थिति और बाहरी परिस्थिति के बीच असंतुलन के कारण तनाव होता है! तनाव से व्यक्ति में कई मनोविकार पैदा होते हैं! इससे व्यक्ति हमेशा अशांत,अस्थिर रहता है, तनाव एक द्वंद की तरह है जो व्यक्ति के मन एवं भावनाओं में अस्थिरता पैदा करता है इससे कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है काम के दबाव के कारण व परिवार की परेशानियों से लगभग हर पुलिस कर्मचारी तनाव में रहता है! दिन-रात ड्यूटी के कारण पुलिस कर्मचारी चिड़चिड़े हो रहे हैं!पुलिस कर्मचारियों को बात-बात पर गुस्सा आता है काम के बोझ के कारण ही उनके शरीर में मेलाटोनिन हार्मोंस असंतुलित हो जाता है।शरीर के बायोलॉजिकल क्लॉक गड़बड़ा जाती है जब नींद नहीं आती है तो कई पुलिस कर्मचारी नींद की गोलियां तक खाते हैं!लंबे समय तक तनाव में रहने के कारण फिर वह डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं! मनोचिकित्सकों के पास लगातार इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं! डॉक्टरों का कहना है कि ड्यूटी का समय ज्यादा होने, काम का दबाव, तनाव, नींद न आना, परिवार से दूरी की वजह से अवसाद का शिकार होने के मामले पुलिस कर्मचारियों में देखे जा रहे हैं!हालहि में पिछले वर्ष से लेकर इस वर्ष कई आत्महत्या जैसे लखनऊ पुलिस लाइन में गोली मारकर आत्महत्या, रामपुर कोतवाली टांडा में तैनात सिपाही ने परिसर में आत्महत्या व गाजियाबाद में सिपाही ने आत्महत्या व मुजफ्फरनगर में भी पुलिस कांस्टेबल ने की आत्महत्या ऐसे ने जाने और कितने पुलिसकर्मियों ने आत्महत्या की बल्कि इन आत्महत्या की  घटनाओ से फिर से विभाग में एक दहशत का माहौल बन गया है!
सोचना यह है कि जनता के रखवाले ही कुंठा के शिकार क्यों हो रहे है!कहीं इसका कारण वर्कलोड या परिवार या हाईप्रेशर या फिर कोई अन्य कारण तो नहीं है!इसको लेकर विभाग के जिम्मेदार अधिकारी को जांच करनी चाहिए की ऐसा क्यों हो रहा हैं!पुलिस की नौकरी हमेशा तनाव के माहौल में होती है इसमें उसकी लंबी ड्यूटी के घंटे भी शामिल हैं ज्यादातर तो उपनिरीक्षक 18 या इससे अधिक भी अपनी ड्यूटी पर समय व्यतीत करते हैं तथा वही सिपाही औसतन 12 घंटे ड्यूटी करना आम बात है उसके बाद ड्यूटी के दौरान भी माहौल अक्सर नीरस रहता है!किसी एक प्वाइंट पर ड्यूटी लगा दी गई और उसको वहीं रहना है रूटीन ड्यूटी के अलावा रोज की एक्स्ट्रा ड्यूटी जिसमें क्षेत्र में वीआईपी मूवमेंट, कानून व्यवस्था, आपदा, ट्रैफिक जाम तक शामिल है!सवाल उठता है कि आखिर किन वजहों के चलते खाकी वर्दी के ये रखवाले जिदगी से मुंह मोड़ रहे हैं! बहरहाल पुलिस कर्मियों द्वारा की जा रही आत्महत्याएं कई मायनों में माथे पर सिलवटें बढ़ाने वाली हैं!यानी चिंता की सबब बनी हुई हैं!इस बाबत माना जा रहा है कि पुलिस वाले लंबी ड्यूटी तनाव,अधिकारियों का दबाव और कई बार पारिवारिक टेंशन समेत तमाम तरह के कारणों के चलते खुद अपने हाथों से मौत को गले लगा रहे हैं!सरकार को इस और ध्यान देना चाहिए और पुलिसकर्मियों की परेशानियों को खत्म किया जाना चाहिए जिससे कि पुलिस विभाग में आत्महत्या पर विराम लग सके।

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