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ललितपुर : टीकमगढ़ के प्रतिष्ठाचार्योत्व में सौरई में चल रहे श्री 1008 भगवान मल्लिनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक

युवराज मल्लिकुमार की निकली भव्य बारात


पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप आदित्य हुए शामिल


ललितपुर (उ०प्र०) 18 जनवरी 2020

परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य  श्रमण मुनि श्री 108 सुप्रभसागर जी महाराज,  मुनि श्री  प्रणतसागर जी महाराज, मुनि श्री  संस्कारसागर , मुनि श्री आराध्यसागर जी महाराज,  मुनि श्री  साध्य सागर महाराज जी के पावन सान्निध्य में  तथा प्रतिष्ठाचार्य ब्र. जय कुमार जी निशांत भैया टीकमगढ़ के प्रतिष्ठाचार्योत्व में सौरई में चल रहे श्री 1008 भगवान मल्लिनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा गजरथ, कलशारोहण महोत्सव के चौथे दिन शनिवार को तीर्थंकर भगवान के  तपकल्याणक के पूर्व रूप को  भारी अगाध आस्था -श्रद्धा भक्तिभाव के साथ मनाया गया।


महोत्सव में शनिवार को तप कल्याणक पूर्वरूप  विधि विधान के साथ प्रतिष्ठाचार्य ब्र. जय कुमार निशांत के निर्देशन में आयोजित हुआ जिसमें सर्वप्रथम प्रातः 6.30 बजे से अभिषेक, शांतिधारा, जाप, नित्य पूजा, जन्मकल्याणक पूजा, हवन किया गया।
दोपहर में मल्लिकुमार का राज्याभिषेक किया गया, जिसमें राजाओं के वेश में सभी ने तरह-तरह के उपहार भेंट किए। तपकल्याणक को नाट्यरूप में भी प्रस्तुत किया गया।  महाराजा कुम्भ का दरबार लगाया गया। पश्चात यंत्र पूजा की गई,पाणिग्रहण संस्कार विधि किया गया जिसमें भव्य बारात निकाली गई  ।

बारात में हाथी, घोड़े, बग्गी, बैंडबाजे क्रमशः चल रहे थे। लगभग पांच किलोमीटर तक ग्राम के अनेक स्थानों पर होते हुए उत्साह पूर्वक बारात निकली जिसमें महोत्सव के पात्र और सैकड़ों श्रद्धालु चल रहे थे। महोत्सव में मल्लिकुमार बनने का सौभाग्य अंकित विनोदकुमार जैन को मिला है। युवराज मल्लिकुमार का राज्याभिषेक किया गया तथा भेंट समर्पण किया गया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य भी आयोजन में शामिल हुए। इस दौरान आयोजन समिति द्वारा प्रदीप आदित्य का सम्मान किया गया।


इस अवसर पर मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में संबोधित करते हुए कहा कि वैभव होते हुए भी उनसे मुक्त कैसे रहा जाता है यह पंचकल्याणक में दिखाया जाता है।  जिनेंद्र भगवान बनने की प्रक्रिया आज से नहीं अनन्तकाल से चल रही है। संसार भी अनन्तकाल से है। कीच और कमल भी अनन्त काल से है। कीच भी रहेगा और पंकज भी खिलेगा। लेकिन जीव पंक की ओर जाता है, पंकज की ओर नहीं जा पाता। सौधर्म इंद्र वैभव छोड़ने के भाव होने पर भी वह तिल-तुष् मात्र भी छोड़ नहीं पाता।जब वैराग्य आता है तो संसार के सारे सुख नश्वर होते हैं।
 रात्रि में भजन सम्राट रूपेश जैन की भव्य भजन से संध्या हुई।


उक्त जानकारी महोत्सव के मंत्री द्वय अजित कुमार स्टील एवं श्री विजय जैन तथा आशीष चौधरी ने प्रदान की है। आयोजन को  सफल बनाने में महोत्सव की  आयोजन समिति व  उप समिति  उल्लेखनीय योगदान रहा।इस दौरान सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। रविवार को क्षेत्रीय सांसद अनुराग शर्मा आयोजन में शामिल होंगे।
आध्यात्मिक मेला है पंचकल्याणक महोत्सव :
डॉ सुनील संचय ने बताया पंचकल्याणक महोत्सव अन्य लौकिक मेलों के समान आमोद-प्रमोद का मेला नहीं है, यह एक विशुद्ध आध्यात्मिक मेला है, जिसके साथ सम्पूर्ण समाज की आस्थाएं और धार्मिक भावनाएं जुड़ी रहती हैं।

पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रमुख पात्र इसप्रकार हैं-  माता-पिता संतोष जैन शास्त्री-तारा जैन बने हैं वहीं सौधर्म इंद्र विकास जैन- नेहा जैन ललितपुर, कुबेर खुशालचंद जैन-अनीता जैन, महायज्ञनायक अजय जैन रजौला- सीमा जैन,  मल्लिकुमार-अंकित विनोदकुमार जैन, ईशान इंद्र राकेश जैन- राजुल जैन, सनत इंद्र रविन्द्र जैन- शशि जैन, माहेन्द्र इंद्र मदन जैन ललितपुर काका बस- चित्रा जैन, यज्ञनायक  पवन जैन सौरई- शशि जैन, विधिनायक सिंघई अजित जैन-जिनेश जैन,राजा नंदीसेन अभिनन्दन जैन- अमीषा जैन, चक्रवर्ती रोहित जैन- शुचिता जैन इंदौर, नारायण दीपक जैन-प्रीति जैन, प्रतिनारायण देवेंद्र जैन-कीर्ति जैन बने हैं।

सलाम खाकी न्यूज ललितपुर से पत्रकार इन्द्रपाल सिंह की रिपोर्ट

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