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ललितपुर न्यूज:- समस्त साधनाओं का मूल आधार है ब्रह्मचर्य :मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज साधना शिविर में शामिल शिविरार्थियों ने दिए ऑनलाइन पेपरसमयसारोपासक साधना संस्कार शिविर में शिविरार्थियों ने सीखे मन के विकास और तनाव मुक्ति के सूत्रमुनिश्री बोले स्वतंत्रता की दुहाई देकर हम स्वच्छंद होते जा रहे हैंमनाया गया अनन्त चतुर्दशी पर्व व वासुपूज्य भगवान का निर्वाणोत्सव

ललितपुर न्यूज:- समस्त साधनाओं का मूल आधार है ब्रह्मचर्य :
मुनि श्री  सुप्रभ सागर जी महाराज 

साधना शिविर में शामिल शिविरार्थियों ने दिए ऑनलाइन पेपर
समयसारोपासक साधना संस्कार शिविर में शिविरार्थियों ने सीखे मन के विकास और तनाव मुक्ति के सूत्र

मुनिश्री बोले स्वतंत्रता की दुहाई देकर हम स्वच्छंद होते जा रहे हैं
मनाया गया अनन्त चतुर्दशी पर्व व वासुपूज्य भगवान का निर्वाणोत्सव

ललितपुर। नगर में  चतुर्मासरत, दयोदय गौशाला मसौरा में विराजमान परम पूज्य श्रमणाचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य श्रमणरत्न मुनि श्री 108 सुप्रभ सागर जी महाराज व मुनि श्री प्रणत सागर जी महाराज के पावन सान्निध्य में दस दिवसीय दसलक्षण महापर्व के अवसर पर ऑनलाइन चल रहे  दस दिवसीय समयसारोपासक साधना संस्कार शिविर में पर्व के दसवें दिन मंगलवार को उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म, अनन्त चतुर्दशी पर्व, वासुपूज्य भगवान का निर्वाणोत्सव आस्था पूर्वक मनाया गया।
 मुनिश्री ने प्रातः 5.15 बजे से जीवन को बेहतर बनाने के लिए ध्यान कराया। दस दिन सुबह ध्यान के माध्यम से शिविरार्थियों ने आत्म-विकास के सूत्र सीखे साथ ही तनाव मुक्त जीवन जीने के उपाय प्राप्त किये। ऑनलाइन अभिषेक, शांतिधारा, दसलक्षण की पूजन, संस्कृत भाषा के  तत्त्वार्थसूत्र के दस अध्यायों का वाचन, अनन्त चतुर्दशी, वासुपूज्य भगवान का निर्वाण महोत्सव पर निर्वाण लाडू आदि समस्त क्रियाएं में सैकड़ों शिविरार्थियों ने ऑनलाइन लाभ प्राप्त किया । विधि-विधान पंडित निर्मल गोंदिया ने सम्पन्न करायी। प्रतिक्रमण के माध्यम से श्रद्धालुओं को की गई भूल का पश्चाताप और आगे गलती न करने की प्रेरणा दी गयी। 
ऑनलाइन साधना शिविर में शामिल शिविरार्थियों की ऑनलाइन परीक्षा की गई, जिसमें विगत दस दिन में मुनिश्री के निर्देशन में जो कुछ सिखाया गया उसको ऑनलाइन लिंक के माध्यम से परीक्षा की गई, जिसमें शिविरार्थियों ने बड़ी संख्या में उत्साह से ऑनलाइन पेपर दिए।
मुनिश्री ने दिया ऑनलाइन सम्यक समाधान :
'सुप्रभ उवाच' यूट्यूब चैनल के माध्यम से ऑनलाइन समीचीन विकल्पों का सम्यक समाधान में मुनि श्री सुप्रभ सागर जी ने  वैभव अमरावती, जगदीश गांधी मुंबई, शुभम आम्बेकर वाशिम महाराष्ट्र, डॉ सुनील संचय, चंचल जैन, विकास जैन ललितपुर आदि के ऑनलाइन प्रश्नों का सम्यक समाधान किया। ऑनलाइन प्रश्नों को संघस्थ मुनि श्री प्रणत सागर जी महाराज ने रखा। निर्देशन ब्र. साकेत भैया का रहा।  मुनि श्री सुप्रभ सागर जी प्रतिदिन समीचीन विकल्पों का ऑनलाइन सम्यक समाधान कर रहे हैं जिसमें देश-विदेश से प्राप्त प्रश्नों का समाधान किया जा रहा है।  समीचीन विकल्पों के सम्यक समाधान प्राप्त करने के लिए इन नंबर पर अपने प्रश्न भेज सकते हैं 87075 48811, 07415306441 प्रश्न व्हाट्सएप पर मेसेज, ऑडियो मेसेज या ईमेल  के माध्यम से भेजे जा सकते हैं।
इससे पूर्व प्रातः उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पर श्रमणरत्न मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने श्रद्धालुओं को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि  विश्व के समस्त धर्मों में ब्रह्मचर्य को एक पावन और पवित्र धर्म माना गया है । यह समस्त साधनाओं का मूल आधार है । ब्रह्मचर्य को अपनाये बिना आत्मा की उपलब्धि असम्भव है । ब्रह्म का अर्थ है आत्मा । आत्मा की उपलब्धि के लिए किया जाने वाला आचरण ब्रह्मचर्य है । आत्मोपलब्धि ही परम ब्रह्म की उपलब्धि है । विवाह का उद्देश्य वासना का निमन्त्रण नहीं , वासना का नियन्त्रण है । विवाह वासना का केन्द्रीकरण है ।  ब्रह्मचर्य का वास्तविक अर्थ है अन्तर्यात्रा अर्थात् अपनी ज्ञानरूप आत्मा में लीन होना। व्यवहार में मन की वासना या विकारों को जीतने का नाम ब्रह्मचर्य है।आज गृहस्थ का आचरण मर्यादा विहीन होता जा रहा है । निरन्तर मर्यादायें टूट रही हैं । स्वतंत्रता की दुहाई देकर हम स्वच्छंद होते जा रहे हैं ।
मुनि श्री प्रणत सागर जी ने  कहा कि  हमें ब्रह्मचर्य धर्म की शिक्षा और उसके संस्कार लेने हैं तो सबसे पहले विदेशों से आई इस अपसंस्कृति से बचना होगा । कुत्सित साहित्य , फिल्मी संसार और भड़कीले तथा अमर्यादित फैशन / परिधान से बचना होगा । खानपान की शुद्धि पर ध्यान रखकर शुद्ध सात्विक विचारधारा रखनी होगी ।

पत्रकार इन्द्रपाल सिंह की रिपोर्ट

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