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ललितपुर :- गौ वंशों की उचित एवं पर्याप्त व्यवस्था न होने से काफी गौ वंश मरने के कगार पर , प्रशासन भी अहाय नजर आया

उचित व्यवस्था नही होने से आये दिन हो रही गौवंशो मौत




ललितपुर 15 दिसम्बर 2019

नाराहट ग्राम पंचायत के अन्तर्गत अमझरा घाटी के पास करीब लगभग 255 एकङ जमीन में आवारा गौवंशो के लिए सहारा देने के उद्देश्य से शासन द्वारा लाखों की लागत से गौशाला का निर्माण कराया गया था, लेकिन यहां पर गौवंशो के लिए कोई सहारा नहीं मिल रहा है। गौ शाला का उद्घटान  प्रभारी मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने किया था जैसे ही किसानों की खरीब की फसलों की बुवाई हुई और किसानों ने अपने अपने गाँव से गौवंशो को खदेड़ना शुरू किया तो आवारा गौवंश को लोगो की मदद से अमझरा घाटी गौशाला लाया गया जिससे जानवरों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती गई और क्षमता से ज्यादा करीब तीन हज़ार से अधिक गौवंश गौशाला में जमा हो  चुके है

, इसको अलावा कुछ लोगो ने अपने घरों के पालतू गौवंश भी गौशाला में छोड़ आये है। वही अगर गौवंशो की रखवाली की बात की जाये तो सिर्फ तीन या चार कर्मचारी लगे है। यह सोचनीय विषय है की हजारों तादाद में गौशाला में मौजूद पशुओ की तीन या चार लोग कैसे देखरेख कर पायेंगे। गौवंशो की देखरेख में नरमी बरतने पर आए दिन  एक-दो गौवंशो अपनी मौत से उसकी कीमत चुकानी पड़ रही है।
वही अगर बात की जाये तो गौशाला में अन्ना पशुओ की सुरक्षा के लिए खाईं खोदी गयी थी,कि गौवंश की भी तरह से बाहर न निकल पाएं लेकिन तार फैनसिंग न होने के कारण खाईं में गिर जाते है जिससे उनको कभी चोटों का सामना करना पड़ता साथ ही कई जानवर तो मर जाते हैं।

जानवरों को घेरावन्दी कर गौशाला के अंदर तो कर दिया लेकिन उनको सर्दी गर्मी बरसात से बचने के लिए अभी तक कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गयी है।
कुछ स्थानीय लोगों ने बताया कि  हवा की झोक आते ही बुरी दुगन्ध आनी शुरू हो जाती है जिससे लोगों का वहा ठहरना मुश्किल हो जाता है। और संक्रमित बीमारिया फैलने का ङर बना हुआ है। यही नही यह दुगन्ध सिद्ध क्षेत्र अमझरा घाटी मंदिर तक अपना कहर बरपाती है जिसके चलते  वहां आने वाले श्रद्धालुओं जनो भारी दिक्कतो सामना करना पडता हैं।

जबकि गर्मियों में प्रत्येक गांव से अमझरा घाटी गौशाला के नाम पर भूसा बैंक खुलवाए गये थे।और सैकड़ों कुन्तल भूसा ग्राम प्रधानों की देखरेख में रखा था।
 प्रत्येक गांव से अमझरा घाटी गौशाला के लिए ग्राम प्रधान एवं ग्रामीणों ने भूसा इकट्ठा करवाया गया था और लेखपालों के माध्यम से गौशाला के लिए किसानों से रसीदें काटकर पैसा एकत्रित किया गया था।
स्थानीय लोगों द्वारा बताया कि सिर्फ सूखे भूसा की व्यवस्था है। साथ बताया कि मरे हुए जानवरों को मशीन द्वारा गङढा खुदवा कर उसी में दफना देते हैं।


  घास फूस की नहीं है पर्याप्त व्यवस्था ।


अन्ना पशुओ को सिर्फ सूखा भूसा खिलाया जा रहा साथ ही ठंडा एवं गंदा पानी पीने को मजबूर है गौवंश।
पानी की टंकियो में जमी कीट गौवंश पेट भरने को है मजबूर। गौवंशो के पेट नहीं भरने से भूख से हो रही मौते


रात्रि में ठहरने का नहीं कोई सहारा


हजारो की संख्या में गौवंश खुले मैदान में आसमान के नीचे बैठने को मजबूर है यहाँ पर अभी तक पूरी तरह से ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। कि गौवंश ठंड से बच सकें ठंड की ठिठूरन से बीमार हो जाते हैं। और सही समय पर इलाज नहीं मिल पाता है।जिसके चलते गौवंश अपना दम तोड़ देते हैं।


पांच माह में सैकड़ों गौवंशों की हुई मौत ।


जबसे गौशाला शुरू हुई तबसे लेकर आज तक सैकड़ों पशुओं की मौत हो गई मौत की मुख्य वजब जानवरों को खुले में रखना उचित व्यवस्था का न होना।
 वही बरसात के दिनों में भी अधिक वर्षा होने से अन्ना जानवर भींगते रहे हैं। और बीमार हो कर मरते रहें उन दिनों में सैकड़ो पशुओं की मौतें हुई थी।
 वर्तमान में एकदम से मानसून बदलने से प्रतिदिन एक/दो मर रहे हैं। अगर उचित व्यवस्था नही की गई तो धीरे-धीरे करके जानवरों की संख्या घटती चली जायेगी।
गौ योजना के तहत दबंग ए डी ओ पंचायत ने सफाई कर्मचारियों को रोटी इकठ्ठा करने मैं लगा दिया है।
  ए डी ओ  मनमानी कहे या फिर धौस की बजाय से सफाई कर्मी अपने कर्त्तव्य का निर्बह्न ना करते हुये साहब के आदेशों का करना पड़ता हैं पालन



सलाम खाकी न्यूज ललितपुर से पत्रकार इन्द्रपाल सिंह की रिपोर्ट

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