सैकड़ो बच्चे उपनयन संस्कार से हुए संस्कारित
मुनि संघ के सानिध्य में आयोजित हुआ उपनयन संस्कार कार्यक्रम
आजीवन सप्तव्यसन से दूर रहने का लिया संकल्प
ललितपुर 30 अक्टूबर 2019
ग्यारह भव्य जिनमंदिरों की नगरी वर्णी नगर मड़ावरा के इतिहास में मंगलवार का दिन ऐसे पल लेकर आया जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता आचार्य विशुद्ध सागर जी के आशीर्वाद व् मुनि सुप्रभ सागर,प्रणत सागर जी के मंगल सानिध्य व् प्रेरणा से जैन समाज के एक सैकड़ा बच्चों ने आजीवन सप्तव्यसन का त्याग करते हुए श्रावक दीक्षा के उपनयन संस्कार मुनि श्री के कर कमलों से ग्रहण किये।
उपनयन संस्कार से संस्कारित होने के लिए बच्चों में अलग ही उत्साह देखने को मिला सोमवार शाम से ही बच्चों ने अपने अपने मुंडन स्वतः करा लिए गए आलम यह था कि मुंडन करने वाले नाई कम पड़ गए लेकिन बच्चों की लाइन खत्म न हुयी बतादें कि प्राचीन भारतीय संस्कृति अनुसार आठ वर्ष की आयु पार कर चुके व् अविवाहित बच्चों को संस्कारबान बनाने के उद्देश्य से ऋषि मुनियों द्वारा उनका उपनयन संस्कार किया जाता था इसी मंगल उद्देश्य भारतीय संस्कृति को पुनः जीवित करने के उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए धर्मनगरी मड़ावरा में विराजमान मुनि सुप्रभ सागर,प्रणत सागर जी द्वारा करीब एक सैकड़ा बच्चों को विधि विधान पूर्वक मंत्रोचारण करते हुए उपनयन संस्कार प्रदान किया ।
कार्यक्रम के पूर्व पुराना बाजार स्थित नेमि नाथ जिनालय से उपनयन संस्कार लेने जा रहे श्रावकों की शोभायात्रा निकाली गयी जो की कस्वे के मुख्य मार्ग से होते हुए विद्याविहार पहुंची कार्यक्रम के शुभारंभ के पूर्व मंगलाचरन बहिन हिमांसी जैन ने अपने भजन के माध्यम से किया व् आचार्य श्री के चित्र का अनावरण प्रमोद जी पियूष जी बारदाना परिवार सागर व् सुनील संचय जी ललितपुर एवं मुनि संघ के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य अनिल जैन,अभय जैन रजोला परिवार,प्रमोद पियूष जी बारदाना परिवार ने एवं मुनि संघ को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य मुन्नालाल जी संगोरया, खुशाल चन्द्र नीरज जैन दुकानवाला परिवार को प्राप्त हुआ।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि सुप्रभ सागर जी ने कहा कि जब तक बालक पूर्ण रूप से व्यस्क नहीं हुआ है तब तक उसके भविष्य की जिम्मेवारी परिवार की है इसीलिए बालकों द्वारा लिए गए नियमों का पालन करवाना या उन्हें जागरूक करने की जिम्मेदारी मातापिता की है हम एक प्रेरणा मात्र हैं
अपने बच्चों को संतान बनाना चाहिए लड़का नहीं लड़का तो लड़लड कर परिवार को बर्बाद कर देते है सच्चे संस्कार प्राप्त बच्चे ही संतान बन पाते हैं बालक जैसे ही आठ वर्ष की आयु को पा लेता है वह उपनयन संस्कार प्राप्त करने की शक्ति प्राप्त कर लेते हैं मुनि श्री ने कहा कि एक जन्म आपका माँ के गर्भ से हुआ था एक जन्म आज उपनयन संस्कार के उपरांत हुआ आज से आप संस्कारित होकर नियमपूर्वक अपना जीवन निर्वाह करने का कार्य करेंगे यह मड़ावरा की धरती जो कि प्राचीन जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्द थी वहाँ पुण्य योग से बच्चों के उपनयन संस्कार का कार्यक्रम भी एक इतिहास है ये मड़ावरा वासियों का पुण्य ही है जो हर समय बड़े से बड़ा कार्य भक्ति भाव पूर्वक सानंद निर्विघ्न सम्पन्न हो जाता है श्रद्धा विस्वास व् समर्पण से ही जीवन साकार हो सकता है इस दौरान सकल दिगम्बर जैन समाज मड़ावरा के साथ ही सादूमल, बम्होरी, सैदपुर, ललितपुर, टीकमगढ़, सागर आदि जगहों की समाज ने कार्यक्रम उपस्थित रहकर धर्मलाभ लिया।
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