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शामली जनपद के मंसूरा प्राथमिक व उच्च विद्यालय की हालत बद से बदतर , अध्यापकों के समय से न पहुंचने के कारण छात्र छात्राओं का भविष्य अंधकार में , अधिकारी गण भी बने लापरवाह

मंसूरा के प्राथमिक व उच्च विद्यालय में अव्यवस्थाओं का बोलबाला , अध्यापकों के समय से ना पहुँचने से बच्चे भी हुए बेलगाम , ग्रामीण परेशान




 * अन्य प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों का एडमिशन कराने पर मजबूर है ग्रामीण





झिंझाना 10 अक्टूबर 2019

                 मंसूरा का प्राथमिक विद्यालय पिछले काफी समय से अव्यवस्थाओं से जूझ रहा है । जिसमे अध्यापकों का सही समय पर न आना और बच्चों का स्कूल की दीवारों , छतों पर चढकर खेलना जोखिम भरा साबित हो रहा है ।

               मिली जानकारी के अनुसार मंसूरा के प्राथमिक विद्यालय परिसर में ही प्राथमिक उच्च विद्यालय भी मौजूद है । विद्यालय में एक महिला अध्यापक तथा दो अन्य शिक्षामित्र बताए गए हैं बच्चों ने बताया कि अध्यापक अधिकांश रूप से स्कूल में विलंब से आते हैं उस दौरान बच्चे स्कूल की दीवारों और छतों पर खेलते रहते हैं । वें शौचालय की दिवारों पर चढकर खेलते है  जिस वजह से उन्हें कोई रोकने टोकने वाला न होने के कारण बच्चों का जोखिम बढा  रहता है ।

‌               इस संबंध में जब शिक्षा विभाग के एबीएसए से स्कूल का पक्ष जानना चाहा तो मोबाइल फोन स्विच ऑफ मिला। हां ग्रामीणों का इतना जरूर कहना है कि बच्चों की शिक्षा पर अध्यापकों का बिल्कुल ध्यान नहीं है । 



          क्योंकि स्कूल समय के काफी बाद खुलता है जिसमें 10 से 11:00 तक का भी समय हो जाता है और दूसरी ओर जल्दी बंद हो जाता है ।‌ 
         गांव के अयूब मिस्त्री , जाकिर , असलम , सत्तार , रियासत , काला , वाजिद , रियाज आदि लोगों ने अधिकारियों से इस विद्यालय की व्यवस्था को ठीक कर बच्चों को पढ़ाई जाने की मांग की है । इन सभी लोगों का कहना है कि अध्यापक समय पर स्कूल नहीं खोलते और न हीं बच्चों की पढ़ाई पर कोई ध्यान देते हैं । बल्कि गलत रास्तों पर रहते हैं । और अध्यापक आम लोगों के साथ में अभद्रता पर उतारू रहते हैं ।
        प्राथमिक विद्यालय मे मौजूद शिक्षा मित्र सलीम बच्चों को गालियां देते है बच्चे क्या कर रहे है कुछ मतलब नहीं है । ग्रामीण भी चाहते है कि उनके बच्चे भी पढे । मगर विद्यालय के माहौल से नही लगता कि उनके बच्चे पढ पायेंगे । वे अपने बच्चों को प्राईवेट विद्यालय  में दाखला करवाने पर विचार कर रहे है ।




सलाम खाकी झिंझाना से तस्लीम अहमद की रिपोर्ट

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