📚 प्रकाशक – "सलाम खाकी" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
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“कभी-कभी कोई शख्स नहीं जाता, एक दौर चला जाता है...”
उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व महानिदेशक (DGP) श्री के.एल. गुप्ता के निधन की खबर ने कानून व्यवस्था के समर्पित सिपाहियों, समाजसेवियों और आम नागरिकों के मन में गहरा शोक भर दिया है। यह केवल एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की विदाई नहीं, बल्कि उस मूल्य प्रणाली का अंत है जिसे गुप्ता जी पूरी जिंदगी ओढ़े रहे – निडरता, न्यायप्रियता और निष्पक्षता।
बेबाकी की मिसाल, नेतृत्व का स्तंभ
के.एल. गुप्ता जी जब 1998-99 में उत्तर प्रदेश पुलिस के शीर्ष पद पर पहुँचे, तब प्रदेश राजनीतिक दबाव, अपराध की लहर और सामाजिक तनावों से जूझ रहा था। लेकिन उनके आने के बाद पुलिस महकमे में एक नई ऊर्जा, एक नया आत्मविश्वास पैदा हुआ। उन्होंने पुलिसिंग को राजनीतिक हस्तक्षेप से अलग रखा, और हर निर्णय सिर्फ कानून और न्याय की भावना से लिया।
उनकी सबसे बड़ी खूबी यह थी कि वे सिर्फ कुर्सी पर बैठने वाले अधिकारी नहीं थे, बल्कि हर चुनौती से सीधी मुठभेड़ करने वाले जमीनी अफसर थे। कानपुर के चर्चित बिकरू कांड के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति में भी उनकी भूमिका निर्णायक रही। उन्होंने इस कांड की तह में जाकर सिर्फ दोषियों की पहचान नहीं की, बल्कि व्यवस्था के अंदर की सड़ांध को भी उजागर किया।
कर्तव्य नहीं, साधना थी सेवा
गुप्ता जी के लिए पुलिस सेवा महज़ एक सरकारी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन थी। वे कहते थे – "ईमानदारी कोई विकल्प नहीं, यह पुलिसिंग की आत्मा है।"
उनकी यह सोच न सिर्फ उनके फैसलों में झलकी, बल्कि उनके व्यवहार और जीवनशैली में भी। सादा जीवन, सच्चे विचार और निडर निर्णय – यही था उनका मूल स्वभाव।
राजनीतिक गलियारों से लेकर आम नागरिकों तक, हर किसी ने उन्हें एक निष्पक्ष और निर्भीक अफसर के रूप में देखा। उन्होंने साबित किया कि पुलिस अफसर का सबसे बड़ा हथियार उसकी छवि होती है, और गुप्ता जी की छवि – ईमानदारी की जीती-जागती मिसाल थी।
सेवानिवृत्ति के बाद भी सक्रिय प्रहरी
बहुत कम अधिकारी ऐसे होते हैं जो सेवा निवृत्ति के बाद अपने कर्तव्यों से मुक्त नहीं होते, बल्कि समाज के लिए अपनी जिम्मेदारियों को नया स्वरूप देते हैं।
के.एल. गुप्ता उन्हीं विरले लोगों में से थे।
पुलिस सुधारों से लेकर नीति निर्माण और युवाओं के लिए मार्गदर्शन मंच तैयार करने तक, उन्होंने हमेशा सक्रिय रहकर समाज की सेवा की। उनके विचार आज भी विवेकशील पुलिसिंग के लिए दिशा निर्देश का कार्य करते हैं।
गुप्ता जी की विदाई – सिर्फ एक खबर नहीं
उनके जाने की खबर से न सिर्फ पुलिस विभाग, बल्कि हर वह व्यक्ति व्यथित है जो न्याय, नैतिकता और निडरता में आस्था रखता है।
यह शोक सिर्फ एक इंसान के जाने का नहीं है, बल्कि एक विचारधारा के सन्नाटे में डूबने जैसा है।
गुप्ता जी जैसे अफसर हर दौर में नहीं जन्म लेते। वे इस बात की मिसाल हैं कि अगर इच्छाशक्ति और ईमानदारी साथ हो तो कठिन से कठिन व्यवस्था भी बदली जा सकती है।
सलाम खाकी की ओर से एक सच्चे प्रहरी को अंतिम सलाम!
आप अमर हैं, सर!
आपकी खाकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को सच्ची सेवा का अर्थ सिखाती रहेगी।
🕯️ श्रद्धांजलि अर्पित करता है –
"सलाम खाकी" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
प्रधान संपादक: ज़मीर आलम
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