सोमवार को सुबह 8 बजे से 5 बजे तक चले वैदिक यज्ञ में हजारों श्रद्धालुओं ने दी आहुति
* इस महायज्ञ में समाजिक व राजनैतिक दर्जनों संगठनों ने प्रतिस्पर्धा से लिया भाग
* करोना से बचाव का सबसे अच्छा तरीका यज्ञ
* जानवरों के भक्षण जैसे कुकर्मो से जन्मा है कोरोना
* यज्ञ वेदों पुराणों के अनुसार - प्रकृति के प्रकोप जैसे कई रोगों का उपचार है यज्ञ
* यज्ञ वेदों पुराणों के अनुसार - प्रकृति के प्रकोप जैसे कई रोगों का उपचार है यज्ञ
शामली ( उ०प्र०) 16 मार्च 2020
आज कोरोना वायरस से भारत देश ही नहीं पूरा विश्व त्रस्त है । चीन से निकले इस वायरस ने विश्व के अधिकांश देशों को अपनी चपेट में ले लिया है । विद्वानों का मानना है कि कोरोना वायरस जैसी बीमारी मनुष्य के जीव भक्षण मीट आदि के कारण बनती है । और जीवों का जितना भक्षण चीन मे होता है उतना अन्य किसी देश मे नही । यह कहना विद्वानों का है जिन्होने झिंझाना मे एक महा यज्ञ का तथा शामली मे भी यज्ञ का आयोजन कर धर्म का एक बडा काम किया है । इसकी पहल की है शामली से प्रकाशित हिंदी दैनिक नव चेतन सत्यभाष ने ।
शामली से प्रकाशित हिंदी दैनिक नवचेतन सत्यभाष के द्वारा विश्व में सामाजिक सौहार्द बनाए रखने और कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी का सामना करने के लिए एक महायज्ञ का आयोजन मिल रोड स्थित अग्रसेन पार्क में किया । इस यज्ञ में दर्जनों से ज्यादा सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया । यह यज्ञ सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक चला। जिसमें हजारों श्रद्धालुओं एवं गणमान्यों ने आहुति देकर यज्ञ को सफल बनाया । जनपद के इस महायज्ञ में झिंझाना से पहुंचे नागरिकों ने वापस आकर इस यज्ञ की तारीफ की । इस कार्यक्रम से ठीक एक दिन पहले इस शामली जनपद के झिंझाना कस्बे मे भी आर्य समाजियों द्वारा यज्ञ - हवन का आयोजन किया गया था । उसकी भी एक झलक अअप देख सकते है ....
वेदो के जानकार कुछ विद्वानों ने बताया कि इस विश्व में भारत देश को आर्यों का देश माना गया है । और महर्षी दयानंद एवं विवेकानंद जैसे महापुरूषों के कारण मीट एवं अन्य जीवों के भक्षण को पूरी तरह महा पाप करार दिया है । और जीवों का भक्षण चीन मे अधिकतर होता है । शायद कोरोना जैसी जानलेवा बिमारी इसी पाप का परिणाम है।
आर्य समाज के वेदवेत्ताओं का दावा है कि आज के समय में इंसान अपनी व्यस्तता के कारण परमेश्वर को भूल गया है । वेदों का पढ़ना उन पर अमल करना तो मानो लुप्त हो गया है । बच्चों के अंदर संस्कारों को पैदा करना मां की जिम्मेदारी होती है । आज प्राणियों की दिनचर्या बदल चुकी है । जबकि वेदों के अनुसार प्राणी को ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए । सबसे पहले मुंह धोए , दांत साफ करें , शौच आदि प्रक्रिया को पूरा करें , एक से 2 किलोमीटर तक पैदल भ्रमण करें किसी शांत वातावरण में जाकर योग करें और परमपिता परमात्मा की प्रकृति को देखते हुए परमात्मा का स्मरण करें ।
वेद वेत्ताओं का मानना है कि इंसान अपने धर्म से भटक गया है उल्टे काम करना उसकी आदतो मे शामिल हो गया । प्रकृति से छेडछाड हो रही है । धरती पर पाप बढ़ रहा है इसलिए कोरोना वायरस परमात्मा का एक दंड है जो सामूहिक रूप से महामारी का रूप लेकर फैल रहा है इससे मुक्ति के लिए धर्म को बढ़ाना ज्यादा अच्छा और कल्याणकारी हो सकता है । वेदो का ज्ञान , हवन -यज्ञ का प्रचार - प्रसार बढने से कोरोना वायरस भाग सकता है क्योकि कोरोना जैसी महामारी परमात्मा की ही देन है । और हवन से देश का वातावरण शुद्ध होता है , विचार शुद्ध होते है इसीलिए आर्य समाज के श्रद्धालुओं ने यज्ञ हवन की श्रंखला शुरू कर दी है ।
सलाम खाकी न्यूज ओन लाईन के मिनी मुख्यालय शामली से समाचार सम्पादक सलेक चन्द वर्मा की रिपोर्ट
आज कोरोना वायरस से भारत देश ही नहीं पूरा विश्व त्रस्त है । चीन से निकले इस वायरस ने विश्व के अधिकांश देशों को अपनी चपेट में ले लिया है । विद्वानों का मानना है कि कोरोना वायरस जैसी बीमारी मनुष्य के जीव भक्षण मीट आदि के कारण बनती है । और जीवों का जितना भक्षण चीन मे होता है उतना अन्य किसी देश मे नही । यह कहना विद्वानों का है जिन्होने झिंझाना मे एक महा यज्ञ का तथा शामली मे भी यज्ञ का आयोजन कर धर्म का एक बडा काम किया है । इसकी पहल की है शामली से प्रकाशित हिंदी दैनिक नव चेतन सत्यभाष ने ।
शामली से प्रकाशित हिंदी दैनिक नवचेतन सत्यभाष के द्वारा विश्व में सामाजिक सौहार्द बनाए रखने और कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी का सामना करने के लिए एक महायज्ञ का आयोजन मिल रोड स्थित अग्रसेन पार्क में किया । इस यज्ञ में दर्जनों से ज्यादा सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया । यह यज्ञ सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक चला। जिसमें हजारों श्रद्धालुओं एवं गणमान्यों ने आहुति देकर यज्ञ को सफल बनाया । जनपद के इस महायज्ञ में झिंझाना से पहुंचे नागरिकों ने वापस आकर इस यज्ञ की तारीफ की । इस कार्यक्रम से ठीक एक दिन पहले इस शामली जनपद के झिंझाना कस्बे मे भी आर्य समाजियों द्वारा यज्ञ - हवन का आयोजन किया गया था । उसकी भी एक झलक अअप देख सकते है ....
वेदो के जानकार कुछ विद्वानों ने बताया कि इस विश्व में भारत देश को आर्यों का देश माना गया है । और महर्षी दयानंद एवं विवेकानंद जैसे महापुरूषों के कारण मीट एवं अन्य जीवों के भक्षण को पूरी तरह महा पाप करार दिया है । और जीवों का भक्षण चीन मे अधिकतर होता है । शायद कोरोना जैसी जानलेवा बिमारी इसी पाप का परिणाम है।
आर्य समाज के वेदवेत्ताओं का दावा है कि आज के समय में इंसान अपनी व्यस्तता के कारण परमेश्वर को भूल गया है । वेदों का पढ़ना उन पर अमल करना तो मानो लुप्त हो गया है । बच्चों के अंदर संस्कारों को पैदा करना मां की जिम्मेदारी होती है । आज प्राणियों की दिनचर्या बदल चुकी है । जबकि वेदों के अनुसार प्राणी को ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए । सबसे पहले मुंह धोए , दांत साफ करें , शौच आदि प्रक्रिया को पूरा करें , एक से 2 किलोमीटर तक पैदल भ्रमण करें किसी शांत वातावरण में जाकर योग करें और परमपिता परमात्मा की प्रकृति को देखते हुए परमात्मा का स्मरण करें ।
वेद वेत्ताओं का मानना है कि इंसान अपने धर्म से भटक गया है उल्टे काम करना उसकी आदतो मे शामिल हो गया । प्रकृति से छेडछाड हो रही है । धरती पर पाप बढ़ रहा है इसलिए कोरोना वायरस परमात्मा का एक दंड है जो सामूहिक रूप से महामारी का रूप लेकर फैल रहा है इससे मुक्ति के लिए धर्म को बढ़ाना ज्यादा अच्छा और कल्याणकारी हो सकता है । वेदो का ज्ञान , हवन -यज्ञ का प्रचार - प्रसार बढने से कोरोना वायरस भाग सकता है क्योकि कोरोना जैसी महामारी परमात्मा की ही देन है । और हवन से देश का वातावरण शुद्ध होता है , विचार शुद्ध होते है इसीलिए आर्य समाज के श्रद्धालुओं ने यज्ञ हवन की श्रंखला शुरू कर दी है ।
सलाम खाकी न्यूज ओन लाईन के मिनी मुख्यालय शामली से समाचार सम्पादक सलेक चन्द वर्मा की रिपोर्ट
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