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भौतिकवादी सुखो की प्राप्ति करके मनुष्य आज कंकड़ पत्थर बटोर रहा है जबकि जीवन का मतलब , वन की तरह सतर्क रह कर सच्ची शान्ती प्राप्त करना है - अजय कुमार

🌹..जीवन का मतलब है वन की तरह एकांत यानि शान्तिपूर्ण जीवन.. जी.🌹


                   उत्तर प्रदेश के जनपद मैनपुरी के वर्तमान एसपी अजय कुमार पांडे जहां अपराधों पर नियंत्रण  पाने में एक कुशल पुलिस ऑफिसर है  वहीं दूसरी ओर  सूक्ष्म से सूक्ष्म उस तत्व को भी बारीकी से समझते और आम जनों को समझाते हैं जहां से अपराध पनपते हैं क्योंकि मनुष्य का जीवन यदि एक बार अपराधिक मामलों में फस गया  तो वह दलदल की तरह उसमें धसता ही चला जाएगा । इस कारण वह मानव परमात्मा की और संसार की दृष्टि में अपना नुकसान करता है । 
 अपना अनुभव शेयर करते हुए एसपी अजय कुमार पांडे  कहते हैं कि 

जीवन वन है ; वन रहने दो !
                           मानव को मानव रहने दो !
क्यों बटोरते कंकड़ पत्थर
                            जीवन को जीवन रहने दो !

वन में शांति रहती है, वन में पग पग पर ख़तरे भी रहते हैं; इसलिए वन में जीवित रहने के लिए सदा सतर्क रहना पड़ता है। असली जीवन भी ऐसा ही एक वन है। पर, वर्तमान में मानव को वन की अपेक्षा बहुत ढेर सारी सुविधाएँ मिली हुई हैं, उसके बावजूद भी उसके मन की शांति में बहुत कमी आई है, जो कि एक विचारणीय विन्दु है।
हमने अपनी नैसर्गिक मनोस्थिति को खो दिया है। हमारी नैसर्गिक मनोस्थिति शांति और आनन्द की है। हम भौतिकता में, क्षणिक सुखों की तलाश और अभ्यास में, ईंट-कंकड़-पत्थर-ज़मीन-मकान-दूकान-सोना-चाँदी खोजने-सँभालने में इतने मशगूल हो गए हैं कि ख़ुद को भी भूल बैठे हैं। इसलिए, यह ज़रूरी है कि हम ज़रा ठहरें, ख़ुद को देखें, ख़ुद के यात्रा-पथ को निहारें और विचारें कि क्या हम उस मंज़िल की तरफ़ जा रहे हैं जहाँ जाने को कभी सोचा था या हम भीड़ में भटक गए हैं...
           इसलिए एसपी अजय कुमार पांडे का मानना है कि मानव को अपने जीवन के उद्देश्य को समझना चाहिए । जीवन में भौतिकता या क्षणिक सुख के चक्कर में पड़ना कंकड़ पत्थर चुनने के समान है । उन्ही की वजह से इंसान को अपने जीवन में अपराध करके दुख उठाने पढ़ते हैं । 


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